-नोट बंदी के साइड इफेक्ट से उबरने की कोशिश में जुटे व्यापारी
-रिटेल मार्केट पर नोटबंदी ने सबसे डाला है साल भर में असर
ALLAHABAD: आज से ठीक एक साल पहले 8 नवंबर की रात अचानक देश में हजार और पांच सौ की नोटों पर पाबंदी लग गई थी। शहर के व्यापारी आज भी नोटबंदी के इस झटके से उबरने की कोशिश में लगे हुए हैं। व्यापारियों की मानें तो नोटबंदी का असर शुरू में तो जरूर बेहद परेशान करने वाला रहा। लेकिन कुछ महीनों बाद लोग इसके आदी होते गए। नतीजा यह हुआ कि धीरे-धीरे ही सही नोटबंदी से मार्केट उबरने लगी है। अभी बीते दिनों से परचेजिंग पावर में सरकार की ओर से की गई बढ़ोत्तरी का असर भी कुछ दिनों से मार्केट में दिखाई देने लगा है।
अचानक धड़ाम हुआ था व्यापार
सिटी में नोटबंदी के असर की बात करें तो रिटेल मार्केट इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ था। इस लेकर दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की टीम ने सिटी के व्यापारियों से बातचीत की। व्यापारियों की राय काफी अलग-अलग मिली। सिटी के ज्वैलरी व्यापारी राजवंश आभूषण कारोबारी अभिनव की मानें तो नोटबंदी होने से आभूषणों की खरीददारी पर बहुत असर पड़ा। नोटबंदी के बाद जहां लगन के समय लोग लाखों के आभूषण खरीदते थे। वह अचानक से लिमिटेड खरीददारी करने लगे। इससे व्यापार पिछले साल के मुकाबले डाउन हो गया। हालांकि कुछ महीनों बाद ही लोगों में भी धीरे-धीरे इसको लेकर असर कम होने लगा।
कपड़ा मार्केट रहा बेअसर
कपड़ा व्यापारियों के मुताबिक उनके सेगमेंट पर नोटबंदी ने कम असर डाला। उमंग साड़ी के मालिक उमंग बताते हैं कि अचानक से हुई नोटबंदी ने शुरू में परेशान किया था। इसके बाद लोगों को भी उसकी आदत पड़ गई। उस समय लोग नोट बदलने के चक्कर में पड़ गए। इससे खरीदारी काफी प्रभावित हुई। इससे कुछ समय तक मार्केट काफी मंदी से गुजरा, हालांकि धीरे-धीरे ही सही रफ्तार फिर से पकड़ने लगी। जहां तक शादी ब्याह के सीजन की बात कहें तो साडि़यों की खरीददारी में कोई खास फर्क नहीं पड़ा।
ऑनलाइन से ज्यादा ऑफलाइन पर नजर
देश में अचानक से हुई नोटबंदी के बाद ऑन लाइन बाजार ने तेजी पकड़ी, लेकिन कुछ समय बाद ही सही सिटी के लोगों का अलग-अलग ट्रेड में ऑनलाइन से मोह भंग होता भी दिख रहा है। सिटी के रेडीमेट कपड़ा व्यापारी और कर्व के ओनर विक्रांत का कहना है कि नोटबंदी के बाद अचानक से ऑनलाइन मार्केट में बूम देखा गया। लेकिन ऑनलाइन मार्केट के जरिए शॉपिंग करते समय इस बात को तय करना मुश्किल होता है कि उसमें फैब्रिक की क्वॉलिटी कैसी है?
पेमेंट पर भी दिखा असर
व्यापारियों का मानना है कि नोटबंदी का सबसे ज्यादा असर खरीददारी के बाद पेमेंट को लेकर हुआ। लेकिन साल बीतते-बीतते कैश पेमेंट की आदत कार्ड पेमेंट में बदल गई। आज बड़ी संख्या में दुकानों में कार्ड स्वैप करने की मशीन से लेकर पेटीएम की सुविधा उपलब्ध है। नोटबंदी से दिखे इस असर को पॉजिटिव वे में लिया जा सकता है। पहले महज 25-30 प्रतिशत लोग ही कार्ड से पेमेंट करते थे। आज ये आंकड़ा पचास प्रतिशत तक पहुंच गया।
हावी रहीं दिक्कतें
नोटबंदी के बाद जब दो हजार रुपए के नोट मार्केट में आए तो फुटकर को लेकर काफी मारामारी मची थी। आज भी सौ रुपए और पचास के नए नोट जारी होने के बाद भी मार्केट में सही प्रकार से उन नोटों का वितरण नहीं होने के कारण स्थिति लगभग वैसे ही बनी हुई है।
वर्जन
- नोटबंदी के समय लोगों ने जो पैसे रखे तो उसे जमकर खर्च किया। उसके बाद फिर लोग पैसों को जुटाने में लग गए। छह महीने तक असर दिखा, लेकिन अब फिर से स्थिति पटरी पर आने लगी है। रेडीमेट कपड़ों पर शुरू में ऑन लाइन मार्केट के बूम होने से असर दिखा, लेकिन यहां भी स्थिति अब समान्य हो रही है।
विक्रांत
कर्व
- मार्केट स्टेबिल नहीं हुई, जिनको जरूरत थी, उस समय उन्होंने ही खरीदारी की। 50 हजार लिमिट होने का भी बहुत असर दिखा। फिलहाल दो लाख लिमिट होने के बाद मार्केट अब पटरी पर लौटने की उम्मीद बढ़ी है।
अभिनव
राजवंश ज्वैलर्स
- नोटबंदी से शुरुआत में लोगों को दिक्कत हुई थी,लेकिन कुछ दिन बाद लोगों को भी आदत हो गई। देखा जाए तो 15 से 20 दिनों तक मार्केट पर बड़ा असर दिखा।
उमंग
उमंग सारी
- नोटबंदी के कारण अभी तक परचेजिंग पावर कम हुई थी, मार्केट की हालत खराब थी। ऑन लाइन मार्केट इससे अधिक इफेक्टिव हुए। कपड़े की मार्केट पर ज्यादा असर नहीं हुआ।
प्रदीप गुप्ता
च्वाइंस प्वाइंट