तीन साल का रोडमैप तैयार
नरेंद्र मोदी की यह बड़ी ही एंबीशियस प्लानिंग मानी जा रही है. यही वजह है कि पूरा सरकारी अमला इसका फूलप्रूफ बनाने की कोशिशों में जुट गया है. अभी से ही इस योजना के लिए तीन साल का रोडमैप तैयार कर लिया गया है. फाइनेंस मिनिस्टर से लेकर डीएम के बीच तीन लेवल का स्ट्रक्चर तैयार किया गया है. ताकि इस प्लान के एक्जीक्यूशन में कोई प्रॉबल्म न आए.
मोदी की छाप दिखेगी इस प्लान पर
इस योजना में नरेंद्र मोदी की छाप पूरी तरह से दिखेगी. इसका खाका पीएमओ (प्राइम मिनिस्टर ऑफिस) ने तैयार किया है. इस प्लान को फाइनेंस मिनिस्ट्री आगे ले जा रही है. फाइनेंस मिनिस्ट्री के अंडर आने वाले बैंकों और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस का रोल अभी से तय कर दिया गया है. नाबार्ड को मिशन मोड के तहत मिलने वाले पैसे के साथ ही प्रचार के लिए भी फंड अलॉर्ट किया गया है. प्लान के हर स्टेप के लिए डेडलाइन डिसाइड की जा चुकी है. इसके लिए बैंकों को जुलाई में ही बता दिया गया था कि उन्हें किन जगहों पर यह योजना शुरु की गई है. बैंक इस काम के लिए नए रिप्रेजेंटेटिव्स का भी चुनाव करेंगे.
योजना की निगरानी यह कमेटी करेगी
मोदी की वजह से ही पूरे प्लान के निगरानी के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं. सेंट्रल गवर्नमेंट तीन लेवल पर इसकी निगरानी करेगी. टॉप लेवल पर पूरी योजना की निगरानी फाइनेंस मिनिस्टर की हेडशिप में गठित एक कमेटी करेगी. इसमें टेलीकॉम मिनिस्टर, रुरल डेवलपमेंट मिनिस्टर, रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन समेत कई और लोग होंगे. ऐसे ही हर लेवल पर कमेटी बनाई जाएगी जो प्लान एक्जीक्यूशन का रिव्यू करेगी.
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