-निर्दलीय दिव्यांशु भारद्वाज को पीयू छात्र संघ का मिला ताज

-चुनाव के बाद छात्र प्रतिनिधियों के सामने विकास की चुनौती

क्कन्ञ्जहृन्: पटना यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनाव का परिणाम में कई समीकरण फेल साबित हुए और मुद्दे की राजनीति को छात्र वोटरों ने गले लगाया। रविवार की अहले सुबह सेंट्रल पैनल के पांच पदों में से तीन पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के उम्मीदवार विजयी हुए। जेंडर वाइज भी परिणाम चौंकाने वाले रहे। हर पार्टी ने ग‌र्ल्स उम्मीदवार को खड़ा कर जीत की नैया पार लगाने के लिए आश्वस्त थी लेकिन परिणाम बिल्कुल विपरीत रहा। चुनावी पंडितों की माने तो सचमुच इस रिजल्ट में कई समीकरण फेल रहा। केवल जमीनी पकड़ मजबूत रखने वाले सेंट्रल पैनल की दावेदारी में सफल रहे।

ग‌र्ल्स वोटर का जोर नहीं चला

पटना यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनाव में कुल 19,786 वोटर में करीब दस वोटर ग‌र्ल्स वोटर होने के नाते कई पार्टियों ने ग‌र्ल्स वोटर को सेंट्रल पैनल और कॉलेज काउंसलर पद के लिए जगह दी। लेकिन यह समीकरण काम नहीं आया। इसके अलावा बड़ी पार्टियों का तामझाम भी काम नहीं आया। जीत का दावा करने वाली लेफ्ट यूनिटी को भी कई पदों पर हार का मुंह देखना पड़ा। सेंट्रल पैनल का एकमात्र उपाध्यक्ष का पद योशिता पटव‌र्द्धन ने हासिल किया। बाकी पदों पर पुरूषों का क?जा रहा।

गठबंधन समीकरण भी फेल

एक तरफ सत्ताधारी पार्टी की छात्र इकाई छात्र जदयू तो फेल रहा, वहीं दूसरी ओर एनएसयूआई का गठबंधन भी काम नहीं आया। छात्र राजद, समर्थित जदयू शरद गुट पूरी तरह से धराशायी हो गए। अब इन सभी हारे उम्मीवारों के चयनकत्र्ता के समक्ष समीक्षा करने का समय है।

तीसरी बार रचा गया इतिहास

यह पीयू के इतिहास में तीसरा मौका है जब पीयू सेंट्रल पैनल में निर्दलीय ने विजय प्राप्त किया है। इससे पहले 2012 में अंशुमन उपाध्यक्ष पद पर और 1984 में अनिल शर्मा अध्यक्ष पद पर निर्दलीय होकर जीत दर्ज की। पटना यूनिवर्सिटी छात्र संघ के पूर्व उपाध्यक्ष अंशुमन ने कहा कि यह पीयू के इतिहास में देखा गया है कि जो छात्रों के बीच जमीनी स्तर से जुड़ा रहा है, वह अपनी मजबूत जगह बना लेता है। हालांकि इससे भी पहले पार्टियों के उम्मीदवारों का दबदबा रहा था।