- शहर में तंबाकू उत्पादों की रोजाना बिक्री है लाखों में

- पान मसाला, सिगरेट और तंबाकू महंगा होने के बाद बावजूद कम नहीं हुए नशाखोर

ALLAHABAD: आलोक सिंह एक ऑटोमोबाइल कंपनी में फील्ड ऑफिसर हैं। उनकी सैलरी पंद्रह हजार रुपए है। वह स्मोकिंग करते हैं और रोजाना बीस सिगरेट पी जाते हैं। इस तरह से उनकी एक तिहाई सैलरी हर महीने धुएं में उड़ रही है। यह तो महज एग्जाम्पल है। ऐसे लाखों लोग हैं जो रोजाना तंबाकू, सिगरेट, पान मसाला की लत पर बड़ी रकम खर्च कर देते हैं। जिसकी वजह से शहर में तंबाकू उत्पादों की बिक्री का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। सरकार द्वारा वैट टैक्स में बढ़ोतरी किए जाने के बाद उत्पाद महंगे हुए लेकिन बिक्री पर बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ा।

आठ से दस लाख रुपए की बिक्री

तंबाकू से होने वाले नुकसान को लेकर सरकार भले ही लोगों को लाख जागरुक करने की कोशिश करे लेकिन नशाखोरी कम होने के बजाय बढ़ रही है। केवल शहर में रोजाना आठ से दस लाख रुपए के तंबाकू, सिगरेट और पान मसाला की बिक्री हो रही है। इनमें सबसे ज्यादा डिमांड सिगरेट की है। कुल बिक्री का आधा हिस्सा स्मोकर्स अदा करते हैं। होल सेलर्स बताते हैं कि तंबाकू उत्पादों के मार्केट में सीमित ब्रांड हैं लेकिन इनकी डिमांड बहुत ज्यादा है।

पहले से ज्यादा बढ़ गया पान-मसाले का क्रेज

हाईकोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार ने प्रदेश में गुटखे की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था। कंपनियों ने इस आदेश का पालन करते हुए पान मसाले का प्रोडक्शन शुरू कर दिया लेकिन इसके साथ तंबाकू के पाउच फ्री कर दिए। इससे गुटखा प्रेमियों को ऑप्शन मिल गया। अब वह पान मसाले के साथ पहले से ज्यादा तंबाकू का सेवन कर रहे हैं, जो कि सेहत के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक है। कंपनियां तंबाकू के पाउच का पैसा पान-मसाले के जरिए वसूल कर रही हैं।

महंगाई भी कम नहीं कर पाई दीवानगी

सरकार द्वारा चालीस फीसदी वैट टैक्स में बढ़ोतरी किए जाने के बाद पान मसाले और सिगरेट के दाम तेजी से बढ़े हैं लेकिन इससे बिक्री पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है। लोग अपना नशा पूरा करने के लिए बढ़े हुए दाम देने को भी तैयार हैं। पान मसाले में एक तो सिगरेट में तीन रुपए तक की बढ़ोतरी हुई है, जिससे सरकार का रेवेन्यू भी बढ़ा है। दुकानदार कहते हैं कि महंगाई के चलते कुछ लोगों ने जरूर नशा छोड़ा है लेकिन उससे ज्यादा संख्या उन टीन एजर्स की है जो नशे की लत का शिकार हो रहे हैं।

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यह है चिंता का सबब

तंबाकू उत्पाद बेचने वाले कीडगंज के दुकानदार विवेक की मानें तो इस धंधे में ग्राहकों को बुलाना नहीं पड़ता है। वह खुद ब खुद चले आते हैं लेकिन चिंता का सबब है टीन एजर्स का नशे का शिकार होना। वह बताते हैं कि क्फ् से क्7 साल की उम्र के बच्चों में सिगरेट की लत तेजी से बढ़ रही है। अपना स्टेटस सिंबल मेंटेन करने और शोऑफ के चक्कर में वह शौकिया स्मोकिंग करते हैं और धीरे-धीरे एडिक्ट होने लगते हैं। शुरुआत में वह दस से पंद्रह रुपए की महंगी सिगरेट पीते हैं लेकिन नशे का शिकार होने के बाद 7 रुपए वाली सस्ती सिगरेट पीने से भी नहीं हिचकते।

फैक्ट फाइल

देश में तंबाकू से होने वाली बीमारियों के इलाज में सालाना होने वाला खर्च- ख्77म्क् करोड़ रुपए

देश भर में सालाना तंबाकू उत्पादों की कुल बिक्री- ख्ब्ब्00 करोड़

तंबाकू में पाए जाने वाले हानिकारक केमिकल- निकोटिन, अमोनिया, केडामिन

तंबाकू से होने वाली बीमारियां-रसौली, टीबी, कैंसर, अस्थमा और मेंटल डिसार्डर

शहर में तंबाकू उत्पादों की रोजाना बिक्री- 8 से क्0 लाख

किसी भी तरह के तंबाकू उत्पाद यूज करने वाले लोगों की संख्या-भ्0 से म्0 फीसदी

टीन एजर्स में सिगरेट की बढ़ रही सिगरेट की लत-क्फ् से क्7 साल के उम्र के

फेमस ब्रांड की सिगरेट की कीमत- सात से बारह रुपए

पान मसालों की कीमत-ढाई से पांच रुपए तक

तंबाकू और सिगरेट के दाम बढ़ने के बाद नशा करने वालों की संख्या में थोड़ी कमी जरूर आई है, लेकिन बिक्री के ग्राफ में बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है। शहर का प्रत्येक होल सेलर दिनभर में हजारों की बिक्री करता है। यह माल पार्चून की दुकान से लेकर पान की दुकानों पर बेचा जाता है।

राज, होल सेलर, कटरा

शहर में तंबाकू उत्पादों की बिक्री बड़े पैमाने पर होती है। रोजाना लाखों रुपए का मार्केट है। सबसे ज्यादा सिगरेट बिकती है। इसके पान-मसाला बेचा जाता है। तंबाकू का मार्केट इन दोनों से कम है। क्ख् रुपए से कम कीमत की सिगरेट पीने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है।

ब्रजेश, होल सेलर, मुट्ठीगंज

क्लीनिक में आने वाले अस्थमा और सीओपीडी के कुल मरीजों का एक बड़े हिस्से के बीमार होने का मुख्य कारण स्मोकिंग है। चिंता की बात यह है कि इनमें यंगस्टर्स की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। कम उम्र में नशे की लत में पड़ने के कुछ साल बाद इसका असर दिखने लगता है।

डॉ। आशुतोष गुप्ता, टीबी एंड चेस्ट स्पेशलिस्ट