नोटिस को वारंट और सम्मन का दिया गया नाम
मामले की जानकारी के बाद व्यापारियों में बढ़ा आक्रोश
ALLAHABAD: जीएसटी से पहले सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट के अधिकारी किसी व्यापारिक संस्थान में सर्वे करने जाते थे तो सर्वे फार्म भरते थे। उसमें सर्वे की डिटेल होती थी। जीएसटी में सर्वे में भरे जाने फार्म को पंचनामा का नाम दिया गया है। वहीं नोटिस को सम्मन और वारंट का नाम दिया गया है। सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से की जा रही कार्रवाई में पंचनामा, सम्मन और वारंट जैसे शब्दों को सुनने के बाद व्यापारियों में आक्रोश है।
कागजात मिलने पर चौंके व्यापारी
सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट के अधिकारियों द्वारा पिछले दिनों कई व्यापारिक संस्थाओं में सर्वे की कार्रवाई की गई। एक दर्जन से अधिक व्यापारियों के प्रतिष्ठान में हुए सर्वे से हड़कंप मचा रहा। टैक्स बकाया होने पर कई व्यापारियों को नोटिस भेजा गया। कार्रवाई के बाद अधिकारी चले गए, लेकिन, जब व्यापारियों को सर्वे का रिकार्ड व कागजात मिला तो वे आश्चर्यचकित रह गए। क्योंकि सर्वे फार्म में पंचनामा लिखा हुआ था। पंचनामा शब्द को पढ़ने के बाद व्यापारियों में इस बात पर चर्चा शुरू हो गई है कि अब व्यापार का भी पंचनामा होगा। व्यापारी व्यापार कर रहे हैं या फिर कोई गैर कानूनी काम।
कई और शब्द भी हुए हैं शामिल
सर्वे को पंचनामा का नाम दिए जाने के साथ ही नोटिस की कार्रवाई को सम्मन और वारंट का नाम दिया गया है। इसके अनुसार सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट के अधिकारी अब व्यापारी को सम्मन जारी कर बुलाएंगे और वारंट जारी कर कार्रवाई करेंगे। जीएसटी एक्ट के कार्रवाई कॉलम में बकायदा इन बातों का जिक्र है।
व्यापारिक कार्रवाई के लिए पंचनामा, सम्मन और वारंट जैसे शब्दों का इस्तेमाल किए जाने पर जीएसटी काउंसिल के साथ ही सरकार तक आवाज उठाई जाएगी। इन शब्दों के प्रयोग का विरोध किया जाएगा। इन्हें जीएसटी एक्ट से हटाने की मांग की जाएगी। जिस तरह वैट में सर्वे और नोटिस की कार्रवाई होती थी। वैसी व्यवस्था किए जाने की मांग की जाएगी।
संतोष पनामा
संयोजक
उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार कल्याण समिति
व्यापारी को अपराधी की श्रेणी में रख कर क्रिमिनल एक्ट के तहत कार्रवाई गलत है। जीएसटी काउंसिल को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए।
सतीश चंद्र केसरवानी
अध्यक्ष
गल्ला एवं तिलहन संघ