ALLAHABAD: जीएसटी लागू होने के बाद जिन सामानों को 28 परसेंट टैक्स स्लैब में शामिल किया था उन्हें घटाकर 18 परसेंट कर दिया गया है। नया स्लैब 15 नवंबर से पूरे देश में लागू भी हो गया। इसके बाद भी सामानों के रेट में कोई कमी नहीं आई। बाजार में सामान पुराने एमआरपी पर ही बेचे जा रहे हैं। यह हकीकत तब सामने आई जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने रियलिटी चेक किया।

 

सीन-1

समय दोपहर 2.30 बजे

सहगल जनरल स्टोर, हॉट स्टफ चौराहा, सिविल लाइंस

दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की टीम स्टोर पर पहुंची और सामान लेना शुरू किया। पतंजलि के दंत कांति पेस्ट पर एमआरपी दर्ज थी 75 रुपए। पास्ता की एमआरपी 60 रुपए। बोर्नवीटा की एमआरपी 237 रुपए और कैडबरी के चॉकलेट पर एमआरपी थी 99 रुपए। सामान लेने के बाद बारी आती है बिल देने की। दुकानदार हर सामान की एमआरपी के आधार बिल बनाता है 471 रुपए का। बिल देख हम चौंकते हैं और दुकानदार से सवाल करते हैं।

 

सवाल: अरे सभी सामानों का रेट आपने एमआरपी के आधार पर पूरा-पूरा जोड़ दिया है?

दुकानदार: तो क्या कहीं आपको एमआरपी से कम पर भी सामान मिलता है?

 

सवाल: हमने जो सामान निकलवाया है, उन सभी सामानों पर लगने वाला जीएसटी 28 से 18 परसेंट हो गया है। ऐसे में इन सभी सामानों का रेट दस परसेंट कम हो जाना चाहिए, लेकिन आप तो एमआरपी के आधार पर रेट लगा रहे हैं?

दुकानदार: चलिए माना कि जीएसटी 28 से 18 परसेंट हो गया है, लेकिन एमआरपी से कम रेट पर माल बेचना प्रैक्टिकल है क्या?

 

दुकानदार का सवाल: आप जीएसटी के बारे में कुछ जानते भी हैं?

सवाल: बहुत कुछ तो नहीं, लेकिन थोड़ा बहुत तो जानता ही हूं।

दुकानदार: आप जाइए भाई साहब, मेरे पास समय नहीं है कि मैं आप से बहस कर सकूं, आपको समझा सकूं।

 

सीन-2

समय दोपहर 2.45 बजे

पतंजलि मेगा स्टोर, सिविल लाइंस

यहां से टका सा जवाब मिलने के बाद हम निकल पड़े अपनी दूसरी मंजिल की ओर। बाबा रामदेव के मेगा स्टोर में ठीकठाक भीड़ लगी थी, हम भी वहीं पहुंच गए और सामने दिखे युवक से सवाल किया, भाई साहब मुझे दंतकांति टूथपेस्ट चाहिए।

 

सेल्स मैन: स्टोर में स्टॉक लगा है, जिस वजन का चाहिए, ले लें।

हम 200 ग्राम का पतंजलि दंतकांति टूथपेस्ट लेते हैं, एमआरपी दर्ज है 75 रुपए। तभी सेल्स मैन करीब आ जाता है भाई साहब कुछ और लेना है कि बस टूथपेस्ट? नहीं बस यही चाहिए, कितना हुआ इसका?

सेल्स मैन: 75 रुपया हुआ

हम चौंकते हैं 75 रुपया क्यों भाई, टूथपेस्ट का टैक्स तो कम हुआ है, ऐसे में इसका रेट भी कम हो जाना चाहिए।

सेल्समैन: हां टैक्स कम हुआ है, लेकिन सेंट्रल और स्टेट में दो भागों में डिवाइड हो गया है?

सवाल: तो इससे हमें यानी कस्टमर को क्या फायदा हुआ? 28 से 18 हुआ तो हमें क्या?

सेल्स मैन: कोई फायदा नहीं होगा।

 

कंपनी का कहना है कि आप जिस रेट पर बेचते हैं। उसी रेट पर बेचें। क्योंकि कंपनी ने स्टॉक ले लिया है। ऑनलाइन सारा रिकार्ड उनके पास है। 18-28 का डिफरेंस कंपनी क्लेम में एडजस्ट करने को कह रही है। इससे स्टॉकिस्ट को कोई विशेष फायदा नहीं हुआ है।

-अनुराग केसरवानी

स्टॉकिस्ट, डिस्ट्रीब्यूटर

 

जब सरकार आए दिन नियम में बदलाव करेगी, टैक्स स्लैब घटाएगी तो इस तरह का विवाद होना निश्चित है। दुकानदार ने कंपनियों को पुराने टैक्स स्लैब के आधार पर टैक्स पे कर दिया। चूंकि अधिक टैक्स दिया है, इसलिए वे पूरे हक से अधिक टैक्स लेंगे।

-संतोष पनामा, व्यापारी नेता

 

सरकार ने 28 से 18 परसेंट जीएसटी किया है। ताकि सामानों का रेट कम हो सके। इसके लिए कंपनियों, रिटेलरों के लिए सरकार का आदेश है कि वे एमआरपी पर नई प्राइज लिस्ट लगाएं। टैक्स घटने के बाद नई एमआरपी पर सामान बेचना है, यदि दुकानदार ऐसा नहीं करते हैं तो ये नियम विरुद्ध है।

-सुमित अग्रवाल, सीए