PATNA :

अब नियोजित शिक्षकों नियमित शिक्षकों के समान मिलेंगी। इससे राज्य के ब्,0भ्फ्ब्7 शिक्षकों को लाभ मिलेगा। इसमें नियोजित प्रशिक्षित, अप्रशिक्षित प्राथमिक माध्यमिक ,उच्च माध्यमिक एवं पुस्तकालयाध्यक्ष शामिल है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकार पर ख्9ब्8.ब्9 करोड़ रुपए का अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ेगा।

 

संविधान के विपरीत नियमावली

इसके साथ ही अदालत ने शिक्षक नियमावली ख्00म् की धारा म् एवं 8 को संविधान के विपरीत करार कर दिया है। अदालत ने

अपने फैसले में सारे शिक्षकों को एक समान वेतन एवं सुविधायें नहीं दिए जाने पर

संविधान के अनुच्छेद क्ब् का उल्लंघन करार किया है।

इस मुद्दे पर 9 अक्टूबर को पटना हाईकोर्ट ने विस्तृत सुनवाई पूरी कर अपना फैसला

सुरक्षित कर लिया था। जिस पर मंगलवार को नियोजित शिक्षकों के पक्ष में फैसला

सुनाया गया।

 

सरकार का सौतेला व्यवहार

मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन एवं न्यायाधीश डॉ। अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने बिहार सेकेंडरी टीचर्स स्ट्रगल कमेटी की याचिका पर पक्ष रखते हुए अधिवक्ता संजीव कुमार का कहना था कि यह राज्य सरकार का सौतेला व्यवहार है। जबकि अनेक

राज्यों में ऐसी विषमताओं को खत्म कर दिया गया है। याचिका में बिहार जिला परिषद माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक शिक्षक (नियोजन एवं सेवा शर्त) नियमावली, ख्00म् की नियमावली म् एवं 8 को चुनौती दी गई थी। इन दोनों नियमों में नियोजित शिक्षकों एवं स्थायी शिक्षकों के बीच भेद भाव किया गया था। इस नियमावली द्वारा नियोजित शिक्षकों को किसी अन्य प्रकार का भत्ता जैसे महंगाई भत्ता ,आवास भत्ता, चिकित्सा भत्ता परिवहन भत्ता नहीं दिए जाने की बात कही गई थी इन्हें अन्य कई सुविधाओं से वंचित रखा गया है।

 

स्कूलों के वेतन में बड़ी विषमता

खंडपीठ ने भी कटाक्ष करते हुए कहा था कि यह कैसी व्यवस्था है कि एक शिक्षक प्रतिमाह ख्भ् हजार रुपए प्रतिमाह वेतन लें जबकि उसी स्कूल के दूसरे शिक्षक 8 हजार रुपए लेकर संतोष करे। खंडपीठ ने सरकारी वकील से कहा उस नियोजित प्रिसिंपल के बारे में सोचिए जिसके दस्तखत से चपरासी प्रतिमाह ख्भ् हजार रुपए वेतन उठाता है और स्वयं 8 हजार रुपए वेतन लेकर संतोष करता है। इससे बड़ी विषमता क्या हो सकती है। अधिवक्ता राजीव कुमार सिंह एवं अधिवक्ता दीनू कुमार ने इस नियमावली को मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया था। राज्य सरकार की तरफ से कहा गया उन शिक्षकों को यह नहीं भूलना चाहिए जब उनकी नियुक्ति की गई थी तो साफ तौर पर कहा दिया गया था कि नियमों एवं शर्तो के आधार पर वे नियुक्त किए गए थे।