- आइसक्रीम बनाने में भी हो सकता है शुगर के बैगास (हेमी सेलुलोसस) का यूज, लैब में किया ट्रायल

- 6 माह में डेवलप किया दूसरी मल्टीनेशनल कंपनियों से बेहतर इको फ्रेंडली बॉयो डिटरजेंट

- एनएसआई की रिसर्च फेलो अनुष्का ने डायरेक्टर, असिस्टेंट प्रोफेसर के साथ मिलकर किया काम

- मेधावी ने कोचीन की नेशनल शुगर कांफ्रेंस में रिसर्च पेपर पब्लिश किया

KANPUR: देश और दुनिया में अपनी काबिलियत का डंका बजा चुका एनएसआई एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार ये मौका कानपुर की बेटी ने दिया है। नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की रिसर्च फेलो अनुष्का अग्रवाल शुगर इंडस्ट्री के वेस्ट (बैगास) से आइसक्रीम बनाने में जुटी है। अनुष्का ने बताया कि बैगास को आइसक्रीम में इमल्सी फायर के तौर पर यूज किया जा सकता है। इमल्सी फायर से आइसक्रीम का फैट एक जगह रहेगा, जिससे बिखराव नहीं होगा। अब रिसर्च की जा रही है कि जो हेमी सेलुलोस से इमल्सी फायर निकला है वह फूड ग्रेड है या नहीं। आपको बता दें कि इससे पहले अनुष्का शुगर वेस्ट से ही इको फ्रेंडली डिटरजेंट डेवलप कर चुकी है। बड़ी बात ये है कि ये बॉयो डिटरजेंट कई मल्टीनेशनल कंपनियों के डिटरजेंट से बेहतर होने के साथ ही यूज करने वालों के लिए हार्मलेस साबित हुआ है।

तीसरी बार में मिली सफलता

सिविल लाइंस निवासी किराना व्यवसायी संजय अग्रवाल की बड़ी बेटी अनुष्का ने सेंट मेरी कॉनवेंट से स्कूलिंग के बाद एमिटी नोएडा से फूड टेक्नोलॉजी में बीटेक किया है।

इसके बाद एनएसआई में बॉयो डिटरजेंट के प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया। छह महीने की कड़ी मेहनत और तीसरे प्रयास में बैगास से निकलने वाले हेमी सेलुलोस से बॉयो डिटरजेंट डेवलप कर लिया। अनुष्का ने प्रोजेक्ट पर एनएसआई के असिस्टेंट प्रो। वीपी श्रीवास्तव के साथ काम शुरू किया।

हाईलाइटर--------

- देश की भ्फ्ख् शुगर मिलों से 800 से 900 लाख टन बैगास का प्रोडक्शन

- इतनी बैगास से ब् लाख टन बॉयो डिटरजेंट बनेगा, फ्ब् लाख टन की खपत

- महंगे डिटरजेंट से बॉयो डिटरजेंट की कीमत काफी कम होगी

- बॉयो डिटरजेंट से किसी भी तरह की स्किन डिजीज नही होगी

- पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं, खारे पानी में भी रिजल्ट बेहतर

- हरियाणा, महाराष्ट्र और यूपी की बैगास लैब में ट्रायल किया

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'रिसर्च फेलो अनुष्का अग्रवाल ने बॉयो डिटरजेंट बैगास से बनाया है। यह रिसर्च काफी अहम है। रिसर्च फेलो ने कोचीन में ब् अगस्त को हुई इंटरनेशनल शुगर एक्सपो में रिसर्च पेपर प्रजेंट किया। खास बात यह है कि रिसर्च से मिलने वाले पदार्थ का यूज फूड इंडस्ट्री में भी किया जा सकता है। अगस्त में इसका पेटेंट फाइल कर दिया जाएगा। कुछ सोप इंडस्ट्री व शुगर इंडस्ट्री ने रिसर्च स्कॉलर से संपर्क किया है। आइसक्रीम में इसका बेहतर इस्तेमाल करने की तैयारी की जा रही है.'

- प्रो नरेन्द्र मोहन, डायरेक्टर एनएसआई