- चार हजार करोड़ देने पर मिले 344 करोड़ रुपए
- टैक्स राशि का 10 फीसदी भी नहीं मिला मेरठ को
- इतने कम रुपयों में कैसे हो पाएगा मेरठ का विकास
Meerut : वेस्ट यूपी की राजधानी कहे जाने वाले मेरठ के साथ जिला योजना में एक बार फिर आजम खां चिल्लर पकड़ाकर चले गए। हजारों करोड़ रुपए कमाकर देने वाले मेरठ के साथ जिस तरह से सौतेला व्यवहार किया गया है वो हजम करने वाला नहीं है। क्योंकि जितना बजट जिला योजना में मेरठ को मिला है उससे तो मेरठ में पहले से ही चले आ रहे काम भी पूरे नहीं होंगे। आखिर क्यों हमेशा की तरह मेरठ के साथ सौतेला व्यवहार किया जाता है।
कमाई 4200 करोड़
अगर बात मेरठ जिले की कमाई की करें तो बीते 15 महीनों में 4258.63 करोड़ रुपए है। मेरठ की ये कमाई जिले की जनता की जेब से जाते हैं। जो टैक्स के रूप में होते हैं। हजारों करोड़ के रुपए के मुकाबले मात्र 344 करोड़ रुपए चिल्लर ही कहे जाएंगे। इस बारे में मीटिंग में तय करते वक्त किसी ने भी नहीं सोचा।
10 फीसदी भी नहीं है
ताज्जुब की बात तो देखिए कि मेरठ के लोगों की जेब से निकले रुपयों के मुकाबले मेरठ को विकास योजनाओं के लिए 10 फीसदी रुपया भी नहीं मिला है। क्या हम सेल्स टैक्स, इंटरटेंमेंट टैक्स, सर्विस टैक्स, इनकम टैक्स, वॉटर टैक्स, हाउस टैक्स, तमाम चीजों पर वैट और कई तरह के टैक्स यूं ही भर रहे हैं? पब्लिक अपनी गाढ़ी कमाई में से सरकार को टैक्स इसलिए देती है कि उन्हें मूलभूत सुविधाएं मिलें। अच्छी सपाट सड़के मिले। स्वास्थ्य सेवाएं मिले। पीने को पानी मिले। बिजली का अभाव न हो, लेकिन यहां पर इन सब चीजों का अभाव है। ऊपर से 344 करोड़ रुपए मजाक सहन करने लायक कतई नहीं है।
आखिर कैसे होगा विकास?
जिला विकास योजना के इन रुपयों को मेरठ के विभिन्न 44 डिपार्टमेंट के कामों में बांटा जाना है। हर काम के लिए अलग-अलग रकम तय की गई है। अगर 344 करोड़ रुपए को सभी 44 मदों में बराबर भी बांटा जाए तो 3.30 करोड़ रुपए होंगे। क्या शहर की पेयजल की व्यवस्था को मात्र 7.81 करोड़ रुपए में हल किया जा सकता है? एक फ्लाईओवर के लिए 7.81 करोड़ रुपए काफी होंगे? शहर की चिकित्सा व्यवस्था को ठीक करने के लिए करीब 100 करोड़ रुपए से ऊपर की बजट की जरूरत है। सवाल ये है कि इतने कम रुपयों में कैसे और कितना विकास होगा इस पर सवालिया निशान लग गया है।
सड़कें भी नहीं हो पाएंगी दुरुस्त
अगर सड़कों की बात की जाए तो जिला योजना के इन रुपयों से नई सड़कों की तो बात ही छोड़ दें, पुरानी सड़कों की मरम्मत का बजट भी कम पड़ जाएगा। पूरे जिले की पुरानी सड़कों की मरम्मत में 200 करोड़ रुपए चाहिए। वहीं सिटी की बात करें तो यहां की सड़कों की हालत सुधारने के लिए हर 100 करोड़ रुपए से अधिक की जरुरत है। ताकि लोगों को ट्रैवल करने में कोई दिक्कत या परेशानी न हो।
पचास फीसदी ही देते
मेरठ हर साल सरकार को चार हजार करोड़ रुपए देता है। सरकार भी इस बात का दावा करती है वो जो टैक्स ले रही है वो पूरा पब्लिक की ही सेवाओं में खर्च कर देती है, लेकिन वास्तविकता इसके पूरी तरह से विपरीत है। पब्लिक को अगर चार हजार करोड़ रुपए न देते सिर्फ उसका 50 फीसदी ही दे देते तो मेरठ के लोगों को थोड़ी राहत की सांस मिलती। विकास का कुछ काम मेरठ में दिखाई देता। कम से कम मेरठ को अच्छी सड़कें तो मिलती ही, लेकिन 344 रुपए की भीख देकर तो मेरठ को चिढ़ाने की कोशिश की गई है वो बर्दाश्त से बाहर है।
विकास के हिसाब से काफी कम बजट रखा गया है। जबकि मेरठ यूपी गवर्नमेंट को अरबों-खरबों की आमदनी करके देता है। मेरठ के साथ हमेशा ही सौतेला व्यवहार किया जाता रहा है।
- राजेंद्र अग्रवाल, सांसद
344 करोड़ रुपए मेरठ के विकास के लिहाज से कुछ भी नहीं। इतने रुपए में तो कुछ ही मदों में काम शुरू होगा। पूरा होगा या नहीं इस बात की कोई गारंटी नहीं है। इस बारे में यूपी सरकार को सोचना चाहिए था।
- रविंद्र भड़ाना, विधायक, मेरठ दक्षिण
कुछ इस तरह 15 महीने की कमाई
2014-15 कमाई
अप्रैल 2,79,54,08,772
मई 2,51,22,50,703
जून 2,43,68,77,558
जुलाई 2,58,70,63,355
अगस्त 2,49,83,07,629
सितंबर 2,61,54,70,598
अक्टूबर 2,72,86,25,922
नवंबर 2,81,46,58,587
दिसंबर 2,83,85,13,312
जनवरी 2,47,12,97,430
फरवरी 2,54,98,23,982
मार्च 4,63,43,20,853
2015-16
अप्रैल 2,29,67,17,878
मई 3,31,24,62,648
जून 3,49,45,25,960