- यूपी पुलिस वेब बेस्ड क्राइम मैपिंग सिस्टम से होने जा रही है लैस

- एक क्लिक पर मिलेगी किसी भी एरिया की क्राइम हिस्ट्री व अपराधियों का पता

GORAKHPUR:

यूपी पुलिस अब गूगल अर्थ और मैप की मदद से अपने नये सॉफ्टवेयर के जरिये क्रिमिनल्स के गिरेबां तक पहुंचने की कोशिश में जुट गयी है। इसके लिए प्रदेश में 'वेब बेस्ड क्राइम मैपिंग सिस्टम' लागू किया जा रहा है। इस नये हाइटेक सिस्टम के लिए हर जोन में पुलिस अफसरों के साथ डिपार्टमेंट के कर्मचारियों को ट्रेंड करने की शुरूआत भी हो गई है। इसी के तहत मंगलवार को डीडीयूजी यूनिवर्सिटी के दीक्षा भवन में जोन के सभी बड़े अफसरों को वर्कशॉप में ट्रेनिंग दी गयी।

कैसे काम करेगा ये सिस्टम?

वेब बेस्ट क्राइम मैपिंग सिस्टम पूरी तरह ऑन लाइन होगा। जिसके लिए पिछले तीन साल में घटित सभी छोटे-बड़े क्राइम की छोटी से छोटी डिटेल जुटाई जा रही है। अफसरों को ट्रेनिंग देने का मकसद यही था कि पुराने क्राइम केसेज में उन्हें क्या-क्या इंफार्मेशन कलेक्ट करके देनी है जिसे एक स्पेशल सॉफ्टवेयर के जरिए गूगल मैप व गूगल अर्थ पर अपलोड किया जाएगा।

एक क्लिक पर पूरी डिटेल

तीन साल के सभी क्राइम की डिटेल के बाद यदि किसी थाना एरिया में कोई घटना होती है तो एक क्लिप पर वहां के क्राइम हिस्ट्री का पूरा ब्यौरा गूगल एप्लीकेशंस के जरिये देखा जा सकेगा। यदि लूट की घटना हुई तो ये डिटेल भी सामने होगी कि पहले उस एरिया में कब-कब लूट हुई। कौन से अपराधी इन्वाल्व थे। अपराधी जेल में हैं या फिर फरार हैं। इससे संबंधित क्षेत्र के थानेदार से लेकर एसएसपी तक को वर्कआउट में मदद मिलेगी जो उस एरिया के लिए नये होंगे।

ये जानकारियां होंगी अपलोड

क्राइम रिलेटेड डाटा कलेक्शन और फीडिंग के इस प्रॉसेस में के छोटे से छोटे डिटेल्स अपलोड होंगे। अपराध क्या था, किस वक्त हुआ, थाने से दूरी, अपराधियों के भागने के रास्ते, पीडि़त का स्टेटस, घटना का खुलासा हुआ या नहीं, अपराधी पकड़े गए तो उनकी पूरी डिटेल। अपराधी कौन थे, कहां के रहने वाले थे, किस तरह से घटना को अंजाम दिया। भागने के लिए किस रास्ते का प्रयोग किया। ये सारी इंफार्मेशन लोकेशन के साथ दर्ज होगी।

गोरखपुर की बारी

वर्कशॉप में आए अफसरों ने बताया कि कानपुर और मेरठ जोन में क्राइम हिस्ट्री के डाटा फीडिंग का काम पूरा हो चुका है। प्रदेश के अन्य जोन में कार्यशाला आयोजित करके इसके बारे में जानकारी दी जा रही है। इसी क्रम में अब गोरखपुर जोन की बारी है। यहां अफसरों के ट्रेनिंग बाद डाटा कलेक्ट कर फीडिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

विकसित देशों की तर्ज पर है ये सिस्टम

मंगलवार को डीडीयूजीयू के दीक्षा भवन में आयोजित कार्यशाला में कार्यशाला का आयोजन किया गया। चीफ ट्रेनिंग ऑफिसर के तौर पर आए आईजी पीएसी लखनऊ आशुतोष पांडेय ने बताया कि विकसित देशों की तर्ज पर पहली बार यूपी में वेब क्राइम मैपिंग की शुरूआत हो रही है। इसके पूरी तरह से तैयार होने के बाद इतने फायदे होंगे, जिनकी कल्पना नहीं की जा सकती। उनकी अगुवाई में अफसरों को क्राइम मैपिंग के टूल्स और डाटा कलेक्शन के तौर-तरीकों के बारे में विस्तार से बताया गया। वर्कशॉप में गोरखपुर जोन के आईजी हरीराम शर्मा, डीआईजी रेंज शिव सागर सिंह, एसएसपी अनंत देव, प्रदीप कुमार, एसपी हेमंत कुटियाल, अजय पांडेय, शैलेश पांडेय मेनली मौजूद रहे। जोन के सभी जिलों से उन सभी थानेदारों को खासतौर पर बुलाया गया थ्ज्ञा जिनके एरिया में अपराध ज्यादा होते हैं। यहां थानों के सीसीटीएनएस कंप्यूटर ऑपरेटर, सर्विलांस टीम, क्राइम ब्रांच सहित कई पुलिस की कई विंग के कर्मचारी मौजूद रहे। कुछ पुलिस कर्मचारियों के झपकी लेने पर उनको डांट भी सुननी पड़ी।

यह होगा फायदा

- थानों के सीमा विवाद के मसले खत्म होंगे। पुराने रिकार्ड से पता चल जाएगा कि पहले के मामलों में किस थाने ने रिपोर्ट दर्ज की।

- प्रदेश भर में अपराध के ट्रेंड का आसानी से पता चलेगा। किस एरिया में किस तरह के अपराध ज्यादा हो रहे हैं।

- सुदूर क्षेत्र में बड़े क्राइम की दशा में फोर्स को पहुंचने में मदद मिलेगी, उसे भटकना नहीं पड़ेगा।

- जोन लेवल पर आईजी, डीआईजी, एसएसपी आदि अपने स्मार्टफोन के जरिए घर क्राइम समीक्षा कर सकेंगे।

- क्राइम मैपिंग सिस्टम से 100 नम्बर सेवा पर डायल करने पर फोन करने वाले की लोकेशन पता की जा सकेगी।

- क्राइम ट्रेंड से अपराधियों के मूवमेंट, उनकी गोलबंदी, उनके मॉडस अपरेंडी आदि के बारे में पता चल सकेगा।

- पुलिस टीम की गश्त के बारे में भी बाद में आनलाइन मॉनिटरिंग संभव होगी कि कौन सी गाड़ी कहा है।

इस तरह से होगी मैपिंग

- हत्या, लूट, डकैती, राहजनी, भूमि संबंधी विवाद, प्रेम प्रसंग, ऑनर किलिंग, छेड़छाड़, अपहरण, संपति विवाद, राजनीतिक, नक्सली, सांप्रदायिक, जातिवाद, रंजिश, आंतकवाद, रैगिंग, अवैध सहित अन्य अपराधों का डाटा फीड किया जाएगा।

- अपराधों में इस्तेमाल किए असलहे, उनके प्रकार, असलहों की संख्या, अन्य हथियारों के बारे में पूरी डिटेल

- अपराध में शामिल लोग, उनकी उम्र, जाति, समय, स्थान, परिवार, सगे- संबधी सहित अन्य जानकारियां।

- मृतकों की संख्या, घटनास्थल के सम्बन्ध में सूचना, अपराध के प्रकार, समय, सम्बन्धित थाना।

- छेड़छाड़ की घटनाएं, पीडि़त की उम्र, जगह, ज्यादातर घटनाओं का स्थान, दिन और समय।

- घटनास्थल की भौगोलिक स्थितियां, आसपास के इलाकों की जानकारी, मौजूद सुविधाएं और संसाधन।

वेब बेस्ड क्राइम मैपिंग सिस्टम के माध्यम से एक ही स्थान पर होने वाली घटनाओ, अपराधों की मॉनीटरिंग, उन अपराधों और घटनाओं की रोकथाम के लिए समय रहते आवश्यक सुरक्षा प्रबंध किया जा सकेगा। आने वाले समय में मार्डन पुलिसिंग के लिए क्राइम मैपिंग सिस्टम काफी कारगर होगा।

- आशुतोष पांडेय, आईजी पीएसी एवं चीफ ट्रेनर