KANPUR: लखीमपुर खीरी से तीन सौ किलोमीटर का सफर तय कर गंगा बैराज पहुंचे बाघ ने अपनी टैरेटेरी बढ़ा ली है। हैरत की बात ये है कि वो कटरी से कब और किस रास्ते से बाहर निकला। ये खुद बाघ को ढूढ़ रही एक दर्जन टीमों को भी नहीं पता। वन अधिकारियों की इस चूक से खतरा और बढ़ गया। वो ऐसे इलाके में पहुंच गया। जहां पर स्कूल, मंदिर, फार्म हाउस, टूरिस्ट स्पॉट समेत कई गांव हैं। वहां पर बाघ की दस्तक से अनहोनी होने का खतरा मंडराने लगा है। बाघ के कदम बिठूर चौबेपुर क्षेत्र की ओर बढ़ने से अधिकारियों के होश उड़ गए। बाघ के बिठूर क्षेत्र में पहुंचने की पुष्टि भी हो गई है, बिठूर से सटे चौबेपुर के सलेमपुर गांव के पास बाघ के फुटप्रिंट देखे गए हैं। इस सूचना के बाद डीएम डा। रोशन जैकब ने एहितयात के तौर पर एरिया के सभी स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया है।

हालात और बिगड़ते देख बाघ को खोजने वाली टीमें पहले से ज्यादा तेजी से जुट गई है, लेकिन क्षेत्र में उनको अनुकूल हालात न मिलने से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आई नेस्क्ट की टीम ने बुधवार को भी बाघ को सर्च करने वाली टीमों के साथ कॉम्बिंग कर ये पता लगाया कि बाघ कहां पहुंच गया और उसे ढूढ़ने में क्या-क्या दिक्कतें आ रही है।

टीमों को गच्चा दे गया

गंगा बैराज में मंगलवार की शाम तक कन्हवापुर और पहाड़पुर के जंगल में बाघ की मौजूदगी थी। उसकी दहाड़ से ग्रामीण खौफजदा थे। टीमों ने उसको पकड़ने के लिए रात को पिंजड़े में चारा डालकर जाल बिछाया था, लेकिन नतीजा सिफर रहा। बाघ उनके पिंजड़े के पास आया ही नहीं। इधर वन अधिकारी रात भर पिंजड़े पर नजर गड़ाए रहे दूसरी तरफ बाघ उन्हें गच्चा देकर हाईवे क्रास कर बिठूर की ओर मूव कर गया।

हाथी समेत चार टीमों ने जंगल को खंगाला

डब्ल्यूटीआई की टीम ने रात पिंजड़े का दांव फेल होने पर तड़के ही कॉम्बिंग शुरू कर दी। उन्होंने हर हाल में बाघ को पकड़ने के लिए चार टीमें बनाई। जिसमें एक टीम हाथी पर सवार होकर कॉम्बिंग कर रही थी, तो अन्य तीन टीमें गाडि़यों से। चारों टीमों ने करीब पांच घंटे जंगल के हर कोने को खंगाला, लेकिन उन्हें बाघ का कोई सुराग नहीं लगा। वे बाघ के पुराने ठिकाने में भी गए, लेकिन वहां से भी खाली हाथ लौट आए। टीम ने पानी के पास बाघ को खोजना शुरू किया, लेकिन बाघ की कोई लोकेशन नहीं मिल सकी।

दोपहर में कटरी छोड़ने के संकेत मिले

बाघ की तलाश में वन विभाग, डब्ल्यूटीआई समेत अन्य टीमों ने कन्हवापुर और पहाड़पुर के जंगलों की भी खाक छानी लेकिन खाली हाथ लौट आए। इस स्थिति से तनाव में आए अधिकारियों ने नई व्यूह रचना के लिए मीटिंग की। अधिकारियों ने बाघ की पिछली हर लोकेशन और व्यवहार को स्टडी किया। जिससे यह बात सामने आई कि बाघ पिछली हर लोकेशन में पांच से छह दिन रुक कर आगे बढ़ जाता है। वो अभी तक किसी भी पुरानी लोकेशन पर वापस नहीं गया। जिससे अधिकारी उसके यहां से निकलने के कयास लगा रहे है। जिसकी पुष्टि करने के लिए अधिकारी हाईवे में रोड के किनारे मिट्टी और बालू में उसके फुट प्रिंट तलाशने में जुटे रहे। देर शाम चौबेपुर क्षेत्र में बाघ की आमद होने का प्रमाण मिलने पर टीम और चौकन्ना हो गई हैं। हालांकि रात होने की वजह से टीम को काम करने में बाधा आई। गुरुवार सुबह से टीम दोबारा खोजबीन में जुटेगी।

घने जंगल में पानी बना रोड़ा

डब्ल्यूटीआई की टीम दोपहर में बाघ के बिठूर जाने का संकेत मिलते ही हाईवे क्रास कर घने जंगल में घुस गई, लेकिन उनको कुछ दूर जाकर वापस लौटना पड़ा। टीम की अगुवाई डॉ। उत्कर्ष शुक्ला कर रहे थे। उनके मुताबिक जंगल में गाड़ी के जाने का रास्ता ही नहीं है। वो कुछ दूर तक गए, लेकिन आगे पानी भरा होने की वजह से उन्हें लौटना पड़ा। जिसका पता चलने पर डॉ। सौरभ सिंघई दूसरे रास्ते से पैदल ही जंगल में घुसे, तो उनके साथ आई नेक्स्ट की टीम भी जंगल में घुस गई, लेकिन उनको भी आगे पानी भरा होने की वजह से वापस लौटना पड़ा। उन्होंने इलाकाई लोगों से रास्ते के बारे में जानकारी की, तो पता चला कि हाईवे क्रास कर बिठूर की ओर जाने वाले कटरी के रास्ते में घना जंगल तो है। साथ ही वहां पर जगह-जगह पानी भरा होने की वजह से वहां गाड़ी नहीं जा सकती। इसलिए उन्हें पैदल ही कॉम्बिंग करनी पड़ेगी।

फ्फ् साल का अनुभव हो गया फेल

गंगा कटरी में बाघ को पकड़ने में जुटी टीमों को कई सालों का अनुभव है। जिसमें सबसे अनुभवी रेंजर आफताब वली है। उनको फ्फ् साल का अनुभव है, लेकिन उनका ये अनुभव दो साल के बाघ के आगे फेल हो रहा है। अधिकारी खुद मान रहे है कि ये अभी तक का सबसे शातिर बाघ है। वो काफी चालाक है। उसने अभी तक सिर्फ गढ़ी सिलौली में ही वन विभाग का चारा खाया था। उसके बाद से वो उनके चारे के नजदीक नहीं जा रहा है। जिससे वन विभाग को उसे पकड़ने में दिक्कत आ रही है। इसके अलावा वो दिन में बाहर नहीं निकलता है। जिससे रेंजर उसको निशाना नहीं बना पा रहे है।

टीम का पांचवां आपरेशन

गंगा बैराज में बाघ को पकड़ने वाली टीम का यह पांचवां आपरेशन है। इससे पहले टीम चार बाघ पकड़ चुकी है। डॉ। सौरभ सिंघई के मुताबिक ये टीम लखीमपुर खीरी जिले में दो बार बाघ को पकड़ चुकी है। इसके अलावा टीम ने लखनऊ-रहमानखेड़ा और फर्रुखाबाद में बाघ को पकड़ा था। जिसमें सबसे ज्यादा टफ आपरेशन लखनऊ-रहमानखेड़ा का था। वहां पर बाघ ने उनको क्09 दिन छकाया। गंगा बैराज में भी बाघ उसी तरह का है।

इन गांवों पर मंडराया खतरा

बिठूर में गंगा कटरी के आसपास एक दर्जन गांव हैं। जिसमें घनऊपुर, संभलपुर, मोहनपुर, शिवदीनपुर, पनिया, दुर्गापुर और गोपालपुर में घनी आबादी है। ये इलाके कटरी से सटे हुए हैं, इसलिए इन इलाकों में खतरा ज्यादा है। अगर बाघ वहां पर पहुंच गया, तो कोई भी अनहोनी हो सकती है।

स्कूल और मंदिर भी हैं

बिठूर रोड पर दिल्ली पब्लिक स्कूल, जैन इंटरनेशनल स्कूल, मंटोरा स्कूल, गौरव इंटरनेशनल स्कूल, जीडी गोयनका स्कूल है। इसके अलावा सांई मंदिर, सुधांशु जी महाराज का आश्रम, गणेश मंदिर, बिठूर घाट समेत अन्य मंदिर है। जहां पर हमेशा हजारों श्रृद्धालुओं का आवागमन रहता है। ऐसे में बाघ का बिठूर की ओर बढ़ना और भी खतरनाक है। अगर बाघ वहां पहुंच गया, तो वो आदमखोर हो सकता है।

 

वर्जन

आज शाम को वन विभाग की टीम से मेरी बात हुई है, चौबेपुर के पास सलेमपुर में बाघ के पैरों के निशान मिले हैं, मैने बीएसए को आदेश दिया है कि चौबेपुर और बिठूर एरिया में गंगा के किनारे जो स्कूल हों वे बंद करा दिए जाएं।