संभाल रही हैं अति प्राचीन मां खेमामाई मंदिर की पूरी व्यवस्था

ALLAHABAD: सपने को पूरा करने के लिए इंसान वह सब कुछ करता है जिससे उसकी मंजिल मिल जाए। ऐसे ही एक सपने में मां भगवती का दर्शन करने के बाद कंचन मालवीया ने पूरा जीवन उन्हीं को समर्पित करने का निर्णय ले लिया। इस समय 57 वर्षीय कंचन लोक नाथ चौक में अति प्राचीन मां खेमामाई मंदिर की पूरी व्यवस्था संभाल रही हैं।

26 वर्षो से अनवरत सेवा

गौरी पाठशाला इंटर कालेज के बगल में छोटे भाई शिवजी मालवीया के साथ रहने वाली कंचन पिछले 26 वर्षो से मंदिर की व्यवस्था देख रही हैं। रोज सुबह साढ़े छह बजे मंदिर पहुंचकर परिसर की साफ-सफाई से लेकर माता रानी को स्नान कराती हैं और उनका श्रृंगार करने के बाद आरती उतारती हैं। नवरात्र के दौरान भोर में पांच बजे से देर रात बारह बजे तक वह मंदिर परिसर में ही रहती हैं।

बोलने की शैली ने बनाया दीदी

इतने लम्बे समय से मंदिर की व्यवस्था संभालने वाली कंचन को चौक एरिया में लोग दीदी के नाम से पुकारते हैं। उनके छोटे भाई शिवजी मालवीय ने बताया कि जिस किसी भक्त की मनोकामना पूरी हो जाती थी तो वह मंदिर में आता था। तब मेरी बहन की बोलने की शैली व मंत्रोच्चार व पूजन कराने से पे्ररित होकर लोगों ने उन्हें दीदी कहना शुरू कर दिया।

शादी से साफ कर दिया इंकार

कंचन मालवीया के दादा स्व। रामजी मालवीया अस्सी वर्ष पहले इस मंदिर के पुजारी थे। 1965 में उनकी मृत्यु हो गई तो बेटे राम बाबू मालवीया ने पुजारी की जिम्मेदारी ली। वर्ष 1971 में उनका भी निधन हो गया। इसके बाद माता जी ने बड़ी बेटी सुमन की शादी कर दी। जब उन्होंने कंचन से शादी की बात शुरू की तो उन्होंने साफ इंकार कर दिया। तब माता जी ने पूछा कि ऐसा क्यों कर रही हो तो उन्होंने कहा कि मां भगवती का दर्शन सपने में हुआ था अब उन्हीं के चरणों में जीवन व्यतीत करना है।

एक सपने ने मेरी दुनिया बदल दी। अब मेरे जीवन का एकमात्र उद्देश्य मातारानी के चरणों में रहना है। मैंने जीवन में यह कभी नहीं सोचा कि मंदिर की व्यवस्था संभालने पर लोगों की राय क्या होगी। सब कुछ मां को समर्पित कर दिया है।

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