ऐसी है जानकारी
गौरतलब है कि एंगस ने बताया था कि राष्ट्रीय आय जैसे औसत वाले आंकड़े भ्रामक हो सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उनमें अंतर छिपे होते हैं। उन्होंने बताया कि गरीबी को हटाने वाली कल्याणकारी आर्थिक नीति के लिए उन्हें व्यक्ितगत स्तर की खपत को ध्यान में रखना होगा। बता दें कि एंगस विदेशी सहायता के घोर विरोधी हैं। उनका अध्ययन विकासशील देशों की गरीबी मापने पर केंद्रित रहा है।
इसलिए मिला पुरस्कार
कुल मिलाकर एंगस को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार उपभोग, गरीबी व कल्याण के क्षेत्र में किए गए सराहनीय कार्यों के एवज में दिया गया है। पहली बार एंगस अपनी उपभोक्ता मांग पर बनाए गए मॉडल 'आलमोस्ट आइडियल डिमांड सिस्टम' के माध्यम से चर्चा में आए थे। इस मॉडल को इन्होंने जॉन मुलर के साथ मिलकर तैयार किया था।
अकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंस से भी जुड़े हैं
एंगस के बारे में बताया गया है कि ये ब्रिटिश अकेडमी और अमेरिकन अकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंस से भी लंबे समय से जुड़े हुए हैं। इस क्षेत्र में इन्होंने कई सराहनीय कार्य किए हैं, जिनके लिए इनको पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है। रॉयल स्वीडिश अकेडमी ऑफ साइंस ने बताया है कि एंगस ने लोगों के खपत संबंधी निजी फैसलों और समूची अर्थव्यस्था पर उसके असर में एक संबंध होने पर जोर दिया है।
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