कई डेडलाइन बीत गए

जवाहरलाल नेहरू नेशनल अर्बन रिन्यूअल मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत 20 महीने पहले शुरू की गई महत्वाकांक्षी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट का फिजिकल प्रॉग्रेस जीरो परसेंट है। प्रोजेक्ट कम्प्लीट करने के कई डेडलाइन बीत चुके हैं। अब इस रफ्तार को देखते हुए प्रोजेक्ट के फ्यूचर पर सवाल उठ रहा है।

20 महीने में ढाई कोस भी नहीं
मुहावरा है नौ दिन चले ढाई कोस, पर यहां तो बात उससे भी आगे बढ़ गई है। बीस महीने पहले गाड़ी जहां से चली थी आज भी वही खड़ी है। सिटी में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट की शुरुआत अगस्त 2012 में हुई थी, पर आज करीब 20 महीने बाद भी प्रोग्रेस जीरो है। ये आकलन खुद सेंट्रल अर्बन डेवलपमेंट मिनिस्ट्री द्वारा किया गया है। डिपार्टमेंट द्वारा जारी 21 जनवरी 2014 तक के डाटा के अनुसार सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट का फिजिकल प्रॉग्र्रेस जीरो परसेंट है।

Boundary wall तक नहीं बना
करीब 33.36 करोड़ की लागत से 300 मीट्रिक टन की क्षमता वाले इस प्रोजेक्ट को 17 फरवरी 2011 को अप्रूवल दिया गया था। प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 8 अगस्त 2012 को गुडग़ांव बेस्ड एसपीएमएल कंपनी के साथ एग्रीमेंट साइन किया गया था। एग्रीमेंट के अनुसार खैरबनी में बनने वाले इस प्रोजेक्ट का काम 10 महीनों में कंप्लीट करना था। पर आज 20 महीने बाद भी प्रोजेक्ट कंप्लीट होने की बात तो दूर बाउंड्री वाल बनाने का काम भी पूरा नहीं किया जा सका है। प्रोजेक्ट इंचार्ज विवेक जैन के अनुसार अब तक करीब 500 मीटर बाउंड्री वाल बनाया गया है। अब अगर प्रोजेक्ट स्टार्ट होने से लेकर अब तक का हिसाब लगाएं तो एक दिन में एक मीटर बाउंड्री वॉल तक नहीं बनाया जा सका है।

हो रही है खानापूर्ति
प्रोजेक्ट को लेकर अब तक महज खानापूर्ति ही दिखाई देती है। वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट अभी तक बना नहीं, पर उससे पहले वेस्ट कलेक्शन और ट्रांसपोर्टेशन का प्लान बन गया और 70 लाख रुपए की गाडिय़ां भी खरीद ली गईं। कलेक्शन और ट्रांसपोर्टेशन के लिए खरीदी गई जेसीबी, डंपर और ऑटो जेएनएसी ऑफिस में महीनों से पड़ी हैं। जेएनएसी के स्पेशल ऑफिसर दीपक सहाय के मुताबिक प्रोजेक्ट के लिए नोडल एजेंसी जेएनएसी को अब तक करीब 8 करोड़ 64 लाख रुपए का फंड सैैंक्शन हुआ है। इसमें 38 लाख रुपए प्रोजेक्ट का काम कर रही कंपनी को दिए गए हैं।

Environmental clearance का फंसा है पेंच
प्रोजेक्ट के स्टार्ट होने से लेकर अब तक कई अड़चने आती रही है। सबसे बड़ी समस्या जमीन को लेकर रही है। खैरबनी में प्रोजेक्ट के लिए चुनी गई 36 एकड़ जमीन में 4.6 एकड़ जमीन रैयती है। दीपक सहाय ने बताया कि इस जमीन को लेकर स्थानीय लोगों द्वारा विरोध किया गया। हालांकि उन्होंने कहा कि इस समस्या को अब सुलझा लिया गया है। भूअर्जन पदाधिकारी के पास इस जमीन के लिए एप्लीकेशन दे दिया गया है। उन्होंने कहा कि गवर्नमेंट लैैंड के ट्रांसफर की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। इन्वायरमेंट क्लियरेंस के वजह से भी प्रोजेक्ट डीले हो रहा है। दीपक सहाय ने कहा कि इन्वायरमेंट क्लियरेंस लेने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। पर क्लियरेंस मिलने से पहले जमीन पर बाउंड्री करने का परमीशन ले लिया गया है। साथ ही उन्होंने बताया कि एयरपोर्ट अथॉरिटी से भी क्लियरेंस मिल चुका है।

ये काफी महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है। इसे जल्द से जल्द पूरा करने की कोशिश की जा रही है। जमीन और एन्वायरमेंटल क्लियरेंस से संबंधित प्रक्रिया चल रही है।
-दीपक सहाय, स्पेशल ऑफिसर, जेएनएसी

Report by :abhijit.pandey@inext.co.in