PATNA CITY: गांधी सेतु का जीर्णोद्धार होना है, ऐसे में सेतु के वन-वे और ट्रेफिक जाम होने से भी अब न तो देर की वजह से किसी का एग्जाम छूटेगा और न ही हाजीपुर या पटना से ट्रेन मिस होगी। यह संभव हो सकेगा सेतु के विकल्प के रूप में गायघाट से हाजीपुर के बीच बनने वाले पीपापुल से। इस होकर ऑटो, लग्जरी वाहन से गायघाट से ख्0 मिनट में हाजीपुर पहुंच सकते हैं। पुल पर ट्रैक्टर, बोलेरो और पिकअप वैन को भी परिचालन की अनुमति होगी।

आधा किमी जोड़ने का काम बाकी

गायघाट से उत्तर बढ़ने पर आईडब्ल्यूएआई ऑफिस है। इसी के बगल से क्भ्0 मीटर की दूरी तय कर गंगा किनारे पीपापुल पर जाना होगा। यहां एप्रोच मार्ग बन रहा है। अभी गंगा में पानी के साथ रेत भी निकल आया है। पहले कुछ दूर पीपापुल पर चलने के बाद फिर करीब ख्00 मीटर ईट सोलिंग पर वाहन दौड़ेगा। इसके बाद फिर पीपापुल होकर गंगा पार कर सकेंगे। तेरसिया से सड़क मार्ग से जरूआ होते हुए हाजीपुर जाना होगा। वैसे अभी करीब आधा किमी पीपापुल जोड़ने का काम बाकी है। काम कर रहे हरेंद्र ने बताया कि तीन-चार दिन में काम पूरा हो जाएगा। करीब फ्0 से फ्ब् पीपा, लोहे का चादर और रेलिंग सब तैयार है।

बढ़ गई पीपापुल की लंबाई

कांट्रैक्टर शैलेंद्र कुमार बताते हैं कि पीपापुल की लंबाई बढ़ गई है। पहले गंगा में क्ख्फ् सेट पीपा लगाना था। यह बढ़कर क्म्भ् हो गया। ख्ब्म् की जगह फ्फ्0 पीपा लग रहा है। एक सेट में दो पीपा लगता है। एक सेट पीपा की लंबाई फ्8 फीट और चौड़ाई ब्0 फीट है। इसमें रोड क्म् फीट में है।

दो पीपा के बीच है गैपिंग

एक सेट से दूसरे सेट को जोड़ने में गैपिंग है। इसे लोहे के चादर से पाट कर नट-बोल्ट से कसा जाएगा। यह गैपिंग करीब पौने तीन फीट है। पीपापुल के दोनों ओर साइड में रेलिंग दिया गया है। यह करीब चार फीट ऊंचा है और इसे भी नट-बोल्ट से कसा गया है।

भारी वाहन से एक फीट धंसेगा

तकनीकी जानकार हरेंद्र ने बताया कि ट्रैक्टर पर अमूमन चार-पांच टन लोड होता है, मगर चालक अधिक कमाने के फेर में आठ से क्0 टन लाद लेता है। ऐसे में लोडेड ट्रैक्टर के गुजरने के दौरान पानी में पीपा एक इंच धंसेगा। जैसे ही भार कम होगा, फिर अपनी जगह आ जाएगा। ज्वाइंट की जगह पर वाहन गुजरने से आवाज आएगी।

ख्ब् घंटे मुस्तैद रहेंगे कर्मी

पीपापुल पर गुजरने के दौरान यदि कोई वाहन खराब होकर ब्रेकडाउन हो जाता है, तो उसे दूसरे वाहन की मदद से खींचकर हटाया जाएगा। अन्य गड़बडि़यों के लिए ख्ब् घंटे कर्मी मौजूद रहेंगे। पीपा का मुंह यानी चोंच पानी से छह से क्0 इंच ऊपर होता है। यह यदि पानी में दबने लगता है, तो तुरत पीपा का ढक्कन खोल मोटर से पानी निकाल देखा जाएगा कि कहीं लीकेज के कारण पानी तो नहीं भर रहा। तुरत इसकी बेल्डिंग कर ठीक किया जाएगा, ताकि कोई हादसा न हो। बिहार राज्य पुल निर्माण निगम द्वारा यह पीपा पुल बनवाया जा रहा है। इसकी लागत करीब 89 करोड़ है और पांच साल का कांट्रैक्ट है। काम बढ़ने से इसे चालू होने के बाद एप्रूवल मिलने के बाद पेमेंट मिलेगा।

पीपापुल की लंबाई बढ़ गई और प्रकाश पर्व के दौरान करीब ख्भ् दिन काम बाधित रहा। पीपा को भी जहाज परिचालन को लेकर खोलना पड़ा। इससे देर हुई। क्भ् से ख्0 फरवरी के बीच पूरी कोशिश होगी कि ट्रेफिक को चालू कर दें।

-शैलेंद्र कुमार, कांट्रैक्टर, सृष्टि डेवलपर प्रा। लि