बाकियों के पास नहीं है फायर विभाग से जारी एनओसी

नहीं हैं फायर फाइटिंग उपकरण, खतरे में है मरीजों की जान

ALLAHABAD: लखनऊ केजीएमयू के ट्रामा सेंटर में लगी आग की घटना लापरवाह हॉस्पिटल्स के लिए नजीर साबित हो सकती है। लेकिन, शहर के नर्सिग होम्स और सरकारी हॉस्पिटल्स को इसकी परवाह नहीं है। यहां बिना फायर विभाग की एनओसी के सैकड़ों हॉस्पिटल्स संचालित हो रहे हैं। गिनती के नर्सिग होम्स ने ही एनओसी ली है।

कैसे बचाएंगे जान

शहर में करीब ढाई सौ प्राइवेट हॉस्पिटल्स संचालित हो रहे हैं। जानकर ताज्जुब होगा कि इसमें दस के पास ही फायर विभाग की एनओसी है। बाकी मनमाने तरीके से हॉस्पिटल चला रहे हैं। किसी के पास भी पर्याप्त अग्निशमन उपकरण नहीं हैं। सरकारी हॉस्पिटल्स के हालात भीच्अच्छे नहीं हैं। हद तो ये है कि इनके पास भी एनओसी नहीं है।

नहीं कराते हैं रीफिलिंग

फायर ब्रिगेड की मानें निश्चित शुल्क जमा कराकर हॉस्पिटलस को फायर फाइटिंग उपकरणों की जांच करानी चाहिए। लेकिन ऐसा करता कोई नहीं है। हॉस्पिटल्स में लगे फायर इस्टिंग्युशर का मैटेरियल लंबे समय से नहीं बदले जाने पर वे एक्सपायर हो चुके हैं। अब यदि आग लगती है तो ये आग बुझाने में नाकाफी साबित होंगे। शहर के गिने-चुने हॉस्पिटल्स ने ही उपकरणों की जांच कराई है।

ठंडे बस्ते में गया अभियान

दो साल पहले एडीए ने जोर शोर से आवासीय इलाकों में बने हॉस्पिटल्स के खिलाफ अभियान चलाया था जो ठंडे बस्ते में चला गया। बता दें कि शहर में कई हॉस्पिटल्स संकरी गलियों और घनी आबादी के बीच बने हैं। यहां जबरदस्त भीड़ होती है। ऐसे में यहां आग लगने की घटना पर फायर ब्रिगेड की दमकल को पहुंचने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

इन घटनाओं ने दिखाया आइना

पिछले साल जून में रामबाग स्थित जीवन ज्योति हॉस्पिटल के आईसीयू में लगी आग से मरीजों की जान पर बन आई थी

दो माह पहले एसआरएन हॉस्पिटल के गोदाम में लगी आग से अफरातफरी मची थी

चार साल पहले एसआरएन हॉस्पिटल के मेडिसिन आईसीयू के कमरे में आग लगने से परेशानी खड़ी हुई थी

दस हॉस्पिटल्स ने हमसे एनओसी ली है। बाकी ने फायर फाइटिंग उपकरणों की कोई जांच नहीं कराई है। ऐसे में जब आग लगती है तो हॉस्पिटल्स कोई इंतजाम नहीं होने से हाथ खड़े कर देते हैं और फायर ब्रिगेड को दिक्कत झेलनी पड़ती है।

आईके तिवारी, चीफ फायर सेफ्टी ऑफिसर, इलाहाबाद