-2005 के बाद नहीं हुई उडि़या बुक्स की प्रिंटिंग

-उडि़या स्कूलों में हिंदी में होती है पढ़ाई

-यूनिवर्सिटी में भी नहीं है उडि़या में पीजी की व्यवस्था

JAMSHEDPUR : अलग झारखंड बने क्ब् साल हो चुके हैं, लेकिन उडि़या एजुकेशन का हाल काफी बुरा है। स्टेट में नई गवर्नमेंट से उडि़या कम्यूनिटी के लोगों को काफी आस है। सिटी और आसपास के इलाकों में कई सरकारी व गैर सरकारी उडि़या स्कूल हैं, लेकिन हालात यह है कि उडि़या स्कूलों में बच्चों को हिंदी में किताबें पढ़नी पड़ रही है। लोगों का कहना है कि वर्ष ख्00भ् में एक बार स्टेट गवर्नमेंट द्वारा उडि़या बुक्स की प्रिंटिंग कराई गई थी। इसके बाद ऐसा नहीं हुआ। कोल्हान यूनिवर्सिटी में भी उडि़या लैंग्वेज में पीजी की पढ़ाई नहीं होती।

कई डिस्ट्रिक्ट में हैं उडि़या भाषी

ओडि़शा झारखंड का पड़ोसी स्टेट है और झारखंड से सटा होने के कारण यहां के कई डिस्ट्रिक्ट उडि़या बहुल हैं। इनमें सरायकेला-खरसांवा, वेस्ट सिंहभूम व गुमला के अलावा ईस्ट सिंहभूम डिस्ट्रिक्ट प्रमुख है। सिटी में भी उडि़या भाषियों की बड़ी तादात है। उनके कई ऑर्गनाइजेशन भी हैं।

सीएम रघुवर दास उडि़या भाषियों की प्रॉब्लम भी जानते हैं। इससे खराब स्थिति क्या होगी कि सरकारी व गैर सरकारी उडि़या स्कूलों मे बच्चे हिंदी में किताब पढते हैं। सरकार सबसे पहले स्कूलों में उडि़या बुक्स की व्यवस्था करे, ताकि बच्चे अपनी भाषा में पढ़ाई कर सकें। इसके अलावा झारखंड में साहित्य एकेडमी का गठन किया जाए, ताकि राज्य के साहित्य को बचाया जा सके।

-रवींद्र नाथ मिश्र, प्रेसिडेंट, उत्कल समाज

कोल्हान यूनिवर्सिटी की स्थापना तो हुई, लेकिन उडि़या में पीजी की पढ़ाई नहीं होने के कारण स्टूडेंट्स को प्रॉब्लम होती है। यहां उडि़या टीचर्स की भी बहाली होनी चाहिए।

-ताराचंद मोहंती

यहां कई उडि़या ऑर्गनाइजेशन हैं, जो उडि़या कम्यूनिटी के डेवलपमेंट के लिए काम कर रही हैं। इन ऑर्गनाइजेशंस को सरकार द्वारा हेल्प करनी चाहिए। रघुवर दास के सीएम बनने से आशा जगी है।

-जय प्रकाश मोहंती, सेक्रेटरी, झारखंड बॉडी बिल्डिंग एसोसिएशन