- टैक्स और रजिस्ट्रेशन को लेकर नहीं होती है दिक्कत

BAREILLY :

एनसीआर में अपनी उम्र खो चुके व्हीकल्स को बरेली में बड़े पैमाने पर डम्प किया जा रहा है। हर माह तकरीबन डेढ़ सौ से दो सौ पुराने वाहनों की बिक्री की जा रही है। ये वह वाहन हैं, जिनका 10 साल की उम्र पूरी करने के बाद रजिस्ट्रेशन बरेली में नहीं कराया जा सकता है, लेकिन मोटा मुनाफा कमाने के फेर में ओल्ड कार सेल ओनर मियाद खत्म होने से चंद महीनों पहले ही वाहन को बरेली परिवहन विभाग में इंडोर्स करा देते हैं, जिससे उन्हें दोबारा रजिस्ट्रेशन फी जमा करने से भी बच जाते हैं, जिसके चलते बरेली की आबोहवा जहरीली हो रही है।

इसलिए खपाई जा रही एनसीआर की कार

मियाद खत्म हो चुके वाहनों के रजिस्ट्रेशन रिन्यूवल होने का एनसीआर में कोई नियम नहीं हैं। प्रदेश के कुछ जिलों को छोड़ कर बाकी जिलों में ग्रीन टैक्स देकर वाहनों के रजिस्ट्रेशन को रिन्यूवल कराया जा सकता है। जिसका फायदा उठाते हुए वाहनों के मियाद खत्म होने के एक-दो महीने पहले ओल्ड कार मार्केट में बेच दिया जाता है। जिससे आरटीओ में रजिस्ट्रेशन कराने में कोई प्रॉब्लम्स नहीं होती है। चूंकि, एनसीआर में आने वाले शहर यूपी के ही है, तो दोबारा टैक्स भरने का भी कोई झंझट नहीं होता है। बस वाहनों के ट्रांसफर में 2 से 3 हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं। बिजनेस से जुड़े लोग दिल्ली से इस लिए पुरानी कार नहीं मंगाते हैं क्योंकि ट्रांसपोर्ट खर्च काफी बढ़ जाता है। वहीं दिल्ली में जहां वाहनों पर 4 परसेंट रोड टैक्स लगता हैं, वहीं यूपी में 8 परसेंट टैक्स देना पड़ता है।

एनसीआर के 60 परसेंट कारों की बिक्री।

बरेली में इस बिजनेस से जुड़े लोग एनसीआर के वाहनों को लाना ज्यादा पसंद करते हैं। कार मार्केट में गाजियाबाद, नोएडा में रजिस्टर्ड कार आसानी से देखने को मिल जाएगा। बरेली के अलावा मुरादाबाद, बागपत, गौतमबुद्ध नगर, मेरठ और बिजनौर जैसे शहरों में भी एनसीआर के वाहनों को खपाया जा रहा है। पीलीभीत बाईपास, सिविल लाइंस, चौपुला और सीबीगंज सहित क्षेत्रों में ओल्ड कार मार्केट तेजी से पांव पसार रहा है। फिलहाल 40 से अधिक लोग इस बिजनेस से जुड़े हुए हैं, जो 150-200 पुरानी कार हर महीने बेच रहे हैं। इनमें से 60 परसेंट कार एनसीआर से रिजेक्ट हुई रहती हैं।

ईधन अधिक जलने से बढ़ रहा पॉल्यूशन

मियाद खत्म हो चुके वाहनों के शहर में चलने से पॉल्यूशन का लेवल दिनों दिन बढ़ते जा रहा हैं। क्योंकि, पुराने वाहनों का इंजन प्रॉपर वर्क नहीं करता है, जिससे ईधन की ज्यादा खपत होती है। ऐसे में, वाहनों के धुएं से कार्बन मोनो ऑक्साइड स्टैंडर्ड मानक से कहीं अधिक होता हैं। चार पहिया वाहन में कार्बन मोनो आक्साइड 4.5 परसेंट माइक्रोग्राम प्रति क्यूब होना चाहिए, लेकिन पुराने वाहन इससे कहीं अधिक पॉल्यूशन उगल रहे हैं। वर्तमान समय में रिस्पायरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मेटर (आरएसपीएम) 300 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब है। धुएं के माध्यम से निकलने वाली हानिकारक गैस सांस के माध्यम से सांस की नलियों में पहुंच जाते है और सांस फूलने जैसी प्रॉब्लम्स को जन्म दे रही हैं।

एक नजर

- दिल्ली व एनसीआर

- 10 वर्ष डीजल व 15 वर्ष पुरानी पेट्रोल वाहनों का रजिस्ट्रेशन रिन्यूअल का नियम नहीं है।

- जिस वजह से मियाद खत्म होने से कुछ महीने पहले ही वाहनों को एनसीआर से बेच दिया जाता है।

प्रदेश के बाकी शहर

- वाहनों की निर्धारित मियाद खत्म होने से 1-2 महीने पहले रजिस्ट्रेशन दोबारा रिन्यूअल हो सकता है।

- ग्रीन टैक्स देने और फिटनेस जांच के बाद ही रजिस्ट्रेशन रिन्यूअल किया जाता है।

क्यों नहीं बिकती दिल्ली के वाहन

- दिल्ली में 4 परसेंट रोड टैक्स हैं। जबकि, प्रदेश में 8 परसेंट रोड टैक्स लगता है। टैक्स डबल हो जाने से प्रॉफिट कम होता है। जिस वजह से बिजनेस से जुड़े लोग दिल्ली की बजाय एनसीआर की गाडि़यों बेचते हैं। इनका अलग से कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है।

बॉक्स

- 1000 रुपए पॉल्यूशन सर्टिफिकेट नहीं होने पर है जुर्माना।

- 200 हर महीने बिक रही हैं पुरानी गाडि़यां।

- 125 से अधिक एनसीआर की होती है गाडि़यां।

- 30 से अधिक लोग पुरानी गाडि़यों का करते है बिजनेस।

- 23 पॉल्यूशन जांच सेंटर जिले में हैं।

- 3 व 6 महीने तक का सर्टिफिकेट यूरो थ्री वाहनों को जारी होता है।

- 1 वर्ष का सर्टिफिकेट यूरो फोर या इससे उपर तक के वाहनों को जारी होता है।

वाहनों की संख्या

- 27 हजार कॉमर्शियल वाहन।

- 6 लाख प्राइवेट वाहन।

धुएं का स्टैंडर्ड मानक माइक्रोग्राम प्रति क्यूब (कार्बन मोनो आक्साइड) निम्न परसेंट तक होना चाहिए।

- सीएनजी वाहन - 0.1 से 0.20 तक

- पेट्रोल वाहन टू व्हीलर - 3 परसेंट।

- फोर व्हीलर - 4.5 परसेंट।

मियाद खत्म होने से पहले एनसीआर के वाहनों का लोग यहां पर रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं। जबकि, एक बार मियाद खत्म हो जाने पर एनसीआर में रजिस्ट्रेशन दोबारा रिन्यूवल नहीं हो सकता है।

आरपी सिंह, एआरटीओ प्रशासन

टैक्स दोबारा नहीं देने और रजिस्ट्रेशन आसानी से हो जाने की वजह से हम लोग एनसीआर की ही गाडि़यां लाकर बेचते हैं। महीने में 10-15 कार की बिक्री हो जाती है।

अरशद खान, ओल्ड कार विक्रेता

छोटी गाडि़यों की ज्यादा डिमांड होती है। ऑल्टो, वेगनार और सेंट्रों 90 हजार से 2 लाख में अवलेबल हैं।

विजय सिंह तोमर, ओल्ड कार विक्रेता