- केजीएमयू में मेडिकोज, रेजीडेंट्स व कर्मचारियों को मुफ्त दवा देने पर रोक

- फंड की कमी पर वीसी रविकांत ने उठाया कदम, बरसों से मिल रही थी सुविधा

sunil.yadav@inext.co.in

LUCKNOW: केजीएमयू प्रशासन ने अपने मेडिकोज, रेजीडेंट्स, फैकल्टी मेंबर्स, कर्मचारियों और पेंशनर्स को ओपीडी प्रिस्क्रिप्शन की मुफ्त दवा देने पर रोक लगा दी है। अब इन सभी को बीमार होने पर दवा खरीदनी होंगी। हालांकि, केजीएमयू से जुड़े भर्ती मरीजों को नि:शुल्क दवाएं व इलाज की सुविधा पहले की तरह जारी रहेगी। यह आदेश वीसी प्रो। रविकांत ने जारी किया है। इसके पीछे फंड की कमी को मुख्य कारण बताया गया है। वहीं, सामान्य मरीजों को पूर्व की भांति सेवाएं मिलती रहेंगी।

अब तक थी ये सुविधा

केजीएमयू में कई दशकों से मेडिकोज, रेजीडेंट्स, कर्मचारियों, फैकल्टी और पेंशनर्स को नि:शुल्क इलाज की सुविधा दी जाती रही है। वे भर्ती हों या फिर ओपीडी से डॉक्टर को दिखाकर दवा लेते रहे हैं। मगर हफ्ते भर पहले वीसी प्रो। रविकांत ने इस पर रोक लगा दी। उन्होंने कहा है कि ओपीडी के पर्चे से दवाएं मेडिकोज, पेंशनर्स व अन्य को जारी न की जाएं। आदेश के बाद से ही इसे लागू कर दिया गया। पिछले एक हफ्ते से स्टूडेंट, फैकल्टी और कर्मचारियों को ओपीडी की दवाएं देने से मना कर दिया जा रहा है।

बजट की कमी के कारण लिया निर्णय

वीसी प्रो। रविकांत ने कहा कि हमारे पास सीमित फंड है जिसे हम इस मद में खर्च कर सकते हैं। लाइफ सेविंग ड्रग्स पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। वे मरीजों को पहले की तरह मिलती रहेंगी। इसके अलावा भर्ती मरीजों को पहले की तरह पूरा इलाज, दवाएं व मुफ्त जांच की सेवा मिलती रहेंगी। उधर, मेडिकल सुप्रिंटेंडेंट डॉ। विजय कुमार ने बताया कि ओपीडी के पर्चे पर कुछ दवाओं व कॉस्मेटिक पर वीसी के आदेश पर रोक लगाई गई है। लाइफ सेविंग ड्रग्स पहले की तरह दी जा रही हैं।

दवा के नाम पर कॉस्मेटिक

केजीएमयू प्रशासन का मानना है कि स्टूडेंट व अन्य लोग दवाओं के नाम पर कॉस्मेटिक चीजे इश्यू करा लेते थे। अगर डॉक्टर ने लिखकर दिया कि किसी शैंपू से बाल कम झडेंगे तो उन्हें दवाओं के नाम पर जारी नहीं किया जा सकता। ऐसी ही चीजों पर रोक लगाई गई है। अभी कई लोग इसका दुरुपयोग कर रहे थे। फंड की कमी के कारण ऐसी चीजों पर रोक लगाई गई है।

इतने हैं मेडिकोज

केजीएमयू में एमबीबीएस, बीडीएस, एमडी, एमएस, एमसीएच, डिप्लोमा सहित लगभग तीन हजार छात्र-छात्राएं हर समय कैंपस में पढ़ाई करते हैं। जिन पर इस आदेश का असर पड़ेगा। लगभग साढ़े चार सौ फैकल्टी मेंबर, लगभग तीन हजार कर्मचारी और कई हजार पेंशनर्स भी इस आदेश से प्रभावित होंगे। केजीएमयू में इस समय हर साल 250 एमबीबीएस स्टूडेंट प्रवेश लेते हैं। साथ ही हर साल 70 बीडीएस स्टूडेंट एडमिशन पाते हैं। एमबीबीएस और बीडीएस स्टूडेंट्स को मिलाकर एक समय में 1600 से अधिक छात्र छात्राएं रहते हैं। इसके अलावा हर साल 181 एमडी, एमएस और डिप्लोमा छात्र-छात्राएं प्रवेश लेते हैं।

इतने स्टूडेंट लेते हैं प्रवेश

कोर्स - संख्या-- कोर्स की अवधि

एमबीबीएस- 250-- पांच साल

बीडीएस- 70--पांच साल

डीएम एमसीएच-38-तीन साल

एमडीएस-27-तीन साल

नर्सिग-100-चार साल

पैरामेडिकल-250-तीन साल

एमडी, एमएस, डिप्लोमा-181--तीन साल

कुल फैकल्टी -- 450 (लगभग)

कुल कर्मचारी -- 3000 (लगभग)

कोट-

हमारे पास सीमित फंड है। जिसके कारण कॉस्मेटिक व अन्य कुछ दवाओं पर रोक लगाई है। लाइफ सेविंग ड्रग्स व भर्ती मरीजों को सुविधाएं पहले की तरह मिलती रहेंगी।

-प्रो। रविकांत, वीसी केजीएमयू।