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PATNA CITY : शहरों के बड़े-बड़े मार्केट के अलावा ग्रामीण बाजार भी भारतीय अर्थव्यवस्था में काफी अहम रोल निभाता है। इस साल बेहतर मॉनसून और अच्छी फसल के चलते परवान चढ़ती किसानों और कारोबारियों की उम्मीदों पर नोटबंदी ने पानी फेर दिया है। व्यवसायियों को उम्मीद थी की बेहतर फसल के कारण इस साल बाजार में बहार आएगी लेकिन सरकार द्वारा एकाएक बड़े नोटों को बंद करने और उससे उत्पन्न नकदी की किल्लत ने बाजार को ठप सा कर दिया है। नोटबंदी के बाद बाजार का हाल जानने के लिए बुधवार को आई नेक्स्ट की टीम ने सिटी के थोक मंडियों का जायजा लिया तो कई बाते सामने आई, पेश है बाजार का हाल व्यां करती खास रिपोर्ट

अभी भी है नकदी की कमी

पटना सिटी के थोक मंडी व्यापारियों का कहना है कि शुरुआत में कुछ दिनों तक किसान अपनी फसल और अनाज मंडी में लेकर आए लेकिन कुछ दिनों के बाद यह सिलसिला रुक गया क्योंकि थोक विक्रेता और कमीशन एजेंटों के पास नकदी नहीं है और किसान भ्00 और क्,000 रुपए के पुराने नोटों में भुगतान स्वीकार नहीं कर रहे हैं। नकदी की तंगी के कारण सभी थोक बाजारों का कमोबेश एक सा हाल है। वहीं कारोबारियों को बैंकों से आरटीजीएस नहीं होने एवं रुपया निकालने में सीमा की बाध्यता होने के कारण परेशानी है। जिस सामान की बाजार में कमी हुई और बाजार में मांग है, ऐसे सामान की कीमत में खासा वृद्धि थोक मंडियों में दर्ज की गई है।

आनाज हुए महंगे

सिटी के कारोबारियों ने बताया कि सरसो तेल की क्भ् किलो की केन पर ख्0-ब्भ् रुपए प्रति केन बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसी तरह रिफाइंड में क्भ् लीटर के टीन पर 7भ्-क्ब्भ् रुपए प्रति टीन और डालडा में म्भ्-9भ् रुपए प्रति टीम की वृद्धि दर्ज की गई है।

महाराजगंज खाद्यान्न व्यवसायी संघ के अध्यक्ष जितेंद्र गुप्ता की माने तो चावल एवं दाल की कीमत नोटबंदी के बाद गिरा है इसका कारण है कि पहले भी चावलटैक्स और टॉल फ्री था। इसके कारोबारिया जो टीन, वैट नंबर रखे थे और एक नंबर में काम कर रहे थे, उनको माल मंगाने और बेचने में कोई परेशानी नहीं हो रही है। जो लोग दो नंबर से काम करते थे, उनके लिए समस्या हो गई है। इस बार फसल ठीक होने से आमदनी भी ठीक है। और मंडी में चावल और दाल दोनों आ रहा है। दोनों की कीमत में गिरावट हुई है।

नोटबंदी ने तो घर का बजट बिगाड़ दिया है

इस समय मांग बढ़ने एवं आवक नहीं होने के साथ ही नोटबंदी के कारण तेल, रिफाइंड एवं घी के दाम में वृद्धि हुई है।

-कृष्ण कुमार, तेल-घी कारोबारिया

महंगाई ने तो बजट बिगाड़ दिया है। एक तो छोटे नोट और दो हजार के नोट से परेशानी है।

-लक्ष्मी गुलाटी, टीचर

चावल एवं दाल में उत्पादन के साथ आवक ठीक होने से दाम गिरा है। दो नंबर से कारोबार करने को परेशानी हो रही।

-जितेंद्र गुप्ता, अध्यक्ष महाराजगंज किराना व्यवसायी संघ

आम आदमी परेशान है। नोटबंदी ने कारोबार से लेकर दिनचर्या को बाधित किया है। महंगाई का असर है।

-आलोक कृष्ण, बिजनेसमैन