आखिर कब मिलेगी हमारी सैलरी?

- प्रिंसिपल के आश्वासन के बाद काम पर लौटीं कांट्रैक्ट नर्से

- इमरजेंसी और वार्ड में पेशेंट हुए परेशान

- आई नेक्स्ट ने नर्सो को मानदेय नहीं मिलने को प्रमुखता से उठाया था

PATNA: पीएमसीएच में बुधवार को करीब म्00 कान्ट्रैक्ट नर्सो ने करीब चार महीने से लंबित मानदेय की मांग को लेकर स्ट्राइक किया। अपनी मांगों को लेकर मार्निग आठ बजे से ही इन नर्सो ने सुपरिंटेंडेंट ऑफिस का घेराव किया और हॉस्पीटल एडमिनिस्ट्रेशन के खिलाफ नारे लगाये। सुपरिंटेंडेंट डॉ लखींद्र प्रसाद की ओर से उनके प्रतिनिधि के साथ बातचीत के लिए बुलाये जाने पर भी कोई आफिस नहीं गई। इसके बाद सुपरिंटेंडेंटऑफिस के पास प्रिंसिपल डॉ एसएन सिन्हा भी पहुंचे। उन्होंने प्रदर्शन कर रही नर्सो को आश् वासन दिया कि उनकी लंबित मानदेय का हल निकल जाएगा। इसके बाद ही मार्निग क्क्.फ्0 बजे स्ट्राइक टूटा।

इधर प्रदर्शन, प्रॉब्लम

लगभग म्00 नर्सो के तीन घंटे तक वार्ड और इमरजेंसी में काम-काज ठप रखने के कारण स्थिति भयावह होने लगी। इमरजेंसी में पेशेंट को अटेंड करने वाली नर्सो की भारी कमी के कारण पेशेंट दर्द से कराहते रहे। इस बीच नर्सिग सर्विस का पूरा जिम्मा करीब ख्भ्0 पर्मानेंट नर्सो पर अचानक से आ गया। लेकिन पेसेंट की बड़ी संख्या के सामने उनकी पर्जेस नहीं के बराबर साबित हुआ। इमरजेंसी में सबसे भयावह स्थिति हो गयी थी।

मासूमों को भी नहीं छोड़ा

एक ओर काम को ठप्प रखकर कान्ट्रेक्ट नर्सो ने लंबित मानदेय की मांग करती रहीं तो दूसरी ओर पेडियाट्रिक वार्ड में बच्चों के साथ उसकी मां रोती-बिलखती रहीं। इस वार्ड में जांडिस और अन्य बीमारियों के कई सीरियस पेंशेट एडमिट हैं। समस्तीपुर, सिरोर गांव की पांच साल की पूजा कई दिनों से जांडिस के कारण लगभग बेहोश पड़ी थी। लेकिन घंटों बाद भी किसी नर्स ने उसे अटेंड नहीं किया। अंत में जूनियर डाक्टरों ने क्ख् बजे देखा। उसके पिता अरूण की का जी भर आया इन चंद घंटों में। क्क्.फ्0 के बाद ही स्थिति नार्मल हो सकी।

नर्सो ने दिया ख्ब् घंटे का अल्टीमेटम

बिहार कांट्रैक्ट नर्सेज एसोसिएशन, ग्रेड ए की जेनरल सेक्रेटरी प्रमिला ने बताया कि हमलोगों का वेतन मार्च, ख्0क्ब् से ही लंबित है। अगर ख्ब् घंटे के भीतर हमलोगों का वेतन का मामला आगे नहीं बढ़ा तो हमलोग काम ठप कर देंगे। प्रमिला ने मांग किया कि कान्ट्रेक्ट नर्सो का मानदेय डेट मंथ के एक से दस तक निश्चित किया जाए। ऐसा अभी तक नहीं है। जानकारी हो कि पीएमसीएच में लगभग म्8भ् नर्से कार्यरत है और पूरे बिहार स्टेट में चार हजार के करीब कांट्रेक्ट पर नर्से कार्यरत हैं।

प्रिंसिपल ने मामले को संभाला

प्रिंसिपल डॉ एसएन सिन्हा ने इस घटना को इमरजेंसी में बदलने से बचाया। क्योंकि शुरू में सुपरीटेंडेट डॉ लखींद्र प्रसाद के साथ कोई बातचीत नहीं हो पायी। उन्होंने आई नेक्स्ट को बताया कि ट्रेजरी में बिल भेज दिया गया है और गुरुवार को यह बैंक में आ जाने की संभावना है। दरअसल, इन सभी का हर छह महीने पर एक बार एलाटमेंट आता है। इसी से देर हो जाती है।