सर्वोच्च न्यायालय के फैसले दी हिम्मत

ओडिशा की 32 वर्षीय एक राजपत्रित अधिकारी ऐश्वर्या रितुपर्णा प्रधान ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हिम्मत दिखाते हुए अपनी ट्रांसजेंडर पहचान को सार्वजनिक कर दिया है। ऐश्वर्या को जन्म के समय नाम दिया गया रतिकांत प्रधान और उसके बाद सालों तक वो पुरुष के रूप में अपना जीवन जीती रहीं। अब हाल ही में ओडिशा वित्तीय सेवा में नौकरी कर रितुपर्ण ने अपनी नई पहचान स्वीकार ही नहीं की है बल्कि उसे सार्वजनिक रूप से उजागर कर दिया है। बंदरगाह के निकट बसे शहर पारादीप में वाणिज्यिक कर अधिकारी के रूप में तैनात प्रधान को अपनी इस पहचान पर गर्व है। उन्होंने कहा कि ट्रांसजेंडरों को तीसरे लिंग की श्रेणी में मान्यता देने और उनके संवैधानिक अधिकारों की गारंटी देने के 15 अप्रैल 2014 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उनमें अपने सही परिचय को सार्वजनिक करने का साहस आया।

जिस दिन फैसला आया उसी दिन से पहन ली साड़ी

ऐश्वर्या रितुपर्णा प्रधान ने बताया कि जिस दिन सुप्रीम कोर्ट ने अपना ये ऐतिहासिक फैसला दिया, उसी दिन से उन्होंने पुरूष लिंग की जगह तीसरे लिंग की पहचान चुनने का निर्णय कर लिया था। ओडिशा के कंधमाल जिले में जी उदयगिरि ब्लॉक के तहत कनाबागिरी गांव की निवासी प्रधान ने अक्तूबर 2010 में पुरूष उम्मीदवार के रूप में ओडिशा वित्तीय सेवा में प्रवेश किया था। लोक प्रशासन में स्नातकोत्तर और भारतीय जनसंचार संस्थान से स्नातक प्रधान ने एक बैंक में क्लर्क की नौकरी करने के पहले वह एक अखबार में इंटर्नशिप करती थीं। बाद में उन्होंने राज्य सिविल सेवा परीक्षा दी और 9 अप्रैल 2014 को सीटीओ के रूप में उनकी पोस्टिंग हुई। शुरू में वे पुरूषों के ही कपड़े पहनती थीं। बाद में जब सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया तो वे साड़ी पहनने लगीं।

inextlive from India News Desk

National News inextlive from India News Desk