- बच्चों के बीमार होने के बाद कार्रवाई की तैयारी

- मिड-डे-मील वितरण के दौरान खाना चेक करने में लापरवाही के मामले में टीचर इंचार्ज को नोटिस जारी

- वहीं जबरदस्ती खाना खिलाने के मामले में एक टीचर को किया गया निलंबित

- संस्था की जांच करने पहुंची जिला प्रशासन की टीम

- एक ही संस्था के दो बार सामने आई लापरवाही

LUCKNOW: गरीब बच्चों को मुफ्त में एक समय का खाना देना सरकार और अधिकारियों के लिए बड़ा सिरदर्द साबित बनता जा रहा है। आए दिन प्राथमिक स्कूलों में बच्चों के लिए मिलने वाला मिड-डे-मील किसी न किसी कारण से चर्चा में बना रहता है। कभी खराब खाना देने तो कभी खाने में कीड़ा निकलने पर स्टूडेंट्स की ओर से खाना खाने से इंकार कर दिया जाता है। ऐसे में यह मिड-डे-मील बच्चों के लिए बड़ी मुसीबत है। राजधानी में बीते दो महीने में मिड-डे-मील खाने से 200 से अधिक बच्चों की जान पर बन आई थी। इतनी बड़ी संख्या में बच्चों को बीमार होने के मामले में बीएसए ने गुरुवार को दो शिक्षकों पर कार्रवाई करते हुए सभी स्कूलों को भविष्य के लिए गाइडलाइन जारी कर दिया है।

टीचर इंचार्ज को नोटिस एक टीचर को किया निलंबित

बीएसए ने गुरुवार को प्राथमिक विद्यालय जुग्गौर पर कढ़ी चावल खाकर बीमार पड़े 82 बच्चों के बीमार होने के मामले में कार्रवाई की। बीएसए ने इस पूरे मामले में लापरवाही बरतने के मामले में स्कूल के प्रधान अध्यापिका विमला सक्सेना व टीचर रेनू श्रीवास्तव को नोटिस जारी कर एक सप्ताह में जवाब मांगा है। तो वहीं दूसरी टीचर मंजू श्रीवास्तव को बच्चे की शिकायत के बाद भी खाने से बदबू आने के बाद उसे खाने पर मजबूर करने पर निलंबित कर दिया है।

अक्षयपात्र की किचन का किया गया दौरा

बुधवार को जुग्गोर प्राथमिक विद्यालय में मिड-डे-मील खाकर बीमार पड़े 82 बच्चों के मामला प्रकाश में आने के बाद डीएम की ओर से नगर मजिस्ट्रे शत्रोहन वैश्य की अध्यक्षता में एक विशेष टीम अक्षयपात्र भेजा। जहां पर टीम ने संस्था के किचन की पूरी जांच करने के बाद गुरुवार को मिड-डे-मील में बने रोटी सब्जी के नमूनों को भर कर जांच के लिए भेज दिया।

पिछले साल मिली नई संस्था को जिम्मेदारी

1995 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए आदेश के बाद पूरे देश में मिड-डे-मील योजना की शुरुआत की गई। इस योजना का मुख्य उद्देश्य था गरीब बच्चों को स्कूल में भरपेट भोजन मिले। साथ ही एक साक्षर भारत का निर्माण होगा। लेकिन सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी यह योजना ऐसा लगता है कि दम तोड़ रही है। राजधानी में भी इस योजना का बुरा हाल है। पिछले साल इसमें सुधार के लिए प्रदेश सरकार की ओर से राजधानी में मिड-डे-मील वितरण करने की जिम्मेदारी अक्षयपात्र फाउंडेशन को दी गई थी। इसके लिए इस संस्था को राजधानी के नगर क्षेत्र में करीब 72 हजार स्टूडेंट्स को मिड-डे-मील का वितरण करना था, इस काम को उसने इस साल अप्रैल मंथ से शुरू भी कर दिया। पर गर्मी की छुट्टी के बाद से खुले स्कूलों में जब दोबारा से मिड-डे-मील का वितरण शुरू हुआ, तब से दो माह के अंदर दो बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं।

दो महीने में दो बड़ी घटनाएं

अक्षयपात्र की ओर से परोसा जाने वाला मिड-डे-मील बच्चों के लिए मुसीबत इसलिए भी है क्योंकि ऐसी घटनाओं के बाद भी अभी तक न तो जिला प्रशासन और न ही बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी संस्था पर कोई सख्त कार्रवाई कर सके हैं। उल्टे अधिकारी संस्था के बचाव में खड़े दिख रहे हैं। वहीं इस संस्था की ओर से परोसे गए भोजन के नमूनों को पहले भी जांच के लिए भेजा गया, जिसकी रिपोर्ट आज तक नहीं आ सकी। मगर एक बार फिर से बुधवार को इसी संस्था की ओर से मिड-डे-मील में परोसे गए कढ़ी-चावल खाकर करीब 82 बच्चे बीमार हो गए। वहीं इससे पहले जुलाई में 72 बच्चों पर मिड-डे-मील की गाज गिरी थी। तब बच्चों को दूध के नाम पर बासी फ्लेवर्ड मिल्क पिला दिया गया था।

अब तक हुई घटनाएं

1. 14 जुलाई को नटकुर प्राथमिक स्कूल में मिड-डे-मील में बाल और चूने की शीशी मिली।

2. 15 जुलाई को क्वींस इंटर कॉलेज में कोफ्ते में निकला कीड़ा।

3. 21 जुलाई को पल्टन छावनी में खाने में निकला कीड़ा।

4. 22 जुलाई को हैवतमऊ प्राथमिक स्कूल में मिड-डे-मील में चूहे का मल निकला।

5. 23 जुलाई को पीजीआई क्षेत्र के स्कूल में बासी दाल परोसी गई।

6. 29 जुलाई को कैंट स्थिति आरए बाजार में दूध पीने से 72 बच्चे हुए बीमार।

7. 29 जुलाई को प्राथमिक स्कूल झिलझिला में मिड-डे-मील में कांच का टुकड़ा मिला।

8. दो सितंबर को चिनहट प्राथमिक विद्यालय में कढ़ी खाने से 82 बच्चे हुए बीमार।

खाने की क्वालिटी खराब होने पर हम सीधे संस्था को दोषी नहीं ठहरा सकते हैं। अभी इस मामले की जांच रिपोर्ट आने का वेट किया जा रहा है। अगर संस्था का खाना खराब होता तो और स्कूलों में मामला संज्ञान में आता।

- श्रद्धा मिश्रा,

डायरेक्टर, एमडीएम

मामले की जांच के लिए डीएम ने एक टीम बनाई है, हमारी प्रारंभिक जांच में स्कूल की तरफ से लापरवाही सामने आई है। जिसमें दो टीचर्स को नोटिस व एक को निलंबित कर दिया गया है।

- प्रवीण मणि त्रिपाठी, बीएसए