JAMSHEDPUR: स्टील सिटी में कुछ स्कूलों को छोड़ दें, तो शहर के मैक्सिमम स्कूल में बच्चों की सुरक्षा के इंतजाम नहीं हैं। बच्चों की सुरक्षा के नाम पर प्राइवेट स्कूल अभिभावकों से मोटी फीस वसूल कर रहे हैं, लेकिन सुरक्षा के नाम पर उन्हे कुछ भी नहीं मिल रहा है। शहर के ज्यादातर स्कूलों में सीसीटीवी, फायर हाइड्रेंट और अग्निशमन यंत्र तक नहीं हैं।

स्कूल बस में परिचारिका नहीं

सीबीएसई के गाइडलाइन के अनुसार हर स्कूल बस में एक पढ़ी-लिखी परिचारिका का होना अनिवार्य है। जिन बसों में बच्चियां जाती हैं, उनमें महिला कंडक्टर भी रखने का प्रावधान है। लेकिन, सिटी के किसी स्कूल बस में यह सुविधा मौजूद नहीं है।

शहर में हुई थी वारदात

दिसंबर 2017 में एक ऑटो ड्राइवर कक्षा पांच की बच्ची के साथ छेड़छाड़ कर रहा था। बच्ची के चिल्लाने पर मौके पर मौजूद लोगों ने उसे पकड़कर पहले तो उसकी धुनाई की और फिर उसे पुलिस के हवाले कर दिया।

स्कूल बस ड्राइवर्स के लिए गाइड लाइन

- स्कूल बस चालक और खलासी का ड्रेस होगा शर्ट में कर्मचारी का नाम अंकित होना चाहिये।

-बसों या वैन में जीपीएस लगा होना चाहिये जिससे बस इस समय कहां पर चल रही है इसकी जानकारी की जा सके।

-बसोंके चलने और रुकने के समय खलासी सीटी बजाकर बच्चे को उतारे और चढ़ाए।

-स्कूल बसों में ओवरलोडिंग न हो साथ दोनों खिड़कियों और बैक साइड में लोहे की जाली होनी चाहिए जिससे कोई भी छात्र बाहर हाथ या कोई अंग न निकाल सके।

कैंपस के लिए क्या हैं निर्देश

- क्लासरूम और कैंपस में बच्चों की गतिविधियों पर ध्यान रखे जैसे ही कोई हरकत करना है तो उसकी काउंसलिंग करें।

-स्कूल में एक नियमित काउंसलर की नियुक्ति होनी चाहिए। जो स्कूल में एडमीशन के समय ही बच्चों की काउंसलिंग की जा सके।

-स्कूल में कार्यरत सभी स्टाफ का पुलिस वेरिफिकेशन जरूरी है। जैसे कि जिस स्थान का उसका पता है वह वहां रहता है या नहीं

-एजेंसी की जगह खुद से ही गार्ड की नियुक्ति की जानी चाहिये।

स्कूलों से नहीं मिल रही जानकारी

सवाल - स्कूलों की ओर से तय मापदंडों का कितना पालन हो रहा है?

जवाब - शहर में कई स्कूल है जहां पर अपने वाहन ही नहीं है। जिससे टेंपो और टैक्सी की चेकिंग कर उन्हें मानकों का पालन कराया जा रहा है।

सवाल - ऑटो और वैन में बच्चों को बिठाकर लाया और ले जाया जाता है, इस पर क्या निर्देश है?

जवाब - स्कूल वाहनों के कुछ मानक हैं। उनका पालन कर कोई भी वाहन चालक बच्चों को ला और ले जा सकता है।

(डीटीओ रवि रंजन सिंह से सीधी बात)

शहर में स्कूलों में अभी तक ऐसी कोई घटना नहीं हुई है। लेकिन लखनऊ की घटना को संज्ञान में लेकर शहर के सभी स्कूलों को नोटिस जारी कर कर्मचारियों का सत्यापन, डाइवर, खलासी और गार्ड की नियुक्ति के समय उनका पुलिस वैरीफिकेशन के निर्देश दिए जाएंगे।

प्रभात कुमार, एसपी सिटी

क्या कहते हैं पैरंट्स

शहर में अधित्तर स्कूलों के पास अपने वाहन नहीं है जिसके कारण ही बच्चों को टेंपो टैक्सी और रिक्शा से स्कूल भेजना पड़ता है। स्कूल वाहनों के लिए प्रशासन ने भी सभी स्कूलों को पत्र लिखा है। स्कूल की गाड़ी पर बच्चों के जाने से चिंता कम होगी

कमला देवी, पेरेंट

स्कूलों में हो रही ऐसी वारदातों को सुनकर मन तो घबराता है लेकिन संसाधनों की कमी और समय की कमी के चलते बच्चों को रोज छोड़ना और लेना नहीं हो पाता है। स्कूल प्रबंधन को बच्चों की इस तरह की हरकतों पर विशेष रूप से नजर रखनी चाहिये। जिससे भविष्य में ऐसी कोई भी घटना न हो।

महेश प्रसाद, पेरेंट

शहर में स्कूलों द्वारा वाहन न चलाने की मांग लंबे समय से की जा रही है। अभी हाल में उपायुक्त अमित कुमार ने स्कूल प्रबंधकों के साथ मीटिंग कर सभी स्कूलों को कम से कम एक स्कूल वाहन चलाने के निर्देश दिए है। जल्द ही शहर में स्कूलों के वाहन चलने से एक समस्या दूर होगी।

उमंग कुमार अध्यक्ष, अभिभावक संघ जमशेदपुर