हाथ-पैर टूटने पर प्लास्टर चढ़ाने की बजाय 10 से 12 हजार रुपयों के लिए कर दे रहे ऑपरेशन

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के सामने हास्पिटल के कर्मचारी ने ही कर दिया पूरे खेल का खुलासा

ALLAHABAD: मोती लाल नेहरू जिला चिकित्सालय 'काल्विन' में 'पैसा' सेवा से उपर हो गया है। यहां स्वास्थ्य सुविधाएं फ्री होने और नॉमिनल फीस के बाद भी पेशेंट से वसूली का रास्ता निकाल लिया गया है। हाथ, पैर की हड्डी टूटने या फ्रैक्चर के बाद पेशेंट काल्विन पहुंचा तो प्लॉस्टर बांध कर उसे ठीक करने की बजाय ऑपरेशन कर प्लेट डालना तय है। इसके बदले पेशेंट से वसूल किया जाता है 10 से 12 हजार रुपया। गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के बाद शुरू कैंपेन के क्रम में दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम मंडे को काल्विन हास्पिटल पहुंची तो सरकारी इलाज की सच्चाई जान दंग रह गई। हास्पिटल का चक्कर लगाती टीम को अचानक एक कर्मचारी मिला। बातों में उसने कई सारी सच्चाई बता दी।

सवाल दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के जवाब काल्विन हास्पिटल के एक कर्मचारी के। हां बात शुरू होने से पहले उसने इस बात की हामी भरवा ली थी कि कहीं भी उसके नाम का जिक्र नहीं किया जाएगा।

सुनते हैं यहां इलाज में बड़ा खेल चल रहा है?

कर्मचारी- अरे भईया का बताएं, यहां जबर्दस्त खेल चल रहा है। बगैर पैसा लिए तो मरीज का ऑपरेशन होता ही नहीं है।

कैसे पैसा लिया जाता है?

कर्मचारी- कैसे? अरे राड मंगाने के नाम पर होता है पूरा खेल। पेशेंट के ऑपरेशन के लिए प्लेट का पूरा सेट मंगाया जाता है, लेकिन पेशेंट को प्लेट केवल एक लगता है।

इसके बाद क्या होता है?

कर्मचारी- इसके बाद जो प्लेट बचता है, उसे वापस कर दिया जाता है। जहां से पूरा सेट मंगाया जाता है, उससे पहले से सेटिंग रहती है। जो प्लेट लगता है, उसी का केवल पर्चा बनता है। बाकी आपस में बांट लिया जाता है।

कितने का आता है प्लेट का सेट?

कर्मचारी- प्लेट का सेट 10 से 12 हजार में आता है। अगर किसी ने दबाव बनाया तो नौ हजार, आठ हजार में ऑपरेशन होने के साथ ही प्लेट पड़ जाता है।

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तीन लाख रुपये किया खर्च

पुराने शहर के सैय्यद मोहम्मद शाहिद करीब चार माह से काल्विन में बेटे सैय्यद मोहम्मद समीर के पैर का ईलाज करा रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक्सीडेंट में पैर टूटा था। डॉक्टर ने ऑपरेशन कर प्लेट लगाया, तो इंफेक्शन हो गया। प्लेट निकाल कर दूसरी प्लेट लगाई, फिर इंफेक्शन हो गया। हर बार ऑपरेशन के लिए करीब 20 हजार रुपये लिए गए। इस सवाल पर कि सरकारी हास्पिटल में पैसा कहां लगता है वे बिफर पड़े। यहां हर चीज का पैसा लगता है, बस रसीद नहीं बनती। हां, ये जरूर है कि प्राइवेट से थोड़ा सस्ता पड़ता है। पैसा नहीं दिया तो कुछ नहीं हो सकता।

22 दिन पहले बोलेरो ने टक्कर मार दी थी। पैर टूट गया था। 21 दिन पहले पैर का ऑपरेशन हुआ। पैर में राड डालने के लिए 10 हजार रुपया लिया गया। बाहर से दवा मंगानी पड़ती है।

शनी, मनौरी

बीस 25 दिन पहले एक्सीडेंट में पैर की हड्डी टूट गई। परिवार वालों ने यहां भर्ती कराया तो डॉक्टर ने राड डालने के लिए कहा। इसके लिए साढ़े दस हजार रुपये मांगे गये। पैसा जमा कराने के बाद ही ऑपरेशन की हामी भरी गई।

सुरेश, महगांव

जनरल वार्ड में एक सप्ताह से ससुर कादिर एडमिट हैं। उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा है। बाहर से दवा लानी पड़ रही है। डॉक्टर सुनते ही नहीं हैं। खुद मरीज देखने आते नहीं और बुलाने पर नाराज होते हैं।

मेहजबीं