- ग‌र्ल्स और ब्वॉयज में खूब है क्रेज लेकिन फैसिलिटी के अभाव में दम तोड़ रहा टैलेंट

GORAKHPUR: गोरखपुर शहर क्रिकेट से ज्यादा हॉकी और फुटबॉल का गढ़ रहा है। क्रिकेट में तो यहां से चुनिंदा खिलाडि़यों ने ही जलवा बिखेरा है, लेकिन फुटबॉल में कई खिलाड़ी कमाल दिखा रहे हैं। फुटबाल का भरपूर क्रेज है लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी के साथ ही ग्राउंड की कमी, खिलाडि़यों के बेहतर कॅरियर की राह में बाधा है।

ग‌र्ल्स भी हैं आगे

फुटबाल की बात होती है तो आंखों के सामने ब्वॉयज ही नजर आते हैं लेकिन गोरखपुर में इस खेल का ब्वॉयज से कम क्रेज ग‌र्ल्स में भी नहीं है। सिटी के डिफरेंट ग्राउंड्स पर प्राइवेट कोचिंग्स में यह ग‌र्ल्स फुटबॉल प्लेयर्स रेग्युलर प्रैक्टिस कर रही हैं। सबसे ज्यादा ग‌र्ल्स की तादाद सेंट एंड्रयूज कॉलेज ग्राउंड पर है, जहां रोजाना शाम को यह ग‌र्ल्स प्लेयर खूब मेहनत कर रही हैं।

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कॉलिंग

गोरखपुर में फुटबॉल लवर्स की कमी नहीं है। अगर सरकारी सुविधाएं मिलने लगें तो और खिलाड़ी इस गेम से जुड़ सकेंगे।

- शशांक गुप्ता, खिलाड़ी

खिलाडि़यों में इंटरेस्ट की कमी नहीं है। सभी हमेशा ही खेल के लिए तैयार रहते हैं। मगर सुविधा नहीं मिलने की वजह से खेल पिछड़ा हुआ है।

- आकाश सिंह, खिलाड़ी

सिटी में कम ही ग्राउंड हैं, लेकिन उन पर ओवरलोड है। यदि और ग्राउंड रहें तो अधिक से अधिक प्लेयर्स को मौका मिलेगा।

- साहिबा सिद्दीकी, खिलाड़ी

ग‌र्ल्स में भी फुटबॉल को लेकर इंटरेस्ट है, मगर यहां ब्वॉयज के लिए ही ठीक फैसिलिटी नहीं है, ग‌र्ल्स के बारे में तो कोई सोचता नहीं है।

- सौम्या पांडेय, खिलाड़ी

वर्जन

ग‌र्ल्स किसी भी मामले में पीछे नहीं है। यहां बड़ी तादाद में ग‌र्ल्स भी प्रैक्टिस के लिए आती हैं। सिटी के साथ ही आउटर्स में फुटबॉल का क्रेज कम नहीं है।

- मोहम्मद नसीम, फुटबॉल कोच