भवानी शंकर के किरदार ने बना दिया यादगार

साल 1979 में रिलीज हुई फिल्म गोलमाल तो याद होगी ही। फिल्म का किरदार भवानी शंकर जो बहुत मजाकिया था वो भी याद होगा। आज उसी भवानी शंकर का जन्मदिन है यानी की उत्पल दत्त का। बॉलीवुड में फिल्म गोलमाल से लोगों के दिलों पर अपनी छाप छोड़ने वाले एक्टर उत्पल दत्त न सिर्फ अपनी एक्टिंग के लिए बल्कि कई और चीजों के लिए भी जाने जाते थे। उत्पल दत्त को एक्टिंग के अलावा लिखना भी बहुत पसंद था। वो हमेशा नाटकों की स्क्रिप्ट लिखा करते थे। उत्पल ने कई ऐसे नाटक भी लिखे जो बाद में उस समय की राजनीतिक परिस्थितियों को लेकर विवाद का विषय बने।

ये फिल्में बनी करियर में मील का पत्थर

उत्पल दत्त ने सिर्फ फिल्म गोलमाल में ही अपने अभिनय का लोहा नहीं मनवाया ब्लकि बॉलीवुड की कई और फिल्मों में भी उत्पल ने यादगार किरदार निभाए हैं। उत्पल सिर्फ सिनेमा से ही नहीं ब्लकि थियेटर से भी अक्सर जुडे़ रहते थे। उन्होंने बांग्ला और हिंदी भाषाओं में कई फिल्में कीं जिन्में से कुछ उनके करियर की सबसे बडी़ हिट रहीं। गोलमाल समेत उत्पल ने फिल्म गुड्डी, नरम-गरम, रंग-बिरंगी और शौकीन  जैसी फिल्मों से इंडस्ट्री में अपने उम्दा अभिनय की छाप छोडी़ है। बता दें कि उत्पल दत्त का करियर बॉलीवुड में महज 40 साल का ही रहा। बाद में फिल्म अभिनेत्री शोभा सेन के प्यार में पडे़ और उनसे साल 1960 में शादी भी रचा ली।

इस वजह से नाटक लिखने पर गए जेल

उत्पल दत्त को एक्टिंग के साथ-साथ नाटक लिखने का भी शौक था। उन्होंने कई ऐसे नाटक लिखे थे जो उस समय की राजनीतिक परिस्थितियों पर तंज कसते थे या चोट करते थे। इस वजह से उनके लिखे हुए कई नाटक विवाद का विषय भी बन गए हैं। उत्पल दत्त के लिखे नाटकों से उस समय की राजनीतिक पार्टियां काफी परेशान रहती थीं। इसलिए जब भी उत्पल कुछ लिखने की तैयारियां शुरु करते थे तो पार्टियां पहले ही उन्हें रोकने के इंतजाम करना शुरु कर देती थीं। उत्पल इन सभी बातों को किनारे करके अपने नाटक को पेश करते थे तो लोगों की भीड़ अपने आप ही जुटने लगती थी। लिखने की बात करें तो उत्पल हमेशा वामपंथी दलों के लिए नाटक लिखा करते थे जिसके चलके उन्हें साल 1965 जेल भी जाना पडा़।

उत्पल को मिल चुके हैं ये सम्मान

वैसे उत्पल के लिए सबसे बडे़ सम्मान की बात तो यही है कि उत्पल पर रोक लगने के बावजूद वो अपने नाटक को लोगों के बीच पेश किए और लोगों भी रोक के बावजूद उनके नाटक को देखने पहुंचे। इसके अलावा उन्हें फिल्म गोलमाल के लिए बेस्ट कॉमेडियन का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था। बाद में एक बंगाली फिल्म भुवन शोमे के लिए उन्हें बेस्ट एक्टर का नेशनल फिल्म अवॉर्ड मिला। उनके करियर में अंग्रेजी सिनेमा का भी महत्वपूर्ण योगदान है। साल 1940 में उत्पल अंग्रेजी थिएटर से जुड़ गए थे और फिर उनकी जिंदगी में एक्टिंग का दौर शुरु हुआ।

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