- एक साल बाद भी चुरेब में पड़े डैमेज कोचेज सामने ले आते हैं दर्दनाक मंजर

- 26 मई 2014 को चुरेब रेलवे स्टेशन पर मालगाड़ी और गोरखधाम के बीच हुई थी जबरदस्त भिड़ंत

- 29 की मौत, जबकि 150 से ज्यादा हुए थे घायल

द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र : 'यार कितना खतरनाक एक्सीडेंट रहा होगा। ट्रेन की बोगियों के तो परखच्चे उड़ गये हैं। बाप रे। इंजन की हालत तो देखो। ड्राइवर तो ऑन द स्पॉट मर गया होगा.' ऐसी बातें हर रोज हजारों पैसेंजर्स चुरेब से गुजरते समय आज भी करते हैं। एक साल बीत गया, लेकिन चुरेब में हुए हादसे की यादें बरबस ही ताजा हो जाती हैं। एक साल पहले 26 मई को चुरेब में हुए दर्दनाक हादसे की दास्तान सुनाते ट्रेनों के मलबे जख्मों को आज भी कुरेदने का काम कर रहे हैं। गोरखधाम और मालगाड़ी के बीच हुई टक्कर को एक साल बीतने को है, लेकिन उस हादसे की गवाही देते ट्रेन के कोच, इंजन और पैसेंजर्स के साजो-सामान आज से वहीं मौजूद होते हुए, उस दर्दनाक हादसे का अहसास करा रहे हैं। जब आई नेक्स्ट ने इस मामले की हकीकत जानने के लिए चुरेब का मुआयना किया, तो इस दौरान इसका रीजन बताने वाला भी कोई नहीं था। जब इसकी पड़ताल की गई, तो यह बात सामने आई कि रेलवे के कड़े रूल्स और रेग्युलेशन उन खौफनाक यादों को आज भी जिंदा रखे हुए हैं।

चारों ओर पसरा था सन्नाटा

आई नेक्स्ट रिपोर्टर जब चुरेब स्टेशन के कुछ दूर एक्सीडेंट स्पॉट पर पहुंचा, तो वहां का मंजर रोंगटे खड़े कर देने के लिए काफी था। इधर-उधर जिस ओर और जितनी दूर नजरें घुमाओ, हर ओर सन्नाटा पसरा था। तेज चिलचिलाती धूप में जब आई नेक्स्ट रिपोर्टर और फोटोग्राफर आगे बढ़े, तो बाई ओर गोरखधाम के दो कोचेज जोकि बुरी तरह डैमेज हो चुके थे, पड़े नजर आए। उनके करीब जाने पर पैसेंजर्स की खून से सनी चप्पलें, शर्ट के टुकड़े और जूते, जिनपर धूल बैठ चुकी थी, नजर आए। वहीं कुछ दूर पर एसी2 का एक कोच जो थोड़ा बहुत डैमेज था, खड़ा नजर आया। उस ओर आगे बढ़ने ही वाले थे कि इस बीच उसी जगह से गोरखधाम अपनी लय में गुजरती नजर आई, फिर आंखों के सामने वही मंजर नजर आने लगा।

दूसरी ओर पड़े थे कटे-पिटे कोच और इंजन

ट्रैक के दूसरी ओर बढ़ने पर सांसें थमती नजर आई। सामने था, बुरी तरह से डैमेज इंजन जिसकी शील्ड नहीं थी। उसके चारों ओर ट्रेन के कोचेज से निकाले गए पंखे, ट्यूबलाइट, बल्ब के साथ ही स्प्रिंग, कोच में यूज किया जाने वाला प्लाइबोर्ड, जिनपर बर्थ नंबर भी लिखे हुए थे, दिखाई पड़ा। पास में ही पैसेंजर्स की चप्पलें लाइन से लगी हुई थी, जिनकी परवाह करने वाला शायद कोई बचा ही नहीं। दूसरी ओर कोचेज के कटे पा‌र्ट्स भी उन हादसों की गवाही दे रहे थे जिन्हें एक-एक करके रेलवे हटवाने का काम कर रहा है।

एक साल में हटे महज 5 कोच

गोरखपुर से करीब 50 किमी दूर छोटा सा स्टेशन है चुरेब। 26 मई को गोरखपुर से हिसार जाने वाली गोरखधाम एक्सप्रेस, मालगाड़ी से जा टकराई थी। इसमें गोरखधाम के 9 कोच डैमेज हो गए। इसमें से 4 जनरल कोच, 2 कोच एसी2 टायर, 1 एसएलआर और 2 गुड्स वैगन थे। इसमें अब तक 5 कोचेज को वहां से हटवा दिया गया है, जबकि 4 कोच अब भी काट कर हटाने का सिलसिला जारी है। सीपीआरओ आलोक कुमार सिंह ने बताया कि कोचेज हटवाने के लिए ई-टेंडर प्रॉसेस की जाती है, जिसके बाद वेंडरिंग पार्टी इसे कटवाकर हटाने का काम करती है। पहले जो टेंडर हुआ था, उससे पांच कोचेज को हटाया गया, लेकिन एसी कोचेज को हटाने के लिए बेस प्राइज के बराबर भी खरीदार नहीं मिले, जिसकी वजह से उनका दोबारा ऑक्शन किया जा रहा है।

क्या है प्रॉसेस -

एक्सीडेंट के बाद मलबे को हटाने की राह आसान नहीं है। इसमें हादसे के बाद रेलवे एक एक्सपर्ट कमेटी फॉर्म करता है, जो उन कोचेज की कंडीशन को देखते हुए मार्केट के अकॉर्डिंग मिनिमम बेस वैल्यु तय करते हैं। इसके बाद कैरज एंड वैगन डिपार्टमेंट इसका मिनिमम रेट फिक्स करता है। जब रेट फाइनल हो जाता है, तो ऑनलाइन मोड में इसकी टेंडरिंग प्रॉसेस शुरू होती है। इसमें वेंडर ऑनलाइन बिडिंग करते हैं, अगर फाइनल बिड बेस प्राइज से ज्यादा होती है, तो उस वेंडर को कोच ले जाने के लिए टेंडर अवार्ड कर दिया जाता है, लेकिन अगर ऑक्शन में मिनिमम बेस प्राइज के बराबर प्राइज नहीं मिलता तो दोबारा टेंडर प्रॉसेस स्टार्ट की जाती है।

टेंडर के बाद सारी जिम्मेदारी वेंडर की

मिनिमम बेस प्राइज मिलने तक रेलवे कोचेज की देखभाल करता है। सीपीआरओ ने बताया कि टेंडर फाइनल होने के बाद कोच को वहां से हटाने की जिम्मेदारी वेंडर की हो जाती है। इसके तहत टेंडर को एक टाइम पीरियड दिया जाता है, जिसके अंदर उसे वहां से कोच को हटवा लेना होता है। टाइम लिमिट बीतने के बाद वेंडर को रेलवे की जमीन यूज करने की वजह से वहां का किराया देना पड़ता है।

हादसा एक निगाह में -

ट्रेन - 12556 हिसार-गोरखपुर गोरखधाम एक्सप्रेस

डेट - 26 मई 2014

टाइमिंग - 10.40

प्लेस - चुरेब रेलवे स्टेशन

सेक्शन - गोरखपुर-बस्ती

किमी - 546/6-7

डिविजन - लखनऊ

इंजन नंबर - 16036/जीडी

गार्ड - आरके चौहान

ड्राइवर - लक्ष्मी नारायण मिश्र

असिस्टेंट ड्राइवर - कुमार रवि रंजन

मौत - 29

घायल - 150 से ज्यादा

मलबों को हटाने का काम चल रहा है। 5 कोचेज हटा दिए गए हैं। 4 कोचेज को हटाने के लिए रीटेंडरिंग की गई है। जल्द ही सारे कोच हटा लिए जाएंगे।

- आलोक कुमार सिंह, सीपीआरओ, एनई रेलवे