ये बोलीं हेपतुल्ला
नजमा हेपतुल्ला कहती हैं कि लोग कहते हैं कि मुस्लिम आज अलग-थलग महसूस कर रहे हैं. ऐसा नहीं है. मुस्लिम तो आजादी के बाद से ही खुद को अलग-थलग महसूस करते आए हैं. इसका कारण है उन्हें सबसे ज्यादा पिछड़ी स्थिति में भेज देना. दरअसल एक कार्यक्रम के दौरान नजमा इस सवाल का जवाब दे रही थीं कि क्या दक्षिण पंथी तत्वों की आपत्तिजनक टिप्पणियां व घृणित भाषण मोदी सरकार के शासनकाल में मुस्लिम समुदाय को अलग-थलग करने के लिए जिम्मेदार हैं. इसके जवाब में नजमा कहती हैं कि वे पहले से ही अलग-थलग थे. ये सिर्फ आज की ही बात नहीं है. वे आजादी के बाद से ही सबसे ज्यादा पिछड़ी जाति में थे. ऐसा भी इसलिए क्योंकि शैक्षणिक व आर्थिक रूप से भी इन्हें हमेशा अलग-थलग रखा गया है. उनका कहना है कि यहीं से पूरी स्थिति की शुरुआत हुई है. इसके इतर नजमा ने कांग्रेस पर जोरदार धावा बोला.

कुछ ऐसे किए कटाक्ष
उनका कहना था कि अपने उत्तरोतर शासन में कांग्रेस पार्टी ने मुस्लिमों को सिर्फ मौखिक रूप से ही समर्थन दिया है. वहीं मौजूदा सरकार ने नीतिगत पहलुओं और कार्यक्रमों के माध्यम से चीजों को रफ्तार देनी शुरू की है. इस दौरान नजमा ने अमेरिका के धार्मिक पैनल की उस रिपोर्ट को भी सिरे से खारिज किया है, जिसमें यह कहा गया था कि 2014 के आम चुनावों के बाद से भारत में सांप्रदायिक माहौल बहुत हद तक बिगड़ा है. इसपर उन्होंने कहा कि विदेश में बैठे लोग अक्सर बातों की वास्तविकता से काफी दूर होते हैं. उन्हें करीब की हकीकत मालूम नहीं होती.

सीधे-सीधे कांग्रेस को ठहराया जिम्मेदार
कांग्रेस को लेकर नजमा ने कहा कि जिस पार्टी ने आज तक 1984 के सिख-विरोधी दंगों को अंजाम देने की जिम्मेदारी नहीं ली, वह अल्पसंख्यकों के हितों की बात न ही करे तो बेहतर होगा. गौरतलब है कि 2004 में नजमा कांग्रेस छोड़ चुकी हैं. सिख विरोधी दंगों को कांग्रेस से जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि उनके शासनकाल के दौरान सिखों का कत्लेआम किया गया, लेकिन अब तक क्या उन्होंने उसकी कोई भी जिम्मेदारी लेने की सोची. नजमा ने आरोप लगाया कि आज ज्यादातर मुस्लिम सरकारी सेवाओं से वंचित हैं. इसकी असल जिम्मेदार न तो भाजपा है और न ही आरएसएस. सरकार तो कांग्रेस की थी. ऐसे में वही इसकी जिम्मेदार भी होगी.

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