RANCHI : नगर निगम क्षेत्र के बाहर बिना नक्शा के बने मकानों को रेगुलराइज किया जाना है। लेकिन, जिन्होंने बिना नक्शा के घर बनाया है, उन्हें इससे संबंधित दस्तावेज जमा करने के लिए मात्र दो दिनों की मोहलत दी गई है। शुक्रवार को आरआरडीए द्वारा इस बाबत फरमान जारी किए जाने के बाद बिना नक्शा के मकान बनाने वालों के सामने समस्या यह खड़ा हो गई है कि इतनी कम मोहलत में वे तमाम दस्तावेज कहां से लाएं और कैसे जमा करें। मालूम हो कि आरआरडीए ने बिना नक्शा के घरों को रेगुलराइज करने के लिए दस्तावेज जमा करने की अंतिम तारीख 15 अगस्त निर्धारित की है। इसके तहत 5 अप्रैल 2016 के पूर्व बिना स्वीकृति के बने मकानों का नक्शा ही पास होगा। नक्शा पास करने में पुराने बिल्डिंग बॉयलाज का लाभ लोगों को मिलेगा।

15 अगस्त तक देना है आवेदन

बिना नक्शा पास किए रांची में अवैध तरीके से मकान बनाकर रह रहे लोगों के लिए रेगुलराइज करने के लिए दस्तावेजों के साथ आवेदन देने की अंतिम तारीख 15 अगस्त है। लेकिन, आवेदकों को दस्तावेज सबमिट करने के लिए दो दिन का ही समय मिलेगा, क्योंकि सोमवार को जन्माष्टमी और मंगलवार को इंडिपेंडेंस डे को लेकर सरकारी अवकाश रहेगा। ऐसे में जो लोग इस अवधि तक निर्धारित फार्मेट पर निर्धारित शुल्क के साथ आवेदन जमा करेंगे उनका मकान रेगुलर हो जाएगा। जो ऐसा नहीं करेंगे उनके मकान को अवैध भी घोषित किया जा सकता है।

हो रहा है सर्वे

राज्य सरकार ने 2012 में हीं एक नियमावली बना कर यह तय किया था कि पूरे राज्य में बने अवैध मकानों को चिन्हित करके उनको रेगुलराइज किया जाएगा। नगर विकास विभाग ने इसके लिए उन सभी लोगों से आवेदन के साथ संबंधित दस्तावेज मांगे हैं। इसके लिए तारीख भी तय कर दी गई है। अगर कोई डिटेल्स जमा नहीं करते हैं तो कार्रवाई भी का जा सकती है।

आवेदन के साथ देने हैं ये दस्तावेज

आरआरडी क्षेत्र के अंदर जिन लोगों ने अपना मकान बनाने के लिए सरकार के द्वारा तय शर्तो को पूरा नहीं करता है उनके लिए यह आदेश जारी किया गया है। सभी को निर्देश दिया गया है कि जिन्होंने नक्शा नहीं बनवाया है, पर्यावरण क्लियरेंस नहीं ली है वो सभी लोग अपने-अपने क्षेत्र मे सरकार द्वारा तय फार्मेट में डिटेल्स भर कर जमा करना है। सारा फार्मेट आरआरडीए कार्यालय मे उपलब्ध है वहां से लेकर सारा डिटेल्स जमा कर सकते हैं।

अवैध घरों का डाटा नहीं है उपलब्ध

आरआरडीए उपाध्यक्ष्स अरविंद प्रसाद का का कहना है कि कितने घर अवैध हैं उसका डाटा सरकार के पास नहीं है। ऐसे में सरकार का तर्क है कि अगर हमारे पास पूरा डाटा आ जाएगा तो हमलोग उन लोगों के लिए सुविधा उपलब्ध कराएंगे। अभी शहरों में हजारों लोकर अवैध रूप से बने मकान में रह रहे हैं। इन मकानों में सरकार द्वारा सारी सुविधाएं अभी तक उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है। सरकार का यह भी मानना है कि जिन लोगों ने तय शर्तो को नहीं मानकर घर बनाया है, वह जानमाल के लिए भी खतरा है, पर्यावरण के लिए भी खतरा है। इसलिए जरूरी है कि सभी को रेगुलराइज करके सरकार उनको मदद करे।