यह स्वतंत्र भारत नहीं है
देश में सांप्रदायिक हिंसा की बढ़ती घटनाओं के विरोध में शनिवार को मलयालम लेखिका सारा जोसेफ ने भी साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा दिया है। इस बीच, सांप्रदायिक हिंसा से नाराज मलयालम व अंग्रेजी लेखक के. सच्चिदानंदन ने भी साहित्य अकादमी से इस्तीफा दे दिया है। सारा जोसेफ के मुताबिक, हर रोज कोई न कोई चौंकाने वाली खबर आती है। ऐसे समय में एक लेखक चुप नहीं रह सकता। उन्होंने कहा कि, 'लेखकों कीी हत्या हो रही है..लोग मारे जा रहे हैं..गजल गायकों को कांन्सर्ट की इजाजत नहीं मिल रही। यह वो स्वतंत्र भारत नहीं है जिसमें मैं रहा करती थी।

कई लेखक विरोध में खड़े
ग्रेटर नोएडा के बिसाहड़ा गांव में गोमांस खाने के अफवाह में एक व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या के विरोध में शुक्रवार को उर्दू उपन्यासकार रहमान अब्बास ने महाराष्ट्र राज्य उर्दू साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने का फैसला किया है। इससे पहले नयनतारा सहगल व अशोक वाजपेयी अपने-अपने साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा कर चुके हैं। अब्बास ने कहा कि इस घटना से उर्दू लेखकों का समाज अत्यंत आहत है। इसके चलते मैंने भी पुरस्कार लौटाने का फैसला किया है। उर्दू के कई और लेखक इस विरोध में शामिल होना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि चारों ओर फैले अन्याय के विरोध में खड़ा होने का यह सबसे सही समय है। अब्बास को 2011 में उनके तीसरे उपन्यास खुदा के साए में आंख-मिचौनी के लिए यह पुरस्कार दिया गया था।

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