सउदी अरब ने कतर, बहरीन और मिस्र जैसे देशों का सर्पोट लेते हुए यमन के हाउती विरोधियों का सफाया करने और वहां के राष्ट्रपति आब्दीरब्बू मंसूर हादी को बचाने की मुहीम तेज कर दी है. उन्हों ने मिल कर यमन क्राइसिस से निबटने का फैसला किया है. हालाकि ईरान जैसे देश उनके साथ नहीं हैं लेकिन इस का प्रभाव विश्व के कच्चे तेल के बाजार पर पड़ा है और तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है.

यमन पर हवाई हमलों के बाद तेल बाजार में बदलाव

यमन पर सऊदी अरब की ओर से हवाई हमलों के बाद गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (क्रूड) के दाम उछल गए. आपूर्ति बाधित होने की आशंका से यह तेजी आई. इसके अलावा तेल संयंत्रों की सुरक्षा को लेकर भी चिंता बन गई है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में लंदन ब्रेंट क्रूड में पांच फीसद से ज्यादा की तेजी देखी गई. यह 58.17 डॉलर प्रति बैरल पर बोला गया. यूएस क्रूड भी चढक़र 50.33 डॉलर प्रति बैरल हो गया. कच्चा तेल महंगा होने का खामियाजा भारत जैसे उन देशों को उठाना पड़ेगा जो अपनी जरूरत का ज्यादातर क्रूड आयात करते हैं. देर-सवेर ईंधन के दाम बढ़ सकते हैं.

हमलों पर अलग राय से बंटे मुस्लिम देश  

इन हमलों के बाद मुस्लिम राष्ट्र दो गुटों में बंट गए हैं.  एक ओर सऊदी अरब के नेतृत्व में कतर, बहरीन, कुवैत, मिस्र जैसे देश हैं जो किसी भी कीमत पर शिया हाउती विद्रोहियों से यमन के राष्ट्रपति आब्दीरब्बू मंसूर हादी को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. दूसरी ओर, ईरान ने इन देशों के विरोध में खड़ा हो गया है. हवाई हमलों पर नाराजगी जताते हुए ईरान ने कहा है कि इससे विवाद का हल तलाशने में मदद नहीं मिलेगी. हालांकि एक वरिष्ठ ईरानी अधिकारी ने फिलहाल सैन्य हस्तक्षेप की आशंका को खारिज कर दिया है. इस बीच सउदी अरब के हवाई हमले ने से राजधानी सना और उसके आसपास के इलाकों में 25 नागरिकों की मौत हो गई, वहीं 50 अन्य घायल हो गए. दर्जनों मकान भी ध्वस्त हो गए.

अमेरिका भी यमन के साथ

सऊदी अरब के अमेरिका स्थित राजदूत अदेल अल जुबैर ने वाशिंगटन में कहा कि यमन सरकार को बचाने के लिए पांच अरब राजशाही सहित 10 देशों का गठबंधन बनाया गया है. अमेरिका ने भी इस सैन्य अभियान को हथियारों और गुप्तचर मदद की मंजूरी देने की घोषणा की है. जुबैर ने कहा कि कतर, बहरीन, कुवैत और यूएई ने यमन को हाउती आतंकियों से बचाने के लिए कार्रवाई का निर्णय लिया है. उन्होंने अन्य देशों का नाम नहीं बताया। लेकिन, खबरों के अनुसार इस अभियान में मिस्र, मोरक्को, जॉर्डन और सूडान भी शामिल हैं. पाकिस्तान भी अभियान में शामिल होने को तैयार है.

जुबैर ने कहा कि इस अभियान का मकसद यमन की सरकार को बचाना और हाउती आतंकियों को देश पर कब्जा करने से रोकना है. अभी सिर्फ हवाई हमले किए जा रहे हैं मगर जरूरी हुआ तो सबकुछ किया जाएगा. उन्होंने बताया कि सऊदी वायुसेना ने राजधानी सना सहित अनके ठिकानों पर हाउती विद्रोहियों के अनेक लड़ाकू विमान नष्ट कर दिए. इन ठिकानों में उत्तरी साना स्थित एयरबेस, मिसाइल बेस और राष्ट्रपति भवन भी शामिल है, जिस पर जनवरी में विद्रोहियों ने कब्जा कर लिया था।.इधर, हादी समर्थकों ने भीषण लड़ाई के बाद अदन एयरपोर्ट पर दोबारा कब्जा कर लिया. अमेरिका ने इस बात की पुष्टि की है कि यमनी राष्ट्रपति हादी ने अदन का अपना घर छोड़ दिया है और  अमेरिका उनके संपर्क में है.

चीन ने भी जताई चिंता

चीन ने भी यमन की बिगड़ती स्थिति पर चिंता जाहिर की है. विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि चीन सभी पक्षों से यमन के बारे में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के अनुसार कार्रवाई की अपील करता है.

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