-अब वर्ष 2014 और 2015 की एफआईआर का भी डाटा हो रहा ऑनलाइन

BAREILLY: पुलिस ने ऑनलाइन एफआईआर को लेकर एक और कदम बढ़ाया है। इसके तहत अब वर्ष 2014 और 2015 का भी डाटा ऑनलाइन किया जा रहा है। इससे पब्लिक, पुलिस और एडवोकेट को फायदा मिलेगा। एडीजी टेक्निकल सर्विस के निर्देश पर बरेली के सभी थानों में डाटा फीडिंग का काम शुरू हो गया है। सभी थानों को सीसीटीएनएस ऑफिस से चार दिन का समय दिया गया है।

ऐसी प्रॉब्लम आती हैं सामने

कई बार किसी भी घटना पर मौजूद लोगों से पुलिस गवाह के तौर पर साइन करा लेती है, लेकिन साइन करने वाला अंजान हो जाता है। उसके बाद उसे कोर्ट से समन या वारंट आता है तो वह समझ नहीं पाता है कि कौन सा मामला था। ऐसे लोगों के लिए पुराना डाटा ऑनलाइन फीड होने का काफी फायदा मिलेगा। क्योंकि समन या वारंट पर क्राइम नंबर पड़ा होता है। जिसके जरिए वह मामले की डिटेल निकाल सकता है। इसके अलावा किसी एडवोकेट के केस छोड़ने पर दूसरा एडवोकेट भी क्राइम नंबर से आसानी से केस की डिटेल ऑनलाइन देख सकेगा।

2016 व 17 का डाटा ऑनलाइन

सीसीटीएनएस के तहत एफआईआर, चार्जशीट, फाइनल रिपोर्ट और जीडी ऑनलाइन की जा रही है। ऑनलाइन डाटा होने से पुलिस के साथ-साथ पब्लिक को भी फायदा हो रहा है। मौजूदा समय में वर्ष 2016 और वर्ष 2017 का डाटा ऑनलाइन किया जा रहा है, जिसके तहत पब्लिक भी इन दोनों वर्षो की एफआईआर ऑनलाइन देख ले रही है। यही नहीं उसे एफआईआर लेने के लिए थाने के भी नहीं चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। क्राइम नंबर से एडवोकेट भी आसानी से एफआईआर की प्रिंट निकाल ले रहे हैं।

जीस्ट की जा रही है फीड

सीसीटीएनएस के तहत वर्ष 2005 तक का डाटा साफ्टवेयर में फीड किया जा रहा है। वर्ष 2005 से वर्ष 2013 तक का डाटा फीड करने के लिए बीते वर्ष सभी थानों से लखनऊ क्राइम रजिस्टर मंगाए गए थे। लखनऊ में सभी डाटा ब्रीफ में फीड किया गया था लेकिन वर्ष 2014 और 2015 का डाटा फीड नहीं किया गया था। अब यह डाटा सभी थानों में ही क्राइम रजिस्टर से फीड किया जा रहा है। जिसके तहत एफआईआर नंबर, वादी, प्रतिवादी, धाराएं, अरेस्टिंग, चार्जशीट या फाइनल रिपोर्ट और केस की जीस्ट लिखी जा रही है।