RANCHI : सीएनटी-एसपीटी संशोधित विधेयक पर किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पूर्व भाजपा इस एक्ट की आपत्तियों से जुड़े प्रावधानों पर आम राय कायम करेगी। भाजपा के गैर आदिवासी विधायकों और प्रदेश पदाधिकारियों के साथ एक्ट से जुड़े प्रावधानों पर मंथन किया जाएगा। भाजपा मुख्यालय में हुई मैराथन बैठक में तय हुआ किअब गैर आदिवासी भाजपा विधायकों और सांसद से भी रायशुमारी की जाएगी। समाज के अन्य वर्गो से भी इस पर मशविरा किया जाएगा।

आज पदाधिकारियों की बैठक

आनन-फानन में शुक्रवार को पार्टी मुख्यालय में क्क् बजे भाजपा के तमाम गैर आदिवासी विधायकों और प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक बुलाई गई है। प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा की अध्यक्षता में चार घंटे तक चली बैठक में सीएनटी-एसपीटी संशोधित विधेयक की वापसी और उसके बाद पैदा हुई राजनीतिक परिस्थितियों पर खुलकर चर्चा हुई। बैठक का एजेंडा सीएनटी की धारा-ख्क् और एसपीटी की धारा-क्फ् के इर्द-गिर्द सिमटा रहा।

हितों से समझौता नहीं

प्रदेश अध्यक्ष ने स्पष्ट कहा कि आज की बैठक के आधार पर किसी निष्कर्ष पर पहुंचा नहीं जा सकता। सीएनटी-एसपीटी कानून सिर्फ आदिवासियों से जुड़ा कानून नहीं है। यह राज्य में रहने वाले अन्य वर्ग को भी प्रभावित करता है। इसलिए भाजपा ने तय किया है कि एक्ट में पुन: संशोधन से पूर्व आम राय कायम करना जरूरी है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि आगे होने वाला संशोधन आदिवासी-मूलवासियों के हित में होगा। बैठक में उठी बातों को साझा करने से किनारा करते हुए गिलुवा ने सिर्फ इतना कहा कि आज की बैठक में जो सुझाव आए हैं उनमें एकरूपता है।

एक सप्ताह पहले मिली विधेयक वापसी की सूचना

राजभवन से सीएनटी-एसपीटी संशोधित विधेयक भले ही ख्ब् मई को सरकार को वापस कर दिया गया हो लेकिन भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा को इसकी जानकारी महज एक सप्ताह पहले मिली है। गुरुवार को मीडिया के समक्ष उन्होंने स्वीकारा कि राज्य के मुखिया मुख्यमंत्री रघुवर दास ने उन्हें एक सप्ताह पूर्व विधेयक वापस किए जाने की सूचना दी थी।

मानसून सत्र में बिल लाने की तैयारी

सीएनटी-एसपीटी संशोधित बिल को पुन: संशोधित कर विधानसभा में लाया जाएगा। बिल क्क् जुलाई से आरंभ हो रहे मानसून सत्र में ही लाने की तैयारी सरकार ने की है हालांकि भाजपा इसे लेकर आश्वस्त नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने कहा कि सभी वर्ग से रायशुमारी के बाद विधेयक को टीएसी की बैठक में ले जाया जाएगा और इसके बाद विधानसभा में पेश किया जाएगा।