Allahabad : किसी भी वर्किंग सिस्टम में जूनियर को हमेशा सीनियर ही आर्डर देता है। लेकिन जब जूनियर स्टॉफ अपने सीनियर को आर्डर देने लग जाए तो फिर इगो क्लेश होना लाजिमी है। पुलिस डिपार्टमेंट इस समय कुछ इसी तरह के इगो क्लेश से जूझ रहा है। हुआ यूं कि हाल ही में दरोगा का प्रमोशन करके उनको इंस्पेक्टर बना दिया गया था। यानी कंधे में टू स्टार से थ्री स्टार लग गया। लेकिन मसला यह फंस गया कि भले ही प्रमोशन से यह इंस्पेक्टर बन गए हैं, लेकिन जिन थाने में यह तैनात थे उसकी थानेदारी दरोगा के हाथ में है। अब दरोगा जी इंस्पेक्टर साहब को आर्डर देंगे तो जाहिर सी बात है उनको कहीं न कहीं खटक जाएगा.
लंबी लड़ाई के बाद मिला हक
अपना हक पाने के लिए उन्होंने सिस्टम से वर्षों तक लड़ाई लड़ी। कोर्ट तक जाकर गुहार लगाई थी। अब प्रमोशन हो गया तो जाहिर सी बात है कि तेवर में भी वह फर्क आ ही जाएगा। लेकिन फिर भी सब इंस्पेक्टर के अंडर में ही उन्हें ड्यूटी बजानी करनी पड़ रही है। सिटी के एक थाने के इंचार्ज दरोगा ने प्रमोशन पा चुके अपने सबआर्डिनेट इंस्पेक्टर को आर्डर दिया तो उन्होंने मना कर दिया। सोर्सेज ने यह भी बताया कि उन्होंने किसी जूनियर की ड्यूटी लगाने को कहा। हालांकि इंचार्ज दरोगा इस बात को समझ गए और उन्होंने तुरंत अपना फैसला चेंज करते हुए दूसरे को ड्यूटी पर लगा दिया.
अब तक posting नहीं
सिटी के ज्यादातर पुलिस स्टेशन में आजकल कुछ ऐसे ही हालात बन गए है। इंचार्ज दरोगा है और प्रमोशन पाकर इंस्पेक्टर उनके अंडर में ड्यूटी कर रहे हैं। काफी टाइम बीत गया है फिर भी उनको इंस्पेक्टर बनने के बाद भी सब इंस्पेक्टर का ही काम करना पड़ रहा है। एक और दूसरी बात यह है कि इंस्पेक्टर बनने के बाद उनका वर्किंग में भी मजा नहीं आ रहा है। क्योंकि यह बात तो तय है कि उनकी पोस्टिंग अब नई जगह पर होनी है.
इस तरह के कुछ थाने
सिटी में दर्जनों ऐसे थाने हंै जहां पर कुछ ऐसी ही सिचुएशन बन गई है। इसमें सिर्फ शहर नहीं गंगापार व यमुनापार के थाने भी शामिल है। सिटी में जार्जटाउन, खुल्दाबाद सहित कई ऐसे थाने हैं.
हर थाने की जिम्मेदारी होगी इंस्पेक्टर पर
क्राइम कंट्रोल के मकसद से इलाहाबाद में सभी थानों को कोतवाली बना दिया गया है। ऐसे में कोतवाली बनने के बाद इसकी जिम्मेदारी इंस्पेक्टर को ही दी जाएगी। अगर इंस्पेक्टर कम होंगे तो फिर सब इंस्पेक्टर को तैनात किया जाएगा। सिटी में यह नियम होने के बाद प्रमोशन पाए हुए इंस्पेक्टर की बैचेनी और बढ़ गई है.
इंस्पेक्टर की पोस्टिंग की लिस्ट तैयार की जा रही है। इसकी जिम्मेदारी आईजी जोन के पास है। जल्द ही इंस्पेक्टर की नई पोस्टिंग की जाएंगी।
उमेश श्रीवास्तव, एसएसपी, इलाहाबाद
लंबी लड़ाई के बाद मिला हक
अपना हक पाने के लिए उन्होंने सिस्टम से वर्षों तक लड़ाई लड़ी। कोर्ट तक जाकर गुहार लगाई थी। अब प्रमोशन हो गया तो जाहिर सी बात है कि तेवर में भी वह फर्क आ ही जाएगा। लेकिन फिर भी सब इंस्पेक्टर के अंडर में ही उन्हें ड्यूटी बजानी करनी पड़ रही है। सिटी के एक थाने के इंचार्ज दरोगा ने प्रमोशन पा चुके अपने सबआर्डिनेट इंस्पेक्टर को आर्डर दिया तो उन्होंने मना कर दिया। सोर्सेज ने यह भी बताया कि उन्होंने किसी जूनियर की ड्यूटी लगाने को कहा। हालांकि इंचार्ज दरोगा इस बात को समझ गए और उन्होंने तुरंत अपना फैसला चेंज करते हुए दूसरे को ड्यूटी पर लगा दिया.
अब तक posting नहीं
सिटी के ज्यादातर पुलिस स्टेशन में आजकल कुछ ऐसे ही हालात बन गए है। इंचार्ज दरोगा है और प्रमोशन पाकर इंस्पेक्टर उनके अंडर में ड्यूटी कर रहे हैं। काफी टाइम बीत गया है फिर भी उनको इंस्पेक्टर बनने के बाद भी सब इंस्पेक्टर का ही काम करना पड़ रहा है। एक और दूसरी बात यह है कि इंस्पेक्टर बनने के बाद उनका वर्किंग में भी मजा नहीं आ रहा है। क्योंकि यह बात तो तय है कि उनकी पोस्टिंग अब नई जगह पर होनी है.
इस तरह के कुछ थाने
सिटी में दर्जनों ऐसे थाने हंै जहां पर कुछ ऐसी ही सिचुएशन बन गई है। इसमें सिर्फ शहर नहीं गंगापार व यमुनापार के थाने भी शामिल है। सिटी में जार्जटाउन, खुल्दाबाद सहित कई ऐसे थाने हैं.
हर थाने की जिम्मेदारी होगी इंस्पेक्टर पर
क्राइम कंट्रोल के मकसद से इलाहाबाद में सभी थानों को कोतवाली बना दिया गया है। ऐसे में कोतवाली बनने के बाद इसकी जिम्मेदारी इंस्पेक्टर को ही दी जाएगी। अगर इंस्पेक्टर कम होंगे तो फिर सब इंस्पेक्टर को तैनात किया जाएगा। सिटी में यह नियम होने के बाद प्रमोशन पाए हुए इंस्पेक्टर की बैचेनी और बढ़ गई है.
इंस्पेक्टर की पोस्टिंग की लिस्ट तैयार की जा रही है। इसकी जिम्मेदारी आईजी जोन के पास है। जल्द ही इंस्पेक्टर की नई पोस्टिंग की जाएंगी।
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