इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के बॉयो केमेस्ट्री डिपार्टमेंट के सेमिनार में क्लेवलैंड स्टेट यूनिवर्सिटी यूएसए के प्रो। जीसी शुक्ला ने रखी बात

ALLAHABAD: शराब, अनियमित जीवनशैली व दूषित खानपान प्रोस्टेट कैंसर का सबसे बड़ा कारक है। पुरुषों में 65 वर्ष की उम्र के बाद होने वाली यह बीमारी अब भारत में तेजी से बढ़ रही है। प्रोस्टेट कैंसर का इलाज किसी भी स्टेज में संभव है। यह बात इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के बॉयो केमेस्ट्री डिपार्टमेंट की ओर से आयोजित सेमिनार में क्लेवलैंड स्टेट यूनिवर्सिटी यूएसए के प्रो। जीसी शुक्ला ने कही। सेंटर ऑफ फूड टेक्नोलॉजी में आयोजित स्पेशल लेक्चर में प्रो। शुक्ल ने कहा कि पश्चिमी देशों में प्रोस्टेट कैंसर के केस ज्यादा होते हैं।

हार्मोस इफेक्टेड होने पर बढ़ता है

उन्होंने बताया कि इसका सबसे बड़ा कारण रेड व रोस्टेड मीट का ज्यादा सेवन करना है। कभी शर्म तो कभी संकोच के कारण लोग इस संबंध में बात भी नहीं करते। लक्षणों के सामने आने पर भी इलाज के लिए तब चिकित्सक के पास पहुंचते हैं जब बीमारी गंभीर रूप ले लेती है। उन्होंने बताया कि प्रोस्टेट कैंसर के 70 प्रतिशत मामले 65 से अधिक उम्र के पुरुषों में देखे जाते हैं। उन्होंने बताया कि यह कैंसर प्रोस्टेट ग्रंथि में होता है। प्रोस्टेट कैंसर से निकलने वाले हार्मोस के प्रभावित होने के कारण यह तेजी से बढ़ता है।

पीएसए 20 से अधिक तो पुष्टि

उन्होंने बताया कि इलाज न कराने पर यह प्रोस्टेट ग्रंथि व इसके आसपास के हिस्सों को भी चपेट में ले लेता है। अतिथि का स्वागत प्रो। मुनीष मिश्र ने किया। प्रो। गिरीश चन्द्र शुक्ला ने बताया कि रोग की पहचान के लिए प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजेन ब्लड टेस्ट होता है। ब्लड में पीएसए की मात्रा शून्य से चार तक सामान्य मानी जाती है। पीएसए की मात्रा अगर 20 से अधिक है तो कैंसर की पुष्टि होती है। प्रो। शुक्ल ने बताया कि प्रोस्टेट कैंसर का इलाज रोबोटिक और सामान्य सर्जरी के द्वारा किया जाता है। इलाज का दूसरा तरीका आईएमआरटी और आईजीआरटी के जरिए है। इसमें बिना सर्जरी रेडिएशन के जरिए इलाज किया जाता है।