ओईसीडी यानि आर्थिक सहयोग और विकास संगठन जिन सूचकों के आधार पर ये आकलन करता है उनके अनुसार फ़्रांस और जर्मनी भी धीमी होती अर्थव्यवस्थाओं की गिनती में शामिल हो रहे हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अमरीका, जापान और रूस की अर्थव्यवस्थाएं तरक्की के बाद फिर से यू टर्न लेने की ओर हैं। लेकिन ओईसीडी का ये भी कहना है कि जापान के आकलन में सावधानी बरतने की ज़रूरत है क्योंकि मार्च में आए भूकंप के बाद वहां से मिले आंकड़ों के विश्लेषण में परेशानियां आ रही हैं।

पिछले महीने ओईसीडी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अमरीका को छोड़कर बाकी सदस्य देशों की अर्थव्यवस्था धीमी होगी.

मई में संगठन ने अपने 34 सदस्य देशों में 4.2 प्रतिशत के विकास की दर का एलान किया था लेकिन साथ ही कहा था कि संपन्न देशों में दर 2.3 प्रतिशत रहेगी। भारत के आर्थिक विकास की दर इस साल मार्च में समाप्त हुए वित्तीय वर्ष की चौथी तिमाही में घटकर 7.8 प्रतिशत रह गई है।

उत्पाद क्षेत्र के ख़राब प्रदर्शन को विकास दर में आई इस गिरावट की वजह माना जा रहा है। जनवरी से मार्च के बीच पिछले साल समयावधि में विकास की दर 9.4 प्रतिशत दर्ज की गई थी।

उधर यूरोज़ोन के देश ग्रीस कर्ज़ संकट के असर को अन्य अर्थव्यवस्थाओं पर फैलने से रोकने के लिए जूझ रहे हैं। ब्रसेल्स से बीबीसी संवाददाता क्रिस मॉरिस का कहना है कि यदि इटनी और स्पेन जैसे देश कर्ज़ संकट में घिरते हैं तो उनके सामने ग्रीस, आयरलैंड और पुर्तगाल को कर्ज़ संकट से उबारने की समस्या बौनी नज़र आएगी।

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