यूपी के लिए उन्होंने 2003-04 से खेलना शुरू किया था

यूपी के रायबरेली के रहने वाले आरपी भारत की तरफ से 14 टेस्ट मैच और 58 वनडे खेल चुके हैं। यूपी के लिए उन्होंने 2003-04 से खेलना शुरू किया और अब तक वो 83 फ‌र्स्ट क्लास मैचों में 266 विकेट चटका चुके हैं। उन्होंने यूपी की ओर अपना आखिरी मैच इंदौर में इसी साल 29 मार्च को रेलवे के खिलाफ खेला था।

फैसले का सम्मान हो

यूपीसीए के सीओओ और आरपी के कोच रहे दीपक शर्मा ने भी इसकी पुष्टि की है। उनका मानना है कि आरपी ने यह फैसला इमोशनल होकर नहीं बल्कि प्रोफेशनल होकर लिया है। उनके इस फैसले का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, 'आरपी ने इस महीने की शुरुआत में ही यूपीसीए से एनओसी मांगी थी, जो उन्हें दे दी गई है। यह युवा खिलाडि़यों के पक्ष में लिया गया फैसला है, जिसके लिए उन्हें आरपी को धन्यवाद देना चाहिए। कैफ की तरह आरपी भी चाहते हैं कि अब युवा खिलाड़ी यूपी में उनकी जगह लें.' शर्मा के मुताबिक, 'आरपी का यह फैसला सुनने के बाद आला अधिकारियों ने उनसे बात की, लेकिन वो अपने फैसले पर अड़े रहे.' आरपी के कोच के तौर पर शर्मा ने माना कि इस फैसले से वो निराश हैं, लेकिन उन्होंने आरपी पर भरोसा जताया। उन्होंने कहा, आरपी जहां से भी खेलेगा, वहां नाम कमाएगा। वहीं यूपी में भी युवाओं की भौज में से कोई न कोई उसकी भरपाई करने में सफल रहेगा।

कहीं गुटबाजी तो नहीं है वजह!

यूपी टीम ने बीते कुछ साल में डॉमेस्टिक क्रिकेट में बेहद दयनीय प्रदर्शन किया है। इसकी बड़ी वजह कुछ सीनियर खिलाडि़यों की गुटबाजी को भी माना जाता है। बीते कुछ सीजंस में टीम एकजुट होकर परफॉर्म नहीं कर सकी। कभी कोई एक खिलाड़ी अच्छा खेला तो कभी कोई दूसरा। इसका असर नतीजों पर भी पड़ा। गुटबाजी का आलम ये रहा कि वेंकटेश प्रसाद जैसा इंटरनेशनल खिलाड़ी भी बतौर कोच इस टीम को संभाल नहीं सका। सूत्रों की मानें तो कई खिलाड़ी तो वेंकटेश की भी नहीं सुनते थे। वहीं कुछ जूनियर खिलाड़ी भी टीम में अनदेखी का शिकार रहे। सीनियर खिलाडि़यों की वजह से उन्हें टीम में मौका नहीं दिया गया। आरपी भी कभी चोट की वजह से तो कभी व्यस्तता के कारण टीम से अंदर-बाहर होते रहे। माना जा रहा है कि आरपी के यूपी छोड़ने की एक वजह ये भी हो सकती है।

प्रदर्शन पर नहीं पड़ेगा असर

यूपी टीम में आरपी सिंह के जाने का कोई ज्यादा असर नहीं होगा, क्योंकि इम्तियाज अहमद, अमित मिश्रा, प्रवीण कुमार और अंकित राजपूत जैसे कई खिलाड़ी इसकी भरपाई में सक्षम हैं। खासतौर पर इम्तियाज, अंकित और प्रवीण टीम के बॉलिंग अटैक की बैक बोन माने जाते हैं। अंकित राजपूत की मानें तो वो खुद भी आरपी के फैसले से हैरान हैं। हालांकि वो भी मानते हैं कि यह प्रोफेशनल फैसला है, क्योंकि गुजरात टीम में पेसर्स की काफी कमी है। अंकित के मुताबिक, 'आरपी भाई की मौजूदगी में हमें काफी सपोर्ट मिलता है। वो इंटरनेशनल प्लेयर रहे हैं और अक्सर मैच के दौरान हमें गाइड करते थे। निश्चित तौर पर उनकी कमी टीम को खलेगी। हालांकि प्रदर्शन पर इसका ज्यादा असर नहीं होगा.'

गुजरात से है पुराना नाता

आरपी सिंह का गुजरात से नाता 2 साल पुराना है। दरअसल उनकी वाइफ देवांशी पोपट गुजरात के अहमदाबाद से ही ताल्लुक रखती हैं। देवांशी और आरपी की मुलाकात एक रणजी मैच के दौरान हुई थी। उन्हें एक कॉमन फ्रेंड ने मिलवाया था। जहां तक गुजरात टीम की बात है तो नियमानुसार एक टीम से तीन प्रोफेशनल खिलाड़ी खेल सकते हैं। मौजूद समय में गुजरात की टीम में रमेश पोवार और वेणुगोपाल राव बतौर प्रोफेशनल प्लेयर खेल रहे हैं।

Report by: rajeev.tripathi@inext.co.in