- स्कूलों में ट्रेनिंग नहीं होने पर सीबीएसई सख्त

- स्कूलों को जारी निर्देश, सीबीएसई ही सेंटर्स बनाकर कराएगा ट्रेनिंग

आई एक्सक्लूसिव

पारुल सिंघल

मेरठ। स्कूल्स में टीचर्स को समय-समय पर अपग्रेड कराना जरूरी है। इसके लिए बकायदा स्कूलों में ट्रेनिंग सेशन जरूरी है लेकिन स्कूल ऐसा नहीं कर रहे हैं। इस पर सीबीएसई ने सख्त रूख अख्तियार अपनाते हुए खुद ही ट्रेनिंग करवाने का बीड़ा उठाया है। यही नहीं अगर स्कूलों में इसमें लापरवाही बरती तो सीबीएसई के साथ उनका एफिलिएशन खत्म भी हो सकता है।

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सीबीएसई ने बनाएं सात सेंटर्स

टीचर्स के टीचिंग-लर्निंग एक्सपीरियंस को एन्हांस करने और पढ़ाई के इनोवेटिव तरीकों को आपस में बांटने के लिए सीबीएसई ने गुरुग्राम, काकीनाड़ा, कोलकाता, कोच्चि अर्नाकुलम, पंचकुला, पुणे और रायबरेली में ट्रेनिंग सेंटर्स बनाएं हैं।

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लापरवाही पर भुगतेंगे खामियाजा

राइट टू एजुकेशन एक्ट 2005 के तहत हर स्कूल को अपने टीचर्स को अपडेट करने के लिए साल में अलग-अलग तरह की ट्रेनिंग वर्कशॉप आयोजित करनी होती है। इसमें साल भर में कुल पांच दिन के लिए टीचर्स और 7 दिन के लिए प्रिंसिपल्स की ट्रेंिनंग करवानी होती है। टीचर्स के लिए करीब 1 सप्ताह के ट्रेनिंग प्रोग्राम को देशभर में सीबीएसई आयोजित करेगा। इसका फायदा स्टूडेंट्स को अपडेट लर्निग्स और उनके स्किल्स डेवलप करने में काफी सहायक होगा।

स्कूल्स टाइम टू टाइम ट्रेनिंग करवा रहे हैं। टीचर्स के साथ प्रिंसिपल्स के लिए भी ट्रेनिंग आयोजित करवाई जाती है। सभी स्कूल्स अपने स्तर से इसमें भाग लेते हैं।

राहुल केसरवानी, सहोदय अध्यक्ष

एजुकेशन की नई नीतियों को समझने के लिए ट्रेनिंग सबके लिए जरूरी है। हम अपने स्कूल में भी ट्रेनिंग करवाते हैं।

विनीता गुप्ता ,प्रिंसिपल, राधा गोविंद पब्लिक स्कूल

बच्चों को बेहतर एजुकेशन देने के लिए ये ट्रेनिंग होना जरूरी है। हम लगातार ट्रेनिंग करवाते हैं। इसका फायदा सीधे बच्चों की क्वालिटी एजुकेशन पर पड़ता है।

मृणालिनी अनंत, प्रिंसिपल, एमपीजीएस