आगरा। आई नेक्स्ट की मुहिम न तो कहो, रंग ला रही है। धीरे-धीरे ही सही लेकिन, लोग तम्बाकू, गुटखा, खैनी आदि तम्बाकू प्रोडक्ट्स को छोड़ने के लिए आगे आ रहे हैं। इस बुरी लत के बाहर निकलने के लिए इसके विकल्प के तौर पर लोग आयुर्वेदिक औषधि को लेकर भी अवेयर हो रहे हैं।

बहुत परेशान थे हम

कारोबारी जीशान बताते हैं कि तम्बाकू-गुटखा की आदत की वजह से काफी परेशान थे। सालों से हर दिन कई-कई तम्बाकू-गुटखा के पाउच का सेवन किया करते थे। तम्बाकू विरोधी मुहिम से प्रेरणा ली। तम्बाकू की बुरी लत ने दिनचर्या भी खासी डिस्टर्ब कर रखी थी। यही वजह थी कि हम इसे छोड़ना चाह रहे थे लेकिन, चाहकर भी नहीं छोड़ पा रहे थे। अभियान से प्रेरणा लेकर हिम्मत आई। तय कर लिया कि अब इसे हाथ नहीं लगाना है।

मुझे बेटे की चिंता थी

सीनियर सिटीजन और कारोबारी श्रवण कुमार भी अपने बेटे संजय कुमार की बुरी आदत से बहुत परेशान आ चुके थे। किसी भी तरह से बेटे की यह खराब आदत छूटने का नाम ही नहीं ले रही थी। लेकिन, तम्बाकू विरोधी मुहिम के चलते बेटे को प्रेरित किया। इसी के चलते बेटे को आयुर्वेदिक औषधि भी दिलाना शुरू की। बेटे पर अब तम्बाकू हावी नहीं रहती है।

जरूरी है अवेयरनैस

युवा व्यापारी अखलाक अहमद सिद्दिकी बताते हैं कि वे सालों से तम्बाकू की लत में फंसे हुए थे। इसको छोड़ने की लिए छटपटा रहे थे। फिर हिम्मत कर तम्बाकू-गुटखा छोड़ने का संकल्प ले ही लिया। अखलाक के अनुसार आई नेक्स्ट की ओर से न तो कहो अभियान के बारे में लगातार पढ़ रहे थे। अखलाक का कहना है कि आई नेक्स्ट की ओर से शुरू की गई मुहिम से उस जैसे दूसरे बहुत सारे युवा तम्बाकू को लेकर अवेयर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि तम्बाकू-गुटखा, खैनी आदि के खिलाफ इस तरह की मुहिम बहुत जरूरी है।

लत छोड़ने को आए आगे

बल्केश्वर के रहने वाले विनीत भी दूसरों की तरफ तम्बाकू का सेवन करने के आदी थे। आई नेक्स्ट के अभियान न तो कहो के बारे में उन्होंने पढ़ा। समाज के रोल मॉडल बने विजय और मनोज के बारे में भी अखबार में पढ़ा। जिसके बाद विनीत ने तम्बाकू-गुटखा छोड़ने का मन बना लिया।

पहुंच रहे हैं औषधि लेने के लिए

सामाजिक संस्था प्रकृति प्रेम के अध्यक्ष श्याम पैंगोरिया बताते हैं कि आई नेक्स्ट के तम्बाकू विरोधी अभियान 'न तो कहो', के प्रकाशित होने के बाद लोग काफी अवेयर हो रहे हैं। इस अभियान के दौरान आई नेक्स्ट की ओर से तम्बाकू-गुटखा, खैनी छोड़ चुके लोगों को बतौर उदाहरण प्रस्तुत किया था। इसका लोगों पर काफी असर पड़ रहा है। अखबार में अभियान के बारे में पढ़कर तकरीबन आधा दर्जन से ज्यादा लोग रनेजाना आयुर्वेदिक औषधि लेने के लिए उनके पास बिजलीघर, शिवाजी मार्केट स्थित उनके प्रतिष्ठान पहुंच रहे हैं। लोग अपने परिजनों के लिए भी दवा लेकर भेज रहे हैं।

औषधि के लिए लटका है डिब्बा

कैंसर तक का कारण बन रही तम्बाकू-गुटखा, खैनी आदि तम्बाकू प्रॉडक्ट्स की बुरी लत से पीछा छुड़वाने के लिए लोग आयुर्वेदि औषधि का सहारा ले रहे हैं। संस्था प्रकृति प्रेम की ओर से लोगों का यह उपलब्ध कराई जा रही है। इसके लिए बिजलीघर, शिवाजी मार्केट स्थित प्रकृति प्रेम के कार्यालय पर एक डिब्बा लटका दिया गया है। यहां पहुंचकर लोग खुद ही विकल्प नाम की औषधि की पुडि़या निकाल लेते हैं। संस्था अध्यक्ष श्याम पैंगोरिया बताते हैं कि इस औषधि के सेवन से अब तक आठ हजार से अधिक लोग तम्बाकू छोड़ चुके हैं। औषधि की कीमत से तकरीबन दस गुना कम यानि महज दस रुपये का नोट लोग खुद ही इस डिब्बे में डाल देते हैं। यह व्यवस्था भी संस्था की ओर से इसलिए रखी गई है कि लोग औषधि को फेंकने के बजाय उसका सेवन भी करें।