ऐसी है मंदिर की खासियत

उत्तर-प्रदेश की औद्योगिक नगरी कानपुर के कोतवाली क्षेत्र के पास शिवाला में बसा है ये मंदिर। इस मंदिर की खासियत ये है कि इसके द्वार साल में सिर्फ छह दिन ही खुलते हैं। ये छह दिन हैं चैत्र और शारदीय नवरात्र की सप्तमी, अष्टमी और नवमी। इसके अलावा साल के 359 दिन इस मंदिर का मुख्य द्वार बंद ही रहता है।

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साल के 359 दिन ये रहता है हाल

अब आप सोच रहे होंगे कि फिर साल के 359 दिन मंदिर में कोई नहीं पहुंचता। नहीं, ऐसा नहीं है। बाकी के दिनों में भक्त गर्भगृह के बाहर से ही मां की अराधना करते हैं। इसके मुख्य द्वार पर ताला लटका रहता है। मंदिर में मां के इस रूप की मां छिन्नमस्तिका के नाम से पूजा की जाती है।

साल में केवल तीन दिन खुलते हैं पूजा-अर्चना के लिए इस देवी मंदिर के द्वार

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ऐसी है मां की दिव्य प्रतिमा

मंदिर के गर्भग्रह में मां की सिर वाली प्रतिमा की पूजा की जाती है। मां के धड़ से रक्त की तीन धाराएं निकलती हैं। इनमें से दो धाराएं आसपास खड़ी मां की सहचरी के मुंह तक जाती दिखती है और एक धारा मां के ही मुंह तक जाती नजर आती है। वैसे देवी के इस रूप को कलयुग की देवी के रूप में भी पूजा जाता है।

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एक दिन पहले से ही लगती है भक्तों की लंबी लाइन

परंपरा के अनुसार नवरात्र की सप्तमी, अष्टमी और नवमी को गर्भग्रह के पट खुलते हैं। ऐसे में सिर्फ तीन दिन ही मां के दर्शनों के लिए भक्तों के बीच जबरदस्त होड़ लगती है। एक दिन पहले ही आधी रात से मंदिर के बाहर दूर-दराज से आए भक्तों की लंबी कतार लग जाती है। फिर पूरे दिन भक्तों का जमावड़ा यहां लगा रही रहता है। भरी भीड़ के बीच में भी लोग मां के दर्शनों का सौभाग्य नहीं खोना चाहते।

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