- मार्कशीट्स में फर्जीवाड़े को रोकने को उठाया जा रहा कदम

- यूजीसी ने यूनिवर्सिटी को आधार नंबर लिए जाने को लेकर दिए निर्देश

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DEHRADUN: मार्कशीट्स में फर्जीवाड़ा अब नहीं चलेगा। आने वाले दिनों में यूनिवर्सिटीज अपने स्टूडेंट्स का तमाम डाटा आधार नंबर से लिंक करेगी। इसके लिए यूनिवर्सिटीज स्टूडेंट्स के आधार कार्ड नंबर का डाटा तैयार करने का काम कर रही है। इसके लिए प्रयास भी शुरू कर दिए गए हैं। स्टूडेंट्स से एडमिशन और एग्जामिनेशन फॉर्म पर आधार नंबर भी मांगा जा रहा है।

बनेगा स्टूडेंट्स का डाटाबेस

यूनिवर्सिटी द्वारा आधार नंबर का डाटाबेस बनाने का कार्य यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) द्वारा जारी किए गए निर्देशों के बाद अमल में लाया जा रहा है। आयोग द्वारा जारी किए गए निर्देशों में यूनिवर्सिटीज को सबसे पहले स्टूडेंट्स के आधार कार्ड का डाटाबेस बनाना है। इसके बाद इस डाटाबेस को उनके एकेडमिक रिकॉर्ड से लिंक कराना होगा। जिसके बाद भविष्य में स्टूडेंट्स को प्रदान की जाने वाली मार्कशीट्स आधार से लिंक होगी। आयोग का कहना है कि पिछले कुछ वक्त में मार्कशीट्स के फर्जीवाड़े के मामलों में लगातार इजाफा हुआ है। ऐसे दर्जनों मामले हर बार एडमिशन के समय पकड़ में भी आए हैं। ऐसे में इस धांधली को रोकना बेहद जरूरी है। इसी को देखते हुए यूजीसी ने फर्जीवाड़े के मामलों पर लगाम लगाने के मकसद से यह कदम उठाया है।

इसी सेशन से शुरू हो रही मुहिम

यूनिवर्सिटी में इसी सेशन से जो अंकसूची बनाई जाएगी वह आधार कार्ड के नंबर से जुड़ी होगी। वहीं स्टूडेंट्स की पूरी जानकारी भी आधार कार्ड के नंबर से लिंक किए जाने का कार्य भी इसी सेशन से शुरू होगा। ताकि यूनिवर्सिटी से जुड़े स्टूडेंट्स की सभी जानकारियां वेबसाइट पर अपलोड करना संभव हो सके। वेबसाइट पर डाटा उपलब्ध होने का फायदा सीधे तौर पर फर्जीवाड़े को रोकने का काम करेगा।

नहीं होगी गलतियां

अभी तक यूनिवर्सिटी द्वारा जो मार्कशीट तैयार की जाती है, उसमें कैंडिडेट्स की फोटो और हॉलोग्राम मौजूद रहता है। लेकिन इसके बाद भी फर्जी डॉक्युमेंट्स तैयार किए जा रहे हैं। इसके अलावा यूनिवर्सिटी लगातार ऑनलाइन प्रोसेस के फॉलो करने का काम कर रही है। ताकि आने वाले समय में स्टूडेंट्स के डाटाबेस को एकत्र करने में ज्यादा परेशानी न हो। जानकारों की मानें तो ऑनलाइन सिस्टम से फॉर्म आदि में होने वाली गलतियां सुधर रही है।

वर्जन---

यूजीसी का नया आदेश आया है जिससे अब स्टूडेंट्स के आधार कार्ड से डाटा को लिंकअप किया जाएगा। अब जो नई अंकसूची बनेगी उसमें उस स्टूडेंट का आधार कार्ड नंबर रहेगा। इस सिस्टम से फर्जी अंकसूची पर रोक लगेगी। यूनिवर्सिटी लेवल पर निर्देशों का पालन किया जा रहा है।

------ प्रो। वीके जैन, वाइस चांसलर, दून यूनिवर्सिटी