-पुलिस और पत्रकारों का पक्ष जानने पहुंचे एडीजी जीएल मीणा

-सीओ समेत 17 दरोगा और सिपाहियों ने दिए बयान, सभी ने कहा हमने कुछ नहीं देखा

-कोई बड़ा अधिकारी या तत्कालीन एसओ नहीं पहुंचा बयान देने

-विधायक के गनर्स से हुई पूछताछ और बनाया गया घटना का नक्शा

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KANPUR : मेडिकल कॉलेज बवाल मामले में जांच कर रहे न्यायिक आयोग, एसआईटी और एडीजी के सामने बवाल में शामिल पुलिस अधिकारियों ने अपने बयान दर्ज नहीं कराए हैं। बड़ा सवाल ये है कि कोई भी जिम्मेदार अधिकारी इस मामले में बयान से बच क्यों रहे हैं। पुलिस ऑफीसर्स के इस रुख पर वेडनेसडे को जस्टिस चौहान ने नाराजगी जताई थी। इसके बाद भी थर्सडे को एडीजी जीएल मीणा पुलिस पक्ष को सुनने के लिए सर्किट हाउस में बैठे रहे, लेकिन कोई भी सीनियर पुलिस ऑफिसर बयान देने नहीं पहुंचा। खानापूर्ति के लिए पहुंचे सिर्फ सीओ एलआईयू सहित क्7 पुलिसकर्मी रटा-रटाया बयान 'हमने कुछ नहीं देखा साहब' देते रहे। सभी ने पुलिस कर्मियों के इस बयान पर आश्चर्य जताया कि अधिकारी के आदेश पर जीएसवीएम परिसर व हॉस्टलों में घुसकर प्रोफेसरों से लेकर मेडिकल स्टूडेंट्स तक पर बर्बरता करने वाले पुलिस कर्मियों ने ही कैसे कुछ नहीं देखा?

क् सीओ, ख् एसआई, क्ब् सिपाही लेकिन किसी ने कुछ नहीं देखा

मेडिकल कॉलेज में ख्8 फरवरी की रात को हुए बवाल को लेकर पुलिस का पक्ष रखने आए पुलिस कर्मियों में से किसी ने भी घटना के समय कुछ भी देखने की बात से इंकार किया। मेडिकल कॉलेज के अंदर क्या हुआ किसी को नहीं पता था, बाहर क्या बवाल हुआ वह भी किसी को नहीं पता? सीओ एलआईयू ज्ञान सिंह, एसआई आरके सिंह और रामशरण समेत क्ब् कॉस्टेबल सर्किट हाउस पहुंचे थे। इनमें से कई सिपाही काकादेव,नवाबगंज और स्वरूप नगर थाने में घटना वाले दिन तैनात थे।

पुलिस कर्मियों ने ये कहा

-जब मैं पहुंचा तो पेट्रोल पंप पर कारें टूटी पड़ी थीं।

-मेरी डयूटी तो स्वरूप नगर थाने के पास थी, मैं ट्रैफिक डायवर्ट करा रहा था।

-मेरी डयूटी हैलट के गेट पर थी, मेडिकल कॉलेज के अंदर क्या हुआ मुझे नहीं पता

- मैं जब आया तब बवाल खत्म हो चुका था

- वायरलेस पर सूचना के बाद पहुंचा था लेकिन तब तक सब खत्म हो गया था

-मेरी डयूटी हैलट इमरजेंसी में लगी थी, मैं तो मेडिकल कॉलेज गया ही नहीं

चुनाव का चक्कर या कुछ और

पुलिस की ओर से किसी भी जांच में अपना पक्ष नहीं रखने के पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि पुलिस कर्मियों की चुनावों में ड्यूटी लग रही है, जिस वजह से उन्हें बयान देने के लिए छुट्टी नहीं मिल रही है। स्वरूप नगर थाने के तो पूरे स्टॉफ का गैर जनपद तबादला कर दिया गया है वहीं संबंधित सर्किल के थानों में तैनात पुलिस कर्मियों की भी चुनाव में ड्यूटी लगी है। पूर्व एसएसपी यशस्वी यादव की भी तरफ से अभी तक किसी भी जांच में कोई लिखित साक्ष्य आ हलफनामा नहीं दिया गया है। कुछ दिनों पहले उनका तबादला पीएसी में सेनानायक पद पर ुआ है।

विधायक के गनर्स के हुए बयान

घटना के समय विधायक इरफान सोलंकी के गनर रहे गुलाम जिलानी, बन्ने खां और इमरान अली भी एडीजी के पास अपने बयान दर्ज कराने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने पूरा घटनाक्रम बताया, इसके बाद एडीजी ने एएसपी अरूण दीक्षित को विधायक के गनर्स के साथ मेडिकल कॉलेज भेजा और पूरे घटनाक्रम का नक्शा बनवाया। शाम ब् बजे एडीजी जीएल मीणा खुद मेडिकल कॉलेज पहुंचे। उन्होंने डॉ। संजय काला समेत डॉ। विशाल गुप्ता के अलावा डॉ। आरपी शर्मा के दोबारा बयान दर्ज किए।

मई के पहले हफ्ते में दोबारा अाएंगे एडीजी

जिले की दो लोकसभा सीटों के चुनाव ख्ब् और फ्0 अप्रैल को होने हैं, जिसमें पूरा पुलिसिया और प्रशासनिक अमला उसमें व्यस्त रहेगा। जिसकी वजह से एडीजी पावर कार्पोरेशन जीएल मीणा अब अपनी जांच के लिए चुनाव के बाद ही आएंगे। बातचीत में उन्होंने बताया कि मई के पहले हफ्ते में वह फिर पुलिस कर्मियों और जर्नलिस्ट के बयान लेने के लिए आ सकते हैं। इस बीच ख्क् अप्रैल हो हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई भी होनी है।