3 बच्चों ने दायर की याचिका

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि पटाखों को लेकर पहले ही सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन मौजूद है। केंद्र सरकार ने कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा है कि पटाखे ही प्रदूषण का इकलौता कारण नहीं हैं। इस मामले की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को यह फैसला किया। पटाखों पर बैन के बारे में तीन बच्चों अर्जुन गोपाल, आरव भंडारी और जोया राव भसीन की ओर से याचिका दायर की गइ है। ऐसे में इस दायर की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस देकर जवाब मांगा था। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि इस बारे में क्या कदम उठाए जाने चाहिए। इसी मामले में केंद्र ने कोर्ट में कहा है कि पटाखों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 2001 में गाइडलाइन जारी करते हुए आदेश दिए थे कि सुबह छह से रात 10 बजे तक ही पटाखों की इस्तेमाल किया जा सकता है।

6 से लेकर 14 माह उम्र

ऐसे में पटाखों पर रोक नहीं लगाई जानी चाहिए। वैसे भी पटाखे प्रदूषण का इकलौता कारण नहीं हैं। इस बीच एक संगठन ने भी सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा है कि पटाखों पर बैन नहीं लगाया जाना चाहिए, क्योंकि ये लोगों की आस्था से जुड़ा है। सदियों से ये परंपरा चलती आई है। दरअसल, बच्चों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर साफ हवा में सांस लेने के अधिकार की मांग करते हुए निर्देश देने की मांग की है। इन तीनों की उम्र 6 से लेकर 14 माह है। याचिका में मांग की गई है कि दीवाली जैसे त्योहारों पर पटाखों की ब्रिकी पर रोक लगाई जाए। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार व राज्य सरकारों को प्रदूषण के प्रति जागरुकता अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं।

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