ALLAHABAD: जीएसटी के साथ ही ऑनलाइन मार्केट और ऑफर्स का साइड इफेक्ट अब रिटेल मार्केट पर दिखने लगा है। रिटेल मार्केट 40 से 50 परसेंट लॉस में चल रहा है। कुछ ट्रेंड तो ऐसे हैं, जिनका बिजनेस 60 से 70 प्रतिशत तक प्रभावित हुआ है। आलम यह है कि फेस्टिव सीजन में रिटेलर्स कस्टमर्स का इंतजार कर रहे हैं। वहीं कस्टमर ऑनलाइन मार्केट की तरफ टर्न हो चुका है। इसको लेकर दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने व्यापारियों के साथ चर्चा की। इसमें व्यापारियों ने खुल कर अपनी बात रखी।

 

इसलिए टूट रहा रिटेल मार्केट

उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल के प्रदेश अध्यक्ष बनवारी लाल कंछल ने कहा कि ऑनलाइन मार्केट का रिटेल मार्केट पर काफी असर पड़ा है। अगर कोई कंपनी एक ट्रक माल खरीद रही है, तो उसका रेट अलग होगा। उसी माल को कोई कंपनी 50 ट्रक खरीद रही है तो उसका रेट अलग होगा। जो रिटेलर केवल एक लाख का माल खरीद रहा है, उसका रेट अलग होगा। बड़ी कंपनियां बल्क में सामान खरीद कर ऑनलाइन सस्ते में बेच रही हैं। इसलिए उनका व्यापार बढ़ रहा है, हमारा व्यापार टूट रहा है।

 

बाम्बे की एक कंपनी यूपी के कस्टमर को सामान बेचती है। मध्य प्रदेश और केंद्र सरकार को टैक्स देती है। वहीं यूपी में सामान बिक रहा है। लेकिन टैक्स यूपी को नहीं मिल रहा है। मुंबई की कंपनी यूपी में माल बेचने के साथ ही मालामाल हो रही है।

-राजेश कुमार गुप्ता

अध्यक्ष, प्रीतम नगर व्यापार संघ

 

जीएसटी की कर प्रणाली सबसे कठिन है, जिसको लेकर बगावत होगी। क्योंकि आज व्यापारी परेशान है। जीएसटी नंबर लेने के बाद जो व्यापारी समाधान में आना चाहते हैं, वे समाधान योजना में शामिल नहीं हो पा रहे हैं। कई व्यापारियों का आईडी पासवर्ड अभी तक नहीं आ सका है। माइग्रेशन के लिए व्यापारी परेशान हैं।

-विजय अरोरा

अध्यक्ष, प्रयाग व्यापार मंडल

 

जो व्यापारी 20 लाख के दायरे में नहीं है, वह जीएसटी के चंगुल से बाहर निकलने के लिए परेशान है। लेकिन वह बाहर कैसे निकले इसका रास्ता नहीं दिख रहा है। 20 लाख से कम का बिजनेस करने वालों को भी जीएसटी में रिटर्न भरने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

-मो। महमूद खान

 

जीएसटी के साथ ही आनलाइन मार्केट रिटेल मार्केट को धीरे-धीरे खत्म कर रहा है। स्थिति ये है कि व्यापारियों का बिजनेस 40 से 50 प्रतिशत लॉस में चल रहा है।

-सुहैल अहमद

 

जीएसटी में एक ट्रेड कम्यूनिटी पर केवल एक दर ही रखने का प्रावधान रखा जाए। इससे व्यापारियों को टैक्स की गणना में आसानी होगी। सरकार को राजस्व ज्यादा मिलेगा। वहीं पांच रिटर्न को एक रिटर्न किया जाए।

-आकाश पुरी

 

भवन निर्माण के कार्य में आने वाले सीमेंट, टाइल्स एवं मार्बल्स पर 28 प्रतिशत जीएसटी लागू किया गया है। इसको घटाकर 18 प्रतिशत किया जाए।

अशोक दुग्गल

 

व्यापारी जीएसटी के विरोध में नहीं है। लेकिन, उसके नियमों में वैट से ज्यादा खामियां हैं। जीएसटी में टैक्स न देने पर व्यापारियों पर पांच लाख रुपये जुर्माना तक का प्राविधान है। जीएसटी की कर प्रणाली सबसे कठिन प्रणाली साबित हो रही है। जिसको लेकर अब बगावत होगा।

-अमरीश खुराना

 

शहर में इन आइटम्स की ऑनलाइन बुकिंग ज्यादा

- ऑनलाइन मार्केट में मोबाइल

इलेक्ट्रानिक आइटम्स में

एलईडी टीवी, मोबाइल और मोबाइल एसेसरीज, लैपटॉप, कैमरा की बुकिंग।

 

होम अप्लायंसेस में

वॉशिंग मशीन, रेफ्रिजरेटर, एसी, गीजर, कीचन अप्लायंसेस की डिमांड है।

 

मेन-वुमन

फुटवियर, टॉप वियर, बॉटम वियर, स्पोर्ट्स वियर, रिस्ट वॉच, आर्टिफिशियल ज्वैलरी

 

बेबी एंड किड्स

किड्स क्लॉथ, फुटवियर, ट्वॉयज, बेबी केयर प्रोडक्ट

 

होम एंड फर्नीचर

किचन एंड डायनिंग वेयर, फर्नीचर, फर्नीशिंग प्रोडक्ट, होम डिकोर प्रोडक्ट की है डिमांड।

 

ऑनलाइन और लोकल मार्केट के दाम में इतना अंतर

-रेट में 30 से 40 परसेंट का अंतर है

-रिटेल इलेक्ट्रानिक मार्केट में जिस रेफ्रिजरेटर का रेट 12 हजार रुपये है, वो आनलाइन नौ से दस हजार में मिल रहा है।

- एलईडी टीवी पर रिटेल मार्केट से चार से पांच हजार, कुछ प्रोडक्ट पर दस से 15 हजार की छूट मिल रही है।

- मोबाइल पर ऑनलाइन पोर्टल पर दस से पांच हजार तक का डिस्काउंट मिल रहा है।

- ब्रांडेड कंपनियों के कपड़ों पर 50 से 60 प्रतिशत का ऑफर है। वहीं शो रूम में कहीं फिक्स रेट तो कहीं दस से 20 प्रतिशत का ही ऑफर है।

 

ऑनलाइन कंपनियां ज्यादातर प्रोडक्ट अब वेंडर से लेती हैं। बल्क में प्रोडक्ट लेने पर वेंडर्स एडिशनल डिस्काउंट देते हैं, इसलिए ऑनलाइन कंपनियां एडिशनल डिस्काउंट अपने कस्टमर को देती हैं। बिजनेस कोई भी हो वो अब कंपटीशन बेस हो गया है। कंपटीशन में वो सब कुछ हो रहा है, जो असंभव सा लगता है।

-सुमित अग्रवाल, सीए