इलाज न मिलने पर निजी हॉस्पिटल में भर्ती हुए घायल

मेडिकल इमरजेंसी में नहीं मिले प्लास्टिक और न्यूरो सर्जन

 

सर्जन का इंतजार

दरअसल, करनाल हाईवे पर मंगलवार सुबह वैष्णो देवी माता के दर्शन कर लौट रहे स्कार्पियो सवार नौ लोगों की मौत हो गई। हादसे के तीन घायलों को सुबह ही मेडिकल कॉलेज इमरजेंसी में भर्ती कराया गया था। घायलों में सात वर्षीय ओम और 13 वर्षीय अपर्णा के सिर और चेहरे पर चोट लगने के कारण उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी। करीब तीन घंटे तक दोनों बच्चे मेडिकल इमरजेसंी के ट्रॉमा सेंटर में बेहोश रहे। इस दौरान बच्चों को केवल प्राथमिक उपचार देकर ट्रॉमा सेंटर में रखा गया लेकिन न्यूरो व प्लास्टिक सर्जन का ट्रीटमेंट नहीं मिल सका। बच्चों की हालत बिगड़ता देख परिजन उन्हें तुरंत मेडिकल कॉलेज के ही सामने स्थित निजी हॉस्पिटल में ले गए।

 

200 करोड़ की इमरजेंसी

मेडिकल कॉलेज में करीब पांच साल पहले सौ करोड़ रूपये के बजट से अत्याधुनिक इमरजेंसी की शुरुआत की गई थी। करीब दो साल पहले इस इमरजेंसी में अत्याधुनिक ट्रामा सेंटर शुरू हुआ, जिसमें वेंटिलेटर की सुविधा भी थी। बावजूद इसके इमरजेंसी में अधिकतर एक्सीडेंटल केस के मरीजों को निजी हॉस्पिटल या दिल्ली को रैफर कर दिया जाता है। इमरजेंसी का उपयोग केवल जुकाम बुखार या पेट दर्द के मरीजों तक ही सीमित है।

 

सर्जन की कमी

मेडिकल इमरजेंसी में प्लास्टिक, न्यूरो और कार्डिक सर्जन का आभाव है। ऐसे में बीमारियों या दुर्घटना में ग्रस्त घायलों के लिए मेडिकल कॉलेज आना ही बेकार है।

 

न्यूरो व प्लास्टिक सर्जन मेडिकल कॉलेज में नहीं हैं। इसलिए घायलों को दिल्ली हायर सेंटर में रैफर किया गया था। परंतु परिजन अपनी मर्जी से घायलों को निजी हॉस्पिटल ले गए।

- डॉ। अजित चौधरी, सीएमएस

 

एक झपकी लील गई नौ जिदंगी

मंगलवार सुबह वैष्णों देवी से आ रही श्रद्धालुओं से भरी एक स्कार्पियो गाड़ी को नींद की झपकी ने हादसे का शिकार बना दिया। नींद की झपकी के कारण गाड़ी का बैलेंस बिगड़ा और वह पहले डिवाइडर से टकराई और फिर सामने से आ रहे ट्रक में जा घुसी। हादसे में दो परिवार के नौ लोगों की मौत हो गई। घायलों को मेडिकल इमरजेंसी में भेजा गया। मामले की जानकारी मिलते ही सबसे पहले मृतकों के पड़ोसी मेडिकल कॉलेज पहुंचे और मदद में जुट गए। उधर दुर्घटना की जानकारी मिलते ही एसपी सिटी समेत एडीएम, सीओ और मेडिकल थाना पुलिस, इमरजेंसी में पहुंच गए और मरीजों के परिजनों से बातचीत कर मामले की जानकारी ली।