-फ्राइडे को कई टीमों ने की कॉम्बिंग लेकिन फिर भी नहीं मिली बाघ की कोई लोकेशन

-दो दर्जन से ज्यादा टीमों ने गंगा बैराज के जंगलों को छान मारा पर न तो पग मार्क मिले और न ही शिकार का कोई सुराग मिला

KANPUR: लखीमपुरखीरी से गंगा बैराज पहुंचा बाघ अचानक गुम हो गया है। पिछले तीन दिनों से उसका कोई सुराग नहीं मिला है। वो कहां है? इसका पता लगाने के लिए फ्राइडे को दो दर्जन से ज्यादा टीमों ने पूरा जोर लगा दिया लेकिन फिर भी देर शाम उनको खाली हाथ ही लौटना पड़ा। बाघ के अचानक गुम हो जाने से टीम मेंबर्स को ये चिंता खाए जा रही है कि कहीं वो इंसानी बस्ती में घुसकर कोई बड़ी घटना न कर दे।

सुबह भ् बजे रवाना हुई टीमें

फ्राइडे सुबह भ् बजे बाघ की तलाश में दो दर्जन से ज्यादा टीमें अलग-अलग एरिया की ओर कूच कर गई। सन्नीसरांय, गरेरापुरवा, शंकरपुर, पहाड़ीपुर, नत्थापुरवा, लुधवाखेड़ा समेत गंगा बैराज के जंगलों की ओर टीमें रवाना हो गई। सुबह टीम को काफी समस्या का सामना करना पड़ा, क्योंकि भ् बजे काफी कोहरा था। उन्नाव के डीएफओ राजीव मिश्रा जिस टीम को लीड कर रहे थे उसने शुक्लागंज और गंगा के आसपास के एरिया में कॉम्बिंग की। टीम को शुक्लागंज में खेत में काम कर रहे बुलवा ने बताया कि कुछ दूरी पर बाघ के निशान देखें हैं। उसकी जानकारी पर टीम वहां पहुंची लेकिन वो बाघ के पग मार्क नहीं थे। सुबह म् बजे शुरू हुई कॉम्बिंग दोपहर में दो बजे एक घंटे के लिए रुकी और फिर दोपहर तीन बजे शुरू हो गई, जो अंधेरा होने तक चली लेकिन बाघ की कोई खोज खबर नहीं मिली। डॉ। एके सिंह और डब्ल्यूटीआई के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ। सौरभ सिंघई के नेतृत्व में टीमें चंपापुरवा के आसपास के एरिया में निकली। डॉ। सौरभ सिंघई के मुताबिक करीब क्क् घंटे जंगल में कॉम्बिंग करने के बाद कहीं भी बाघ के पगमार्क नहीं मिले हैं। डॉ। उत्कर्ष शुक्ला के मुताबिक फ्राइडे को दिन काफी क्रूशियल रहा। पूरी उम्मीद थी कि बाघ का कोई क्लू तो जरूर लगेगा लेकिन कुछ पता नहीं चला।

जाल बंधे टै्रक्टर से हुइर् कॉम्बिंग

गंगा बैराज के सबसे खतरनाक जंगल ख्यौरा में टीम ने ट्रैंक्टर से कॉम्बिंग की, क्योंकि पूरा एरिया काफी खतरनाक है। इस वजह से वहां ट्रैक्टर में जाल बांधकर कॉम्बिंग की गई। जिससे अगर कोई खतरनाक जानवर धावा बोले तो ट्रैक्टर पर सवार टीम मेंबर्स और ड्राइवर को कोई नुकसान न पहुंचे। रेंजर राजीव मिश्रा ने कॉम्बिंग कर रही टीम की अगुवाई की।

पतवार में आग लगाने की इजाजत नहीं

ग्रामीणों ने पतवार में आग लगाने की इजाजत वन विभाग के अधिकारियों से मांगी, जिस पर उन्होंने इसको सिरे से खारिज कर दिया। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगर आग लगा दी गई तो हो सकता है कि इससे बाघ खतरनाक हो जाए। ऐसे में इस समय पूरी एहतियात बरतने की जरूरत है।

आक्रोशित हैं ग्रामीण

बाघ के कहीं छिपे होने के डर से वन विभाग की टीमें ग्रामीणों को उनके खेत-बाग में नहीं जाने दें रही हैं। पिछले करीब दस दिनों से बाघ का आतंक है। इस समय अमरूद की फसल तैयार हो चुकी है। ऐसे में ग्रामीण बाग में जाने की जिद कर रहे हैं, जबकि वन विभाग और दूसरी टीमें उनको वहां जाने से लगातार मना कर रही हैं। ऐसे में उनमें आक्रोश बढ़ता जा रहा है। ऑपरेशन बाघ को लीड कर रहे डॉ। उत्कर्ष शुक्ला ने बताया कि सैटरडे को भी कॉम्बिंग जारी रहेगी।