RANCHI रांची यूनिवर्सिटी की सेंट्रल लाइब्रेरी में वर्ष 2011 के बाद से पीएचडी की थीसिस नहीं आयी हैं। इसका खामियाजा यहां आनेवाले रिसर्चर और स्कॉलर को भुगतना पड़ रहा है। रांची यूनिवर्सिटी के पीजी हिन्दी डिपार्टमेंट के रिसर्च स्कॉलर जीतेंद्र ने बताया कि उन्हें रिसर्च के सिलसिले में पीएचडी की थीसिस की जरुरत थी, पर यहां वर्ष 2011 के बाद की थीसिस नहीं हैं। ऐसे में मुझे सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय से पीएचडी थीसिस मंगवानी पड़ी।

प्रक्रिया में लगता है समय

असिस्टेंट लाइब्रेरियन कार्यरत एसके कर्ण ने बताया कि सेंट्रल लाइब्रेरी में लगभग 4,000 पीएचडी थीसिस हैं। वर्ष 2011 तक की थीसिस यहां आ चुकी हैं। बाकी आने के लिए प्रोसेस में है। रांची यूनिवर्सिटी के एग्जामिनेशन सेक्शन से यहां पीएचडी थीसिस आती है और इसकी एक प्रक्रिया होती है। इसमें समय लग जाता है। पिछली बार यहां इसी वर्ष जनवरी-फरवरी के बीच पीएचडी की थीसिस आयी थी।

1961 से रखी गयी हैं थीसिस

सेंट्रल लाइब्रेरी में वर्ष 1961 से थीसिस रखी गयी हैं। यहां रिसर्च स्कॉलर और फैकल्टी को केवल पीएचडी थीसिस पढ़ने के लिए दी जाती है। उसे यहीं पढ़ना होता है। इसे इश्यू नहीं किया जाता और न ही उसकी फोटो कॉपी ही की जा सकती है। यहां थीसिस देखने आये स्टूडेंट को हम कैटलॉग देते हैं और उसे देखकर जो थिसीस वह चुनता है वह उसे पढ़ने के लिए दे दी जाती है।