- आए दिन लग रहे जाम के बाद भी जिम्मेदार अफसर बने है मूकदर्शक

- टूटे डिवाइडर को जेसीबी से खुदवाकर रास्ता बंद करके भूल गए आगे की प्लानिंग

UNNAO:

नेशनल हाईवे पर लगने वाला जाम है कि थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाईवे पर खाकी की सख्त मानीटरिंग न होने से ड्राइवरों की मनमानी हावी है। जिसके चलते हर रोज वाहनों के पहिए हाईवे पर थमने को मजबूर हो रहे है। जाम का हाहाकार होने के बाद भी एडमिनिस्ट्रेशन समस्या से निजात के लिए कोई फुल प्रूफ प्लान तैयार नहीं कर पा रहा है।

लखनऊ-कानपुर हाईवे का जाम इतना मशहूर हो चुका है कि इस रूट से सफर तय करने से पहले लोग लोकेशन लेते है कि कहीं जाम तो नहीं है। साथ ही एक्सट्रा टाइम लेकर घर से निकल रहे हैं। जाम जोन मेन रूप से दो जगह है पहला जाजमऊ गंगापुल दूसरा गदनखेड़ा बाईपास है। ये हालात तब है जब दोनों स्थानों पर खाकी के जवान ट्रैफिक कंट्रोल करने के लिए मुस्तैद है। इसके बाद भी लगातार जाम लगने का रीजन आसानी से समझा जा सकता है। पिछले एक सप्ताह से नेशनल हाईवे जाम के झाम से कराह रहा है। जिसमें वाहन ड्राइवरों का बेतरतीब फर्राटा भरना भी जाम का कारण बना है। फिलहाल हाईवे को जाम की टेंशन से फ्री करने के लिए एडमिनिस्ट्रेशन के पास कोई प्लान नहीं है। हां इतना जरूर किया गया है कि हाईवे पर कई जगह डिवाइडर तोड़ बनाए गए क्त्रास रास्ते को जेसीबी से खुदवाकर रास्ता अवरुद्ध कर दिया गया है। जिससे वाहन वन वे रूल्स का पालन कर सके। सवाल ये उठता है कि क्या क्त्रास बंद कर देने से जाम से छुटकारा मिल जाएगा। अफसरों को क्त्रास तो नजर आ गए लेकिन ड्यूटी पर मौजूद रहने वाले जवानों की लापरवाही की मानीटरिंग कराना याद नहीं आया। अगर यही सीन रहा तो नेशनल हाईवे जाम का दर्द झेलते रहना होगा।

सिटी की रोड्स भी होती हैं जाम

हाईवे पर जाम के हालात बनते ही छोटे वाहन अधिकतर सिटी की तरफ स्टेरिंग मोड़ देते है। जिससे गांधी नगर तिराहा से लखनऊ बाईपास तक का मेन मार्ग जाम के आगोश में चला जाता है। सिटी राइट्स घंटो जहां के तहां ठहर जाते हैं। भीड़ भाड़ के चलते छोटा चौराहा से बड़ा चौराहा का हाल इतना बुरा हो जाता है कि पैदल निकलना भी टेढ़ी खीर साबित हो जाता है।

करे कोई और झ्ोले कोई

जाम लगने के बाद जब पुलिस के जवान ट्रैफिक नार्मल करने के लिए पहुंचते है तब उनका गुस्सा देखने लायक होता है। बेतरतीब वाहनों को एक लाइन में करने के लिए लाठी से लेकर थप्पड़ का यूज करने में कोई गुरेज नहीं करते। थप्पड़ का जो निशाना बनते है वो रिक्शा चालक या बाइक सवार सामान्य लोग होते हैं। गलती भले ही लग्जरी वाहन ड्राइवर की हो। इन चेहरों पर कार्रवाई करने से पहले ही मुंह फेरना उचित समझते हैं। ये नजारें आए दिन आम होते हैं।