RANCHI : मंगलवार को फरीदाबाद की ख्00 पटाखा दुकानों में आग लग गई, जिसमें भारी तबाही मची। दूसरी ओर रांची के अपर बाजार में सोमवार को कचरे में लगी आग सिर्फ तीन दुकानों तक ही पहुंची। अगर समय पर फायर ब्रिगेड की चार टीम आग को काबू में नहीं करती तो यह विकराल व भयावह हो सकती थी। इस अगलगी से एक हार्डवेयर की दुकान में लाखों रुपए के सामान बर्बाद हो गए, पर इसका दायरा नहीं बढ़ा। अगर आग की लपटें बेकाबू हो जाती तो अपर बाजार तबाह हो सकता था, क्योकि जहां आग लगी थी, उससे तकरीबन सौ मीटर की ही दूरी पर कई पटाखे की दुकान होने साथ पटाखों का गोदाम भी है। खास बात है बारूद के ढ़ेर पर बसे अपर बाजार में आपातकाल में आग से निपटने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है।

कैसे पहुंचेगी दमकल?

दीपावली को लेकर अपर बाजार का पटाखा बाजार तैयार है। यहां पटाखा के डिस्ट्रिब्यूटर्स और होल सेलर्स के खुदरा बिक्री की भी दुकानें हैं। राज्य के कई इलाकों से दुकानदार पटाखों को खरीदने के लिए अपर बाजार आते हैं। चूंकि, दीपावली एकदम करीब आ चुका है। पटाखों की भी जमकर बिक्री हो रही है। ऐसे में पटाखा व्यवसायियों के गोदाम पटाखों से भरे हुए हैं। खासकर अपर बाजार के रंगरेज गली, और जेजे रोड में ज्यादातर पटाखे की दुकानें व गोदाम हैं। ये गलियां इतनी संकरी है कि अगर किसी वजह से पटाखों की दुकान में आग लग जाए तो दमकल की गाडि़यां भी यहां नहीं घुस पाएंगी। ऐसे में आग को काबू में करना फायर ब्रिगेड की टीम के लिए आसान नहीं होगा। ऐसे में यहां ऐसी कोई घटना बड़ी तबाही की वजह बन सकती है।

रोड क्ख् फीट, दमकल गाड़ी क्क् फीट

अपर बाजार के कुछ सड़कों को छोड़कर ज्यादातर रोड व गलियों की चौड़ाई 8 से क्ख् फीट के बीच है। दूसरी ओर दमकल की जितनी भी गाडि़यां हैं, वह क्क् फीट चौड़ी और ख्ख् फीट लंबी है। ऐसे में इस बात का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि अपर बाजार के किसी भी इलाके में अगलगी की घटना हो जाए, तो दमकल की गाडि़यां वहां तक कैसे पहुचेंगी। फायर स्टेशन ऑफिसर मिथिलेश कुमार ने बताया कि एक तो अपर बाजार की सड़कें व गलियां संकरी हैं और ऊपर से लोग इन्हीं संकरे रोड के किनारे अपनी बाइक व गाड़ी खड़ी कर देते हैं। ऐसे में अगर जरूरत पड़े तो दमकल की गाडि़यों को स्पॉट पर पहुंचने में काफी मशक्कत करनी पड़ जाएगी।

रोड नाम का, गली में दुकान

अपर बाजार का इलाका शहर के बिजनेस हब के तौर पर जाना जाता है। यहां सैकड़ों दुकानें हैं, पर अफसोस इस बात का है कि इन दुकानों तक पहुंचने के लिए अच्छी सड़कें नहीं हैं। तंग गलियों में ये दुकानें हैं। खासकर पटाखा की दुकानें व गोदाम जहां हैं, वहां सबसे ज्यादा खतरा बना रहता है। जो रोड कुछ लोगों के घुसने से ही जाम हो जाता है, वहां अगर कोई अनहोनी हो जाए तो चाहकर भी कुछ नहीं किया जा सकता है।

नहीं सुधरा ट्रैफिक सिस्टम

अपर बाजार में अक्सर जाम की स्थिति बनी रहती है। ऐसे में पिछले साल जून में ट्रैफिक पुलिस ने यहां वन वे सिस्टम लागू कर दिया था। शुरू में कुछ महीनों तक तो इस वजह से जाम कम लगती रही, पर बाद में जाम की स्थिति पुराने हाल में पहुंच गई। यहां कारोबार के सिलसिले में आनेवाले लोग सबसे ज्यादा जाम से त्रस्त रहते हैं,पर इसका स्थायी समाधान नहीं निकल पा रहा है।